रैदास की समता की संकल्पना आधुनिक भारत के संविधान की संकल्पना और न्याय की चाह है

हरदोई। संविधान में दिए गए सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक न्याय की संकल्पना और समता, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता का विचार संत रैदास की बेगमपुरा रचना में दिखता है। वाराणसी में संत रैदास की प्रतिमा बनाकर उनकी परंपरा को हड़पने की आरएसएस और मोदी सरकार की कोशिश सफल नहीं होगी।

संत रैदास अपने रचना में कहते हैं कि ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सबन को अन्न। छोट बड़ो सब सम बसें रैदास रहे प्रसन्न। वह कहते हैं कि जात जात में जात है जो केलन के पात। रैदास मानुष न जुड़ सके जब तक जात न जात। वह देश की एकता के लिए कहते हैं कि हिंदू तुरक नाहीं कछु भेद। सभी में एक रक्त और मासा। इससे स्पष्ट है कि रैदास जी की रचना जनसाधारण के राज की बात करती है और एक ऐसे लोकतांत्रिक गणराज्य को बनाने की जिसमें जनता की भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक सभी ज़रूरतें पूरी हो इसकी कल्पना करती है। उनके विचार आरएसएस की हिंदुत्व विचारधारा के खिलाफ मजबूती से खड़े होते हैं। आज जरूरत है संत रैदास जी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की और इनके आधार पर देश में एक बड़ी जन राजनीति को खड़ा करने की।

यह बातें आज हरदोई के तेरिया भवानीपुर में आयोजित संत रैदास व संत गाडगे की जयंती पर आयोजित सम्मेलन में वक्ताओं ने कहीं। सम्मेलन की अध्यक्षता पूर्व कमिश्नर इनकम टैक्स सी. के. सिंह ने और संचालन आईपीएफ प्रभारी व मानव कल्याण एकता समिति के संयोजक राधेश्याम कनौजिया ने किया।

वक्ताओं ने कहा कि आज कॉर्पोरेट हिंदुत्व गठजोड़ द्वारा देश में चल रही तानाशाही के राज्य के खिलाफ रैदास जी की रचना बेगमपुरा जन राजनीति के राज्य का प्रमाणिक दस्तावेज है। समता, स्वतंत्रता बंधुत्व और न्याय की जो भावना संविधान में कही गई है और लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता की जो बातें है यही संकल्पना रैदास जी की है। वक्ताओं ने कहा कि देश की पूरी संपत्ति को चंद कॉर्पोरेट घरानों के हवाले करके मोदी सरकार उसकी एजेंट बनी हुई है और इसीलिए किसानों से किया हुआ वादा वह पूरा नहीं कर रही है। उलटे एमएसपी पर कानून बनाने की जगह किसानों पर दमन और उत्पीड़न करने में पूरी ताकत लगा रही है। इसके खिलाफ जनता के जीवन से जुड़े हुए सभी सवालों पर एक बड़ी एकता बनानी होगी।

सम्मेलन में एजेंडा यू.पी. पर चर्चा हुई और हर परिवार की एक सदस्य को सरकारी नौकरी, किसानों के लिए एमएसपी कानून, हरणभूमिहीन परिवार को एक एकड़ जमीन व आवासीय भूमि, शिक्षा व स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाना और 12 घंटा काम के लिए लाए गए लेबर कोड को रद्द करने, लोकतांत्रिक नागरिक अधिकारों पर हमले बंद करने जैसे सवालों पर गोलबंदी करने का निर्णय लिया गया।

सम्मेलन को ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर, एचबीटीआई कानपुर के प्रोफेसर बृजेंद्र कटियार, भागीदारी आंदोलन के पी.सी. कुरील, बैंक के सेवानिवृत अधिकारी नागेंद्र कुमार सिंह कनौजिया, भूतपूर्व प्रधानाचार्य प्रताप नारायण कनौजिया, भगत सिंह पुस्तकालय के प्रभारी कौशल किशोर यादव, वैचारिक चेतना संघ के गया प्रसाद पाल, भाकपा माले प्रभारी ओम प्रकाश, बदलाव के अभिषेक पटेल, राम विचार गौतम, शिकारी समिति के अध्यक्ष मुन्नीलाल रावत आदि ने संबोधित किया।

(ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की प्रेस विज्ञप्ति।)

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