पंजाब: मुख्यमंत्री ‘तीर्थ यात्रा’ योजना पर हाईकोर्ट सख्त

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 27 नवंबर को सूबे के लोगों के लिए मुफ्त तीर्थ यात्रा योजना शुरू की थी। इसके तहत जारी वित्तीय वर्ष में तेरह हफ्तों के लिए 13 ट्रेनें चलाना सुनिश्चित किया था। साथ ही दस बसें। ट्रेन यात्रा में एक हजार और प्रत्येक बस में 43 यात्रियों को ले जाने की घोषणा की गई थी। इस योजना पर राज्य सरकार के 40 करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्रतिवर्ष पचास हजार लोगों को तीर्थ यात्रा करवाने की घोषणा की गई थी। पंजाब सरकार की मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए नोटिस जारी किया है और पूछा है कि क्यों न इस पर रोक लगा दी जाए।

दरअसल, जिला होशियारपुर निवासी परविंदर सिंह किटना ने एडवोकेट एचसी अरोड़ा के माध्यम से हाईकोर्ट में इस बाबत जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें इस तीर्थ यात्रा योजना को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायाधीश निधि गुप्ता की बेंच ने जनहित याचिका में पंजाब सरकार को 12 दिसंबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। बेंच ने कहा कि राज्य के युवा रोजगार को तरस रहे हैं और सरकार मुफ्त तीर्थ यात्रा पर करोड़ों रुपए खर्च रही है। सरकार को इसका स्पष्टीकरण देना होगा।

याची परविंदर सिंह ने दलील देते हुए कहा है कि यह योजना सीधे तौर पर करदाताओं के पैसे की बर्बादी है, क्योंकि इससे कोई विकास या कल्याण नहीं होगा। सर्वोच्च न्यायालय की ओर से भारत सरकार बनाम रफीक शेख और अन्य के मामले में मुस्लिम समुदाय के लोगों को हज यात्रा के लिए सब्सिडी में होने वाले खर्च पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि हर साल हज सब्सिडी को कम करे और दस साल में इसे पूरी तरह खत्म कर दे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि सब्सिडी का पैसा शिक्षा और सामाजिक विकास व अन्य उत्थान के लिए अधिक लाभप्रद रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।

शनिवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार से कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक हलफनामा दायर करके यह बताए कि कितने लोगों ने ऐसी तीर्थ यात्रा योजना शुरू करने की मांग की। इस योजना को फिर क्यों शुरू किया गया, जबकि 2017 में इसी तरह की योजना को तत्कालीन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के नोटिस के बाद वापस ले लिया था। मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना क्यों बंद नहीं की जा सकती है। बेंच ने सरकार को राज्य के खर्चे पर मुफ्त तीर्थ यात्रा योजना का औचित्य बताने का निर्देश दिया है।

प्रसंगवश, पंजाब में धर्म के नाम पर खूब राजनीति होती है। पूर्ववर्ती शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस की सरकारें धार्मिक भावनाओं को मद्देनजर रखते हुए सियासत करती रही हैं। मौजूद आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने भी यह राह अख्तियार कर ली है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा को चुनौती के बाद भगवंत मान सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं। इस बाबत राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री से बात की गई तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मामला कोर्ट में है और इस पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। प्रशासनिक अधिकारियों का भी कुछ ऐसा ही जवाब था।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

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