झारखंड: राशन चोरी के खिलाफ खाद्य सुरक्षा कार्यकर्ताओं ने की जन-सुनवाई

नई दिल्ली। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के एक गांव में खाद्य सुरक्षा कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित जन-सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) प्रावधानों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन और लाभार्थियों के राशन की चोरी का मामला सामने आया है।

खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, पश्चिमी सिंहभूम इकाई द्वारा गुरुवार को खूंटपानी ब्लॉक में चार पंचायतों – दोपाई, बड़ा गुंटिया, लोहरदा और रुइडीह के राशन लाभार्थियों के लिए आयोजित दिनभर की जन सुनवाई में राशन में मिलने वाले चावल चोरी करने से लेकर कई शिकायतें थीं। कई महीनों तक राशन नहीं देकर लाभुकों से धोखाधड़ी की जा रही है।

दिलचस्प बात यह है कि सार्वजनिक सुनवाई का आयोजन स्वयं ग्रामीणों द्वारा चंदा के माध्यम से किया गया था। एनएफएसए प्रावधान के अनुसार इस मामले में सुनवाई के लिए अतिरिक्त जिला कलेक्टर (एडीसी) को शिकायत निवारण के लिए आना था। लेकिन उनके बजाय जिला आपूर्ति अधिकारी, पश्चिम सिंहभूम, सुनीला खलखो ने जिला प्रशासन का प्रतिनिधित्व किया। जन-सुनवाई में एक भी राशन डीलर उपस्थित नहीं हुआ।

जन-सुनवाई में जूरी रमेश कहा कि “हमें ग्रामीणों से शिकायत मिली थी कि अगस्त-सितंबर में, प्राथमिकता घरेलू (पीएचएच) कार्डधारकों को मिलने वाला राशन आधे से भी कम हो गया था। कई गांवों में तो एक माह का भी राशन नहीं दिया गया है, लेकिन पूरी राशि डीलर द्वारा कार्डधारकों के नाम पर पंच कर दी गई।”

पीएचएच राशन कार्ड के तहत एक परिवार प्रत्येक व्यक्ति को प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न दिए जाने का प्रावधान है। ये राशन कार्ड उन गरीब परिवारों को दिए जाते हैं जो राज्य के ग्रामीण हिस्सों में रहते हैं।

खूंटपानी ब्लॉक के एक सामाजिक कार्यकर्ता अशोक मुंडरी ने कहा “ग्रामीणों को बायोमेट्रिक्स के लिए कहा गया था, लेकिन बायोमेट्रिक्स के बाद तय मात्रा से कम खाद्यान्न दिया गया था। उनकी सभी शिकायतों को डीलरों ने अनसुना कर दिया। हमने जिला शिकायत निवारण अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई, जिन्होंने हमें सार्वजनिक सुनवाई करने का आश्वासन दिया। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके बाद खाद्य सुरक्षा कार्यकर्ताओं को, ग्राम प्रधानों और जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में स्वयं सुनवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा।”

अंत्योदय कार्ड धारकों के लिए खाद्यान्न वितरण में विसंगति की भी शिकायतें दर्ज थीं और ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि उन्हें निर्धारित 35 किलो के बजाय केवल 24 किलो अनाज दिया गया था।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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