नई दिल्ली। मणिपुर में स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। दो समुदायों (मैतेई-कुकी) के बीच की लड़ाई में राज्य सरकार सीधे तौर पर मैतेइयों के साथ खड़ी है। राज्य संरक्षित इस हिंसा में रोज नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। दोनों समुदायों का एक दूसरे के प्रति अविश्वास इस हद तक है कि दूसरे समुदाय के सेना और पुलिस जवानों पर हमले हो रहे हैं, और उनको मौत के घाट उतारा जा रहा है। ताजा घटनाक्रम में रविवार को छुट्टी पर आए सेना के एक जवान को बंदूक की नोक पर अगवा करके हत्या कर दी गई। एक अन्य परिघटना में हिंसक समूह सेना और पुलिस की वर्दी पहनकर हिंसा कर रहा है। मणिपुर पुलिस ने सेना की वर्दी पहने पांच हथियारबंद लोगों को गिरफ्तार किया है। सेना की वर्दी पहने लोगों की गिरफ्तारी के बाद एक हिंसक भीड़ ने पूर्वी इम्फाल जिले में स्थित पोरोम्पैट पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया।
रविवार शाम को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि हिंसाग्रस्त मणिपुर में तीन अज्ञात लोगों ने छुट्टी पर गए सेना के एक जवान को बंदूक की नोक पर उसके घर से अपहरण के बाद हत्या कर दी। मृतक सिपाही की पहचान सर्टो थांगथांग कोम (उम्र 41 वर्ष) के रूप में की गई है।
कोहिमा स्थित डिफेंस प्रवक्ता अमित शुक्ला ने एक मीडिया विज्ञप्ति में खुलासा किया है कि शनिवार सुबह करीब 10 बजे 41 वर्षीय सिपाही सर्टो थांगथांग कोम को पश्चिमी इंफाल जिले के नेइकाइलोंग स्थित उनके घर से बंदूक की नोक पर अपहरण किया गया था। मणिपुर के लीमाखोंग मिलिट्री स्टेशन पर तैनात सिपाही सर्टो छुट्टी पर था।
एक अधिकारी ने बताया कि मणिपुर पुलिस ने कैमॉफ्लाज वर्दी पहनकर अत्याधुनिक हथियारलेस पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। ऐसी खबरें सुनने को मिल रही है कि हिंसाग्रस्त जातियां एक-दूसरे की जान लेने के लिए पुलिस की वर्दी और सेना की वर्दी पहनकर एक-दूसरे के इलाके में जाकर मौत का तांडव करते हैं।
अधिकारी ने आगे बताया कि कैमॉफ्लाज वर्दी पहनकर और हथियार लेकर राज्य में ”जबरन वसूली, धमकी और हत्या जैसे जुर्म को अंजाम दिया जा रहा है। इस तरह से ये लोग पुलिस की वर्दी / कैमॉफ्लाज वर्दी का दुरुपयोग कर रहे हैं। और मणिपुर पुलिस इस तरह के जुर्म के प्रयासों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।”
कोम समुदाय राज्य की अल्पसंख्यक जनजातियों में से एक है। कोम यूनियन मणिपुर के प्रतिनिधि ने मीडिया को बताया कि कोम समुदाय राज्य में चल रही हिंसा में किसी का पक्ष नहीं ले रहा है। हिंसा ने ज्यादातर कुकी और मैतेई को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है। हालांकि राज्य में चल रहे जातीय हिंसा में पहली बार किसी कोम समुदाय के व्यक्ति को जान गंवानी पड़ी है।
मणिपुर में कई जातियां रहती हैं। 3 मई से हिंसा शुरु होने के बाद कुछ जातियों ने मैतेई-कुकी के हिंसा से अपने-आप को दूर रखा था। लेकिन गाहे-बेगाहे इस तरह की हिंसा का शिकार और भी जाति के लोग होते रहे हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “ऐसे ही एक ऑपरेशन में शनिवार को पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया और अदालत ने उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया” जिसके बाद गिरफ्तारी का विरोध करते हुए भारी संख्या में लोगों ने पूर्वी इम्फाल जिले में स्थित पोरोम्पैट पुलिस स्टेशन पर हमला किया।
डिफेंस प्रवक्ता ने बयान दिया है कि “सर्टो का 10 वर्षीय बेटा जो कि अपराध का एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी है। ने बयान दिया है कि जब पिता और पुत्र बरामदे पर काम कर रहे थे तो तीन बदमाश घर में घुस आए और उन्होंने उसके पिता के सिर पर पिस्तौल रख दी। और उसे जबरदस्ती एक सफेद रंग की गाड़ी में बिठाया और अपने साथ लेकर चले गए।”
रविवार सुबह साढ़े नौ बजे सर्टो के आवास से लगभग 20 किमी दूर खुनिंगथेक निकटवर्ती पूर्वी इंफाल जिले में उनका शव मिला है। सर्टो की मौत सिर में गोली लगने से हुआ है। सेना के प्रवक्ता ने बताया कि सिपाही 3 सितंबर से 15 दिनों की छुट्टी पर था। उन्होंने कहा, उसे आज यानी रविवार को वापस पदभार ग्रहण करना था।
शुक्ला ने आगे कहा कि “सिपाही सर्टो थांगथांग कोम की हत्या को लेकर सेना कड़ी निंदा करती है और इस कठिन समय में उनके परिवार के साथ खड़ी है। उनका अंतिम संस्कार परिवार की इच्छा के अनुसार किया जाएगा। सेना ने शोक संतप्त परिवार की हरसंभव मदद के लिए एक टीम भेजी है।”
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