विश्वभारती विश्वविद्यालय विवाद: संगमरमर पट्टिकाओं की रक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी तैनात

नई दिल्ली। विश्वभारती विश्वविद्यालय में दो संगमरमर पट्टिकाओं पर संस्थापक रबींद्रनाथ टैगोर का नाम नहीं होने से उपजे विवाद से विश्वविद्यालय प्रशासन हलकान है। प्रशासन ने दोनों पट्टिकाओं की रक्षा के लिए सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए हैं। लेकिन उसके बावजूद परिसर का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। विश्वविद्यालय के यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल सूची में शामिल होने के बाद हाल ही में परिसर में दो संगमरमर पट्टिकाएं लगायी गई थीं। जिसमें विश्वविद्यालय के चांसलर नरेंद्र मोदी और वाइस चांसलर विद्युत चक्रवर्ती का नाम तो है लेकिन इसके संस्थापक रबींद्रनाथ टैगोर का नाम गायब था।

विश्वभारती विश्वविद्यालय दुर्गा पूजा के उपलक्ष्य में बंद है। कैंपस 1 नवंबर से फिर छात्र-छात्राओं से गुलजार होगा। छात्र-छात्राओं की परिसर में नगण्य संख्या होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन को डर है कि कहीं कोई सिरफिरा पट्टिकाओं को तोड़ न दे।

दरअसल, पट्टिकाओं पर चांसलर नरेंद्र मोदी और कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के नाम अंकित हैं, लेकिन टैगोर का उल्लेख नहीं है, जिन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इसे देखकर विश्वभारती के न सिर्फ छात्र-छात्राएं बल्कि प्राध्यापकों का एक बड़ा वर्ग नाराज हो गया है। प्रोफेसर इसे टैगोर का अपमान बता रहे हैं। शांतिनिकेतन की स्थापना विश्वगुरु रबींद्रनाथ टैगोर ने की थी। अब जब संस्थान को यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया तो इसके उपलक्ष्य में हुए कार्यक्रम और शिलापट्ट से उनका नाम गायब होना, उनका अपमान है।

संगमरमर की पट्टिकाओं की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्डों की तैनाती के बारे में पूछे जाने पर विश्वविद्यालय की कार्यवाहक जनसंपर्क अधिकारी महुआ बनर्जी ने कहा कि मुझे इसका कारण नहीं पता।
विश्वभारती के प्रशासनिक अधिकारियों को आशंका है कि टैगोर का नाम हटाए जाने से नाखुश समूह विरोध स्वरूप पट्टिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं या नष्ट कर सकते हैं।

शांतिनिकेतन को 17 सितंबर को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में जोड़ा गया था। विश्वविद्यालय से जुड़े एक शख्स ने कहा कि “टैगोर का नाम न होने के कारण पट्टिकाएं विवादास्पद हो गईं। हम निश्चित रूप से यथाशीघ्र उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उपलब्ध कराए गए नए शिलापट्ट से बदल देंगे। हालांकि, हम उन पट्टिकाओं पर किसी भी तरह का विवाद बढ़ाने के इच्छुक नहीं हैं, हम गलत तरीके से इसका विरोध नहीं करेंगे।”

ड्यूटी पर मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने कहा कि पट्टिकाओं की सुरक्षा करने का निर्देश ऊपर से आया था। सुरक्षा गार्डों की तैनाती पर शांतिनिकेतन निवासियों के साथ-साथ वरिष्ठ शिक्षकों के एक वर्ग ने भी ध्यान दिया।

विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ शिक्षक ने कहा कि “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्वविद्यालय ने जो पट्टिकाएं लगायीं उनकी सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड की आवश्यकता पड़ रही है। सुरक्षाकर्मियों की तैनाती साबित करती है कि उन्होंने कुछ गलत किया है।”

यूनेस्को द्वारा मिले सम्मान को प्रदर्शित करने के लिए हाल ही में विश्व-भारती अधिकारियों ने उपासना गृह (कांच का प्रार्थना कक्ष) और रबींद्र भवन परिसर के सामने एक-एक पट्टिका स्थापित की, जिसमें टैगोर के पांच आवास और एक संग्रहालय है। दोनों पट्टिकाओं पर “यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल” लिखा है और मोदी और चक्रवर्ती के नामों का उल्लेख है।

पट्टिकाओं पर अंकित नामों को लेकर उपजे विवाद के अब भाजपा सारा ठीकरा कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के सिर मढ़ रहा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस चूक पर प्रधानमंत्री कार्यालय चक्रवर्ती से खुश नहीं है।

उन्होंने कहा, “मोदीजी के नाम पर विवाद बढ़ने से पीएमओ के अधिकारी खुश नहीं हैं। पट्टिका पर मोदीजी के अलावा टैगोर का नाम भी होना चाहिए था।”

इस बीच विश्वभारती विश्वविद्यालय में पट्टिकाएं को बदलने की चर्चा भी तेज हो गयी है। प्रशासन का कहना है कि पट्टिकाएं अस्थायी हैं और उन्हें जल्द ही बदल दिया जाएगा। पट्टिकाओं को बदलने के विश्वविद्यालय के निर्णय ने इस बात को पुख्ता कर दिया कि दिल्ली के शीर्ष अधिकारियों ने विवादास्पद पट्टिकाओं को हटाने के लिए विश्वभारती के वरिष्ठ अधिकारियों को एक मौखिक संदेश भेजा।

लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन किसी भी मौखिक संदेश पाने से मना कर रहा है। क्योंकि विश्वविद्यालय के असंतुष्ट प्रोफेसर और छात्रों ने आरोप लगाया है कि यह सब कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के इशारे पर किया गया है।

कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट किया कि “नेहरू को मिटाना पर्याप्त नहीं था। अब, रवीन्द्रनाथ टैगोर का उन्मूलन भी शुरू हो गया है।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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