टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू जमानत पर रिहा, राह में अभी भी कई रोड़े

नई दिल्ली। तेलगु देशम पार्टी (TDP) के सुप्रीमो एवं आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू मंगलवार को जमानत पर रिहा होने के बाद बुधवार सुबह उंदावल्ली स्थित अपने घर पहुंचे। उन्हें कौशल विकास निगम घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया था। जमानत पर रिहा होने के बाद चंद्रबाबू नायडू राजामहेंद्रवरम से 13 घंटे की लंबी सड़क यात्रा के बाद सुबह लगभग 6 बजे अपने घर पहुंचे, जहां परिवार के सदस्यों और पार्टी समर्थकों ने उनका स्वागत किया। टीडीपी प्रमुख ने बाद में पत्नी एन भुवनेश्वरी और रिश्तेदारों के साथ प्रार्थना में भाग लिया।

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार को स्वास्थ्य आधार पर नायडू को चार सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम जमानत दी थी।

नायडू का काफिला मंगलवार शाम करीब पांच बजे पूर्वी गोदावरी जिले के राजामहेंद्रवरम से निकला। गुंटूर जिले के उंदावल्ली के रास्ते में, जहां उनका आंध्र प्रदेश निवास कृष्णा नदी के तट पर स्थित है, पूर्व सीएम के स्वागत में सैकड़ों लोग सड़क के किनारे खड़े थे।

उनकी यात्रा की शुरुआत में लगभग 5 किमी तक यातायात रुका रहा क्योंकि बड़ी संख्या में पार्टी समर्थक नायडू की एक झलक पाने के लिए आए थे। टीडीपी के कई नेता भी पार्टी सुप्रीमो के काफिले के साथ चल रहे थे।

चंद्रबाबू नायडू का भव्य स्वागत

ऐसा लग रहा था जैसे आंध्र प्रदेश में दिवाली पूरे 12 दिन पहले आ गई, कम से कम तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के समर्थकों और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के प्रशंसकों के लिए। पार्टी कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के 53 दिन बाद अपने नेता की वापसी का जश्न मनाने के लिए पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटीं।

देर रात तक जब चंद्रबाबू नायडू राजमुंदरी सेंट्रल जेल से गुंटूर के उंदावल्ली स्थित अपने घर तक सड़क यात्रा की, तो अपने नेता की एक झलक पाने, उनका स्वागत करने और समर्थन दिखाने के लिए बड़ी भीड़ जमा थी।

चंद्रबाबू नायडू की कम नहीं हो रही मुश्किल

चंद्रबाबू नायडू अच्छी तरह जानते हैं कि यह एक अस्थायी राहत है जो उन्हें अदालतों से मिली है। उन्हें चिकित्सा आधार पर चार सप्ताह की सशर्त अंतरिम जमानत मिली है। और उन्हें 28 नवंबर को शाम 5 बजे से पहले जेल अधीक्षक के सामने “आत्मसमर्पण” करने के लिए कहा गया है।

चंद्रबाबू नायडू की मुश्किल कम नहीं हो रही है। कौशल विकास निगम घोटाला मामले में अंतरिम जमानत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी कथित भ्रष्टाचार के कम से कम तीन और मामलों, फाइबरनेट मामला, इनर रिंग रोड मामला और नवीनतम शराब लाइसेंस मामले के साथ तैयार बैठे हैं, जिसमें नायडू को एक आरोपी के रूप में नामित किया गया है। और अभियोजन पक्ष उन्हें गिरफ्तार करने पर जोर दे रहा है। फिलहाल नए मामले नायडू का इंतजार कर रहे हैं।

राजनीतिक जीवन में आते रहे उतार-चढ़ाव

एन. चंद्रबाबू नायडू छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हैं। 20 साल की उम्र में श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति के बाद वह 1975 में युवा कांग्रेस में शामिल हुए। नायडू 28 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विधायक बने, 30 साल की उम्र में मंत्री बने और फिर 45 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बने। 2014 में विभाजित राज्य के मुख्यमंत्री बनने और 2018 में फिर से सत्ता खोने के बाद नायडू के राजनीतिक ग्राफ में कई उतार-चढ़ाव देखे गए।

एक अनुभवी राजनेता के रूप में, वह जानते हैं कि उन्हें खेल को उसके नियमों के अनुसार खेलना होगा। 73 वर्ष की उम्र में अब स्वास्थ्य उनका साथ नहीं दे रहा है। इस ताजा लड़ाई में उनके पास सबसे अच्छा मौका 2024 में आंध्र प्रदेश जीतकर राजनीतिक वापसी करने का है।

इसलिए भले ही नायडू को सशर्त जमानत पर रिहा किया गया है, जगन मोहन रेड्डी सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि उनकी राजनीतिक गतिविधि पर प्रतिबंध लगाए जाएं, अनुभवी राजनेता ने इस अवसर का उपयोग खुद को सर्वोत्तम तरीके से पेश करने के लिए किया।

जेल जाने के बाद से टीडीपी का काम नायडू ने अपनी पत्नी भुवनेश्वरी और बहू ब्राह्मणी को सौंप दिया था। लेकिन दोनों कभी भी राजनीतिक सुर्खियों में नहीं रहीं। लेकिन दोनों की सक्रियता ने उन्हें राज्य भर में चर्चित कर दिया है।

चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि राजनीति में कोई गलत काम नहीं किया

एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि “अपने 45 साल के राजनीतिक जीवन में मैंने कोई गलत काम नहीं किया है और मैं दूसरों को भी गलत करने की इजाजत नहीं देता हूं।”

उन्होंने कहा कि “ कोई भी राजनेता अपने जीवनकाल में इसका अनुभव नहीं कर सकता। मैं आभारी हूं कि लोग मुझे मेरे द्वारा किए गए विकास कार्यों के लिए याद करते हैं, उदाहरण के लिए, 25 साल पहले हैदराबाद में हाईटेक सिटी के निर्माण के लिए।”

उन्होंने कहा कि “मैं न केवल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, बल्कि पूरे भारत और दुनिया भर के लोगों के जबरदस्त समर्थन के लिए आभारी हूं।” “जन सेना सामने आई और खुले तौर पर हमारा समर्थन किया। हमें भाजपा, बीआरएस, सीपीआई और यहां तक कि कांग्रेस से भी समर्थन मिला।”

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

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