अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने के बदले सरकार छात्र-छात्राओं पर बर्बर हमले में जुटी

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झारखंड के कई जनसंगठनों ने देश में हो रहे विद्यार्थियों पर बर्बर हमलों की निंदा की है। इसमें जन-आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, समाजवादी जन परिषद, यूनाइटेड मिल्ली फोरम, झारखंड नागरिक प्रयास, बगईचा, आदिवासी विमेन्स नेटवर्क, आदिवासी अधिकार मंच, एकल महिला समिति शामिल हैं।

उन्होंने देश में सत्ता द्वारा विद्यार्थियों पर लगातार हो रहे बर्बर हमलों की निंदा करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। जन संगठनों ने कहा है कि जिस तरह विगत दिनों जामिया मिलिया विश्वविद्यालय एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पुलिस बल ने घुसकर छात्र-छात्राओं पर हमला किया एवं उनकी निर्ममता से पिटाई की, इसमें लड़कियों सहित सौ से ज्यादा विद्यार्थी घायल हुए हैं। इससे ऐसा लगा कि देश में अब लोकतंत्र नहीं बल्कि निरंकुश राजतंत्र चल रहा है।

सत्ता की इस मनमानी ने देश के बीएचयू, आईआईटी जैसे अनेकों प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों को पढ़ाई छोड़ कर लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन करने के लिए सड़क पर उतरने को विवश कर दिया है। इस सरकार की दमनात्मक कार्रवाई से ऐसा लगता है कि यह सरकार देश में शिक्षा, बेहतर शिक्षण संस्थानों एवं विद्यार्थियों को कुचलने एवं भारत देश के भविष्य युवाओं को बर्बाद करने पर उतारू है।

संगठनों ने कहा कि ऐसे समय में जब देश की अर्थव्यवस्था का संकट लगातार गहरा रहा है और युवा बढ़ती बेरोजगारी से चिंतित हैं, सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून बनाकर देश को धार्मिक आधार पर बांटने एवं उत्तर पूर्व राज्यों समेत पूरे देश को अशांत करने का काम किया है।

इस सरकार को नागरिकों की परेशानी की कोई परवाह नहीं है इसीलिए जहां देश के सामने खड़े ऐसे गंभीर मुद्दों से निपटने पर उसे ध्यान केंद्रित करने की जरूरत थी, वहां उसकी हरकतें पूरे देश में अफरातफरी, अनिश्चितता एवं भय का माहौल बना रही है। हमारी चिंता यह है कि देश में जैसे हालात बन रहे हैं, इससे देश की प्रगति और वैश्विक छवि को गहरा आघात लगेगा। इससे उबरने में कई दशक लग जाएंगे। इसलिए हम सब इस सरकार से मांग करते हैं कि वह नागरिकता संशोधन कानून वापस ले, शिक्षण संस्थानों में दखलअंदाजी बंद करे और नागरिकों के शांतिपूर्ण विरोध एवं आंदोलन करने के अधिकार का सम्मान करे।

जनसंगठनों के बसंत हेतमसरिया, डॉ. लिओ ए सिंह, अफजल अनीस, आलोका कुजूर, प्रीति रंजन दास, सुषमा बिरूली, दुर्गा नायक, जयपाल मुर्मू, एलीना होरो, प्रफुल्ल लिंडा, डेविड सोलोमन, भारत भूषण चौधरी, कुमार वरुण, इमामी मुर्मू न कहा है कि सरकार ने अपना रवैया न बदला तो पूरे देश के विद्यार्थियों एवं नागरिकों के पास देश की एकता और संविधान की रक्षा के लिए एकजुट होकर शांतिपूर्ण आंदोलन करने के अलावा और कोई विकल्प न रहेगा।

(रांची से जनचौक संवाददाता विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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