ग्राउंड रिपोर्ट: छत तोड़ कर घरों में घुसी पेयजल योजना की पाईपें, बड़े हादसे की आशंका

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पेयजल योजना की पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है। लेकिन शुक्रवार की सुबह छह बजे अचानक अफरातफरी मच गयी जब पेयजल योजना की पांच इंची दर्जनों पाईपें टूट कर घरों की छत फाड़ते हुए घरों से बाहर जा गिरीं। सुबह-सुबह ऊपर से आती पाईपों की आवाजें और उड़ती धूल देखकर लोग घरों से बहार भाग गये। कुछ लोग घरों में भी थे जो बाल-बाल बचे। आती हुई पाईपों की स्पीड इतनी अधिक थी कि घरों की तीन-तीन दीवारें तोड़ कर पाईपें कई-कई मीटर दूर खेतों में जा गिरी। लोगों का कहना है कि इतना अधिक तो विस्फोट भी नहीं होता।

उक्त घटना हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के तहसील करसोग के अंतर्गत आने वाली परलोग पंचायत के शिर्मी गांव की है। हादसे के समय मौजूद रामकृष्ण (30) का कहना है कि वह जिस कमरे में सो रहे थे उसी में पाईपें घुसी। पहली पाईप छत्त के ऊपर से गुजर कर दूसरे घर के आंगन में गिरी, छत हिली तो मैं तुरंत बाहर भागा। देखते-देखते दूसरी पाईपें छतों में घुसी, दीवारें फाड़ी और बाहर निकल गयी। अभी घर के अंदर जाने से भी डर लग रहा है। पहाड़ पर जंगल में और पाईपें बिखरी पड़ी हैं जो कभी भी हादसे में तब्दील हो सकती हैं।

रामकृष्ण (30) हादसे के समय मौजूद था, इसी कमरे में सो रहा था

पास ही में लगभग 50 साल पुराने मिट्टी के मकान की छत और दो दीवार फाड़ कर 20-20 फुट की पांच पाईपें खेतों में जा गिरी, दो पाईपों ने तीन दीवार फाड़ी और वह घर से लगभग बीस फुट दूर खेतों में जा गिरी। इनकी स्पीड का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन पाइपों ने लगभग 15 से 20 इंच की तीन मोटी दीवारों को भेद दिया है। गनीमत यह रहा कि सुबह-सुबह रेशमी देवी चूल्हे के पास बैठी आटा गूंध रही थीं। संभलने का मौका तक नहीं मिला, एक पाईप उसके सिर के ऊपर से दीवार छेद कर बहार निकल गयी। खुदा न खास्ता अगर वह खड़ी होती तो उसका सिर धड़ से अलग होता। वह पूरे दिन से सदमे में है।

उनका बार-बार एक ही सवाल है कि अब हम कहां रहेंगे। एक-एक पत्थर जोड़ कर उन्होंने घर बनाया था। मुश्किल से पानी पहुंचाया। लकड़िया ढोई। खच्चरों के साथ खुद खच्चर बने। दरअसल शिर्मी गांव तक सड़क नहीं पहुंची है। अभी भी लोगों को एक घंटे की खड़ी चढ़ाई कर बाजार या अन्य कामों में के लिए जाना पड़ता है। पढ़ने वाले बच्चे दो-दो घंटे पहाड़ पार कर स्कूल जाते हैं। दो सीमेंट के कट्टे पहुंचाने के लिए 500 रुपये किराया लगता है। क्योंकि खच्चर के साथ यहां पहुंचने में 4 से 6 घंटे लग जाते हैं।

परिवार की मुखिया शैरी देवी उनकी एक मात्र सुरक्षित बची रसोई में बैठ कर रोने लग जाती है। शाम होने लगी है और सोने के लिए उनके पास आज केवल खुला आसमान है। सर्दियां जोर पकड़ रही है। गांव के नीचे तेज सतलुज बहती है। पहाड़ों में बुजुर्ग तो रसोई में ही सोते हैं क्योंकि वह गरम रहती है। लेकिन उसके तीन बेटे, उनका परिवार घर में मौजूद तिरपाल को बाहर बिछाना शुरू कर चुके हैं। घर की रज्जाई, गद्दे, अनाज उस पर बेतरतीब रखा हुआ है। घर के अंदर से सारा सामान निकाल लिया है कहीं गिर कर सारा ही न दब जाए।

शैरी देवी ने कहा कि उनके पति गोवर्धन दास की उम्र 92 साल हो गयी है। तीन बेटों ने अब तक जितनी कमाई की वह दो मकान बनाने में लगा दी। एक अधूरा है और यह पक्का था। हमारा पुराना मकान भी चला गया और नया भी चला गया। यह सब पेय जल योजना के कारण हुआ है। हमने ठेकेदार और उसके कर्मचारियों को पहले ही कहा था कि इसको घर से दूर बनाओ। यह टूट कर हमारे ऊपर गिरेंगे। लेकिन किसी ने कुछ नहीं सुनी। हमें घर के बदले घर चाहिए चाहे सरकार बनाए या ठेकेदार बनाए। इससे कम कुछ नहीं चाहिए।

गोवर्धन दास, (92) परिवार का मुखिया

प्रशासन और ठेकेदार बेखबर और लापरवाह

सुबह हादसा हुआ और शाम तक परिवार को कोई फौरी राहत नहीं मिली जबकि हिमाचल में इसका प्रावधान है। तत्तापानी चौकी को जब खबर मिली तो शाम को चार बजे हमारे साथ दो पुलिस वाले साथ गये। मौके का मुआयना कर और बयान दर्ज कर वापिस आ गये। अधिकारियों से संपर्क किया गया, स्थानीय विधायक से संपर्क किया लेकिन कोई नहीं आया। हार कर एक स्थानीय सोशल मीडिया चैनल मईनेट टीवी के साथियों ने वहां से सीधा लाईव किया। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दबाव बनाया। अंधेरा घिर आने पर जल शक्ति विभाग का एक जूनियर इंजीनियर वहां पहुंचा। उसने कुछ नोट्स लिये और आश्वासन दिया कि वह अपने उच्च अधिकारी को यह सब रिपोर्ट करेगा और कल कुछ कार्रवाई होगी।

लोगों का कहना है कि पाइपें वेलडिंग से जोड़ी गयी हैं लेकिन सैकड़ों पाईपों को जमीन पर लिटाते हुए ले गये। कहीं पर भी सिमेंट से बुर्जियां नहीं लगाई गयी ताकि उनको सहारा मिल सके। हम बार-बार कर्मचारियों को बोलते रहे, क्योंकि ठेकेदार तो यहां आकर भी नहीं देखते।

(गगनदीप सिंह की रिपोर्ट।)

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