झारखंड के मनिका में 100 में से 44 प्राथमिक विद्यालयों में एक शिक्षक, आक्रोशित ग्रामीण जड़ेंगे ताला

झारखंड। बता दें कि वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत उन 12 देशों की सूची में दूसरे नंबर पर है, जहां दूसरी कक्षा के छात्र एक छोटे से पाठ का एक शब्द भी नहीं पढ़ पाते हैं। 12 देशों की इस सूची में मलावी पहले स्थान पर है। भारत समेत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अपने अध्ययन के नतीजों का हवाला देते हुए वर्ल्ड बैंक की वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2018 ‘लर्निंग टू रियलाइज एजुकेशन्स प्रॉमिस’ में कहा है कि ‘ग्रामीण भारत में तीसरी कक्षा के तीन चौथाई छात्र दो अंकों के घटाने वाले सवाल को हल नहीं कर सकते और पांचवीं कक्षा के आधे छात्र भी ऐसा नहीं कर पाते हैं।’

इसका सटीक उदाहरण झारखण्ड में आए दिन देखने को मिलता है।

लातेहार जिलान्तर्गत मनिका प्रखंड का प्राथमिक विद्यालय जमुना, इस विद्यालय मे नामांकित है 120 बच्चे, इन 120 अध्ययनरत बच्चों पर एकमात्र नियुक्त शिक्षक हैं, जो 11.00 बजे आते हैं और 1.00 बजे वापस चले जाते हैं। इससे स्वतः समझा जा सकता है कि ऐसे में इन स्कूली बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियां किस तरह प्रभावित हो रही होंगी।

शिक्षा का अधिकार के लिए सरकार से सवाल करते बच्चे

बता दें कि यह समस्या अकेले जमुना में स्थित इस प्राथमिक विद्यालय की ही नहीं है, बल्कि मनिका प्रखण्ड के 100 प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1–5) में से 44 विद्यालयों की स्थिति यही है, जो एकल शिक्षकों के भरोसे है। सिर्फ इतना ही नहीं प्रखण्ड के 45 उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं जिनमें से 3 विद्यालय एकल शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं।

इन्हीं मामलों के आलोक में बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ और सरकारी अन्याय के खिलाफ 29 सितंबर को एक आक्रोश रैली निकाली गई। जो मनिका हाई स्कूल से मुख्य सड़क होते हुए प्रखण्ड कार्यालय तक पहुंच कर आम सभा में तब्दील हो गई। जिसमें विभिन्न गांवों से प्रभावित बच्चे, उनके अभिभावक और ग्राम स्वराज से जुड़े संगठन के लोग ग्राम स्वराज मजदूर संघ के बैनर तले इस आक्रोश रैली में भाग लिये।

रैली में शामिल लोग और बच्चे हाथों में तख्तियां लिए हुए अपनी बात कह रहे थे, तख्तियों पर – “क्या चाहता है लातेहार, शिक्षा का अधिकार”, “राष्ट्रपति का बेटा हो या गुलगुलिया की संतान, सबको शिक्षा एक समान”, “बाल बुतरू की एक पुकार, शिक्षा हो मूल अधिकार”, “बोझिल शिक्षा खारिज करो, काबिल शिक्षा हाजिर करो” आदि नारे लिखे थे।

स्कूली छात्र पोस्टर के जरिए अपनी बात कहते हुए

इस अवसर पर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सह सामाजिक कार्यकर्त्ता ज्यां द्रेज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “शिक्षा का अधिकार बच्चों का मौलिक अधिकार है और इसको हर हालत में पूरा करना जरूरी है”। उन्होंने आगे कहा कि “यह बच्चों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है कि उन्हें ऐसे स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है, जहां टीचर न हों”।

उन्होंने बताया कि “हर तीस बच्चों पर एक शिक्षक होने चाहिए और हर स्कूल में कम से कम 2 शिक्षक होने चाहिए। हम कई ऐसे बच्चों से मिले जो पांचवी कक्षा में हैं, लेकिन किताब नहीं पढ़ पा रहे हैं। जिसका मतलब यह नहीं है कि बच्चें बेवकूफ हैं, इसका मतलब यह है कि सरकार बच्चों को पढ़ा नहीं रही है।”

सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्त्ता जेम्स हेरेंज ने कहा कि “बच्चों को शिक्षा से वंचित करना एक हिसाब से देश को कमजोर करना है। क्योंकि आज के बच्चे ही कल के भविष्य होते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “ऐसा नहीं है कि ऐसी स्थिति अकेले केवल मनिका की ही है, बल्कि पूरे राज्य की ही यही स्थिति है।” जेम्स हेरेंज ने बताया कि “झारखण्ड में 2016-17 के बाद से किसी भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। क़ानूनी प्रावधान के हिसाब 44 विद्यालयों में 106 टीचर होने चाहिए, लेकिन केवल 44 हैं, इन स्कूलों को 62 टीचर और चाहिए।”

प्राथमिक स्कूल के बच्चे अपना अधिकार मांगते हुए

उन्होंने खुलासा किया कि “ज़िला शिक्षा पदाधिकारी (कविता खलखो) सारी परेशानियों को जानते हुए भी कहती हैं कि ‘मैनेज कीजिए’ इसका मतलब यह हुआ कि संविधान में राज्य को जो निर्देश दिए गये हैं। उन संवैधानिक जवाबदेही को सरकार पूरा करने में विफल हुई है। आदिवासी और दलित बच्चों को शिक्षा से वंचित करना एक साजिश का हिस्सा भी है। क्योंकि शिक्षा से नौजवान सवाल पूछना प्रारंभ करते हैं और सरकारों के लिए जवाब देना मुश्किल होता है”।

सभा को ग्रामीण मनोज सिंह, संतोष सिंह, वीना देवी, सकलदीप सिंह, छात्रा पायल कुमारी, यमुना देवी तथा ग्राम स्वराज मजदूर संघ की तरफ से श्यामा सिंह, नेमी देवी, परान, अपूर्व जुगेश्वर सिंह, लालबिहारी सिंह, दिलीप रजक, महावीर परहिया, आदि ने भी संबोधित किया।

अवसर पर आक्रोशित ग्रामीणों ने कहा कि अगर सिस्टम में सुधार नहीं हुआ तो हम इन स्कूलों में ताला जड़ेंगे।

वहीं अवसर पर पटना के लोकगायक मनोज सिंह ने जागरूकता गीत पेश किया। कार्यक्रम के अंत में अभिभावकों द्वारा हस्ताक्षरित मांगों के समर्थन में झारखण्ड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है, जिसे सभा में श्यामा सिंह ने पढ़ा। सभा का संचालन प्रेमा तिग्गा ने किया।

(विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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