नागालैंड में फिर बिकेगा कुत्ते का मांस, हाईकोर्ट ने हटाया बैन

नागालैंड में कुत्तों के मांस की बिक्री फिर से शुरू होगी। नागालैंड सरकार ने 2020 में रेस्टोरेंट्स और बाजार में कुत्तों के मांस की बिक्री, उनका इम्पोर्ट और उनसे जुड़े बाजार और व्यवसाय पर बैन लगाया था। अब गुवाहाटी हाई कोर्ट की कोहिमा बेंच ने कुत्तों के मांस का व्यापार करने वाले कुछ व्यापारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस सरकारी आदेश को रद्द कर दिया है।

4 जुलाई, 2020 को नागालैंड सरकार ने कुत्तों के आयात, उनके व्यापार, कुत्तों के बाजार और उनके कच्चे या पके मांस की बिक्री पर बैन लगा दिया था। कुछ व्यापारी संगठनों ने इसका विरोध किया था। सरकार द्वारा ‘फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स रेगुलेशंस एक्ट’, 2011 के तहत लगाए गए इस बैन के खिलाफ कोहिमा के कुछ व्यापारियों ने याचिका दायर की।

इन लोगों को कोहिमा की नगरपालिका परिषद् की तरफ से व्यापार का लाइसेंस भी मिला हुआ था। व्यापारियों ने इस बैन के कानूनी आधार और ज्यूरिस्डिक्शन (बैन के लागू होने के इलाके) को लेकर चुनौती दी थी। सरकार इस याचिका का जवाब नहीं दे सकी। इसके बाद हाई कोर्ट ने नवंबर 2020 में इस सरकारी बैन ऑर्डर पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी। अब आदेश को ही रद्द कर दिया गया है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भले ही ये कहा गया है कि बैन का ये आदेश कैबिनेट की मंजूरी के बाद पारित किया गया था, लेकिन कुत्तों के मांस को खाने या उसका व्यापार करने से जुड़ा कोई कानून नहीं बनाया गया है और बैन का आदेश जारी करने वाले नागालैंड के मुख्य सचिव इसके लिए उपयुक्त अधिकारी नहीं थे।

कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसी मान्यता है कि कुत्ते के मांस में औषधीय गुण भी होते हैं। कुत्ते का मांस, नगाओं (नागालैंड में नगा प्रजाति के लोग) के लिए आज के समय में भी भोजन के रूप में स्वीकार किया जाता है। याचिका दाखिल करने वाले लोग कुत्तों के ट्रांसपोर्ट और उनके मांस की बिक्री से अपनी आजीविका कमा रहे थे।

हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि कुत्ते के मांस को इंसानों के खाने लिए स्टैण्डर्ड फ़ूड नहीं माना जाता और कुत्ते का मांस मानव उपभोग के लिए ‘सुरक्षित जानवरों की परिभाषा’ में भी नहीं आता। इसे साल 2011 के फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स रेगुलेशंस एक्ट के तहत इस परिभाषा से बाहर रखा गया। कोर्ट ने ये भी कहा कि डॉग मीट पर इस तरह बैन लगाने में कोई आश्चर्य नहीं है, क्योंकि पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों को छोड़कर, कुत्ते का मांस खाने का विचार पूरे देश के लिए ‘एलियन’ (बाहरी विचार) है।

2 जून को, जस्टिस मार्ली वानकुंग ने फैसला सुनाया कि राज्य सरकार वैध कानूनी आधार के बिना कुत्ते के मांस की खपत को प्रतिबंधित नहीं कर सकती थी। सरकार बगैर कोई कानून बनाए इस तरह के बैन नहीं लगा सकती है। कुत्ते के मांस की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाना बैध नहीं माना जाएगा, भले ही 4 जुलाई, 2020 की विवादित अधिसूचना को कैबिनेट के एक फैसले के अनुसार पारित किया गया है।

न्यायालय ने तर्क दिया कि ‘खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) अधिनियम’ में निषेध आदेश जारी करने के लिए किसी प्राधिकरण का कोई संकेत नहीं है, जो सरकार द्वारा आदेश जारी करने के लिए आधार के रूप में कार्य करता है।

यह भी देखा गया कि कुत्ते का मांस ‘खाद्य सुरक्षा और मानक’ (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियमों द्वारा कवर नहीं किया गया था, हालांकि यह ‘आश्चर्यजनक’ नहीं था। “कुत्तों का मांस केवल पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में खाया जाता है, और कुत्ते के मांस खाने का विचार देश के अन्य हिस्सों में अलग है। विनियम 2.5.1(ए) के तहत मानव उपभोग के लिए कैनाइन या कुत्तों को एक जानवर के रूप में जोड़ने का विचार अकल्पनीय होगा, क्योंकि कुत्ते के मांस की खपत को अकल्पनीय माना जाएगा।

अदालत ने जोर देकर कहा कि, लंबे समय से चली आ रही मिसाल के तहत, अधिनियम के खाद्य सुरक्षा आयुक्त, न कि राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के भीतर किसी भी मांस की बिक्री को प्रतिबंधित करने वाले आदेश जारी करने के लिए अधिकृत व्यक्ति थे। यह स्वीकार किया गया कि वर्तमान स्थिति में वध के लिए लक्षित कुत्तों का प्रबंधन पूरी तरह से स्वच्छ या बूचड़खाने के नियमों के अनुसार नहीं था। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि हालांकि, यह एक व्यापक प्रतिबंध का समर्थन नहीं करता है।

इसमें कहा गया है कि कुत्तों को मारने से पहले ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960’ और ‘भारतीय दंड संहिता’ के प्रावधानों को लागू करने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

गौहाटी उच्च न्यायालय की कोहिमा पीठ ने हाल ही में 2020 की एक सरकारी अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसने नागालैंड में कुत्ते के मांस के व्यापार और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था।

उत्तरदाताओं के वकील ‘पीपुल फॉर एनिमल्स एंड ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल इंडिया’ ने तर्क दिया था कि कुत्तों की तस्करी की जाती है और उन्हें नागालैंड के बाजारों में लाया जाता है। एक दयनीय स्थिति में जहां कुत्तों को बांध दिया जाता है और उनके मुंह को लंबे समय तक बांधकर गनी बैग में रखा जाता है। न खाना और न पीने के लिए पानी”, और यह व्यापारिक हित में कुत्तों के प्रति क्रूरता का परिचायक है जो ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’ के तहत’ है।

अदालत ने पाया कि प्रतिवादी द्वारा प्रस्तुत तस्वीरों से पता चलता है कि वध के लिए बने कुत्तों को दर्द और पीड़ा का सामना करना पड़ता है, यह प्रतिबंध को सही नहीं ठहराता है। इसके बजाय, अदालत ने कहा, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रवर्तन को सुनिश्चित करने के लिए उपचारात्मक उपाय हो सकते हैं।

दुनिया के कई देशों में लोग कुत्ते का मांस लोग खाना पसंद करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे लोग चिकन या गाय का मांस खाते हैं। वियतनाम में, हर साल कुत्तों का मांस खाने के लिए लगभग पांच मिलियन कुत्तों को मार  दिया जाता है। अन्य देशों जैसे रूस, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, चीन, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, यूरोप और साउथ ईस्ट एशिया के कई अन्य देशों में कुत्ते का मांस खूब खाया जाता है।

भारत के उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में भी डॉग मीट खाया जाता है, लेकिन नागालैंड सरकार ने कुत्ते के मांस के व्यापार और उपभोग पर प्रतिबंध लगा रखा था। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कुत्तों के मांस का सेवन बहुत चाव से किया जाता है। लोगों का मानना है कि इससे शरीर को उच्च पोषण प्राप्त होता है, लेकिन आपको यह जान लेना चाहिए कि कुत्तों के मांस के सेवन से आपको कई खतरनाक बीमारियां भी हो सकती हैं।

ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल/इंडिया ने एक बयान में कहा कि मिजोरम पूर्वोत्तर भारत का पहला राज्य है, जिसने कुत्तों के मांस के व्यापार को समाप्त करने की दिशा में एक बेहतरीन कदम उठाया है।

युलिन (चीन) डॉग मीट फेस्टिवल ने हाल ही में इससे संबंधित अंतर्राष्ट्रीय आक्रोश को बढ़ावा दिया है। कुछ सेलिब्रिटीज और एनिमल एक्टिविस्ट इस परंपरा को समाप्त करने के लिए एक साथ उठ खड़े हुए हैं। और लोगों में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान शुरू किया है। फेस्टिवल को सेलिब्रेट करने के लिए हजारों कुत्तों को मार दिया जाता है।

एनिमल एक्टिविस्ट्स कहा है कि चीन के युवान शहर से शुरू हुए कोरोनावायरस के लिए भी यहां के मांस बाजार में मिलने वाले सीफूड्स, चमगादड़ों और अन्य वन्य जीवों के मांस की बिक्री को जिम्मेदार ठहराया गया था। बेशक, दुनिया भर के कई देशों में कुत्तों के मांस का सेवन लोग बड़े चाव से करते हैं, लेकिन इसके सेवन से सेहत पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। कई तरह के रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है। इस बात की चेतावनी कई विशेषज्ञ भी दे चुके हैं, ऐसे में कुत्तों के सेवन पर प्रतिबंध लगना जरूरी है।

(जे पी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

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