मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के विरोध में पंजाब से उठीं आवाजें     

चंडीगढ़। सूरमों की सरजमीं पंजाब को हर जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी जाना जाता है। मणिपुर की घटना का पंजाब में गैर भाजपाई राजनीतिक दल मुखर होकर तीखा विरोध कर रहे हैं। बेशर्म भाजपा खामोश है। हिंसा की आग में बेतहाशा झुलस रहे मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने की घटना के विरोध में पंजाब में कई जगह मोमबत्ती मार्च भी निकाले गए। आम आदमी पार्टी (आप), कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने एक सुर में इस घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से इस्तीफे की मांग की है और केंद्रीय सरकार की कारगुजारी पर कई सवालिया निशान लगाए हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि यह जघन्य मानवीय अपराध है और गुनाहगारों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए जो आगे जाकर मिसाल बन जाए। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि असहाय महिलाएं मानवता के खिलाफ इस जघन्य अपराध का शिकार हुईं। यह बर्बर घटना देश की अंतरात्मा पर बहुत बड़ा कलंक है। ऐसे अपराधी किसी भी तरह के रहम के लायक नहीं हैं और ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा कानून-व्यवस्था के जरिए मिलनी चाहिए।

पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने मणिपुर की घटना को लेकर ट्वीट किया कि मणिपुर में महिलाओं को नग्न कर घुमाने और यौन उत्पीड़न के भयावह वीडियो से स्तब्ध हूं। तकरीबन तीन महीने हो गए लेकिन 56 इंच की छाती का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य में हो रही हिंसा पर खामोश हैं। 

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष, पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया कि सोशल मीडिया पर वीडियो के जरिए उजागर, मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुए भयानक, बेशर्म और क्रूर अपराधों से सकते में हूं। यह मानवता के खिलाफ और महिलाओं के सम्मान के साथ जीने के अधिकार के खिलाफ बहुत बड़ा अपराध है। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने एक बड़ा राष्ट्रीय अपमान है, इसने हमारी राष्ट्रीय चेतना को झकझोर दिया है। यह विचार करने का समय आ गया है कि हम स्वयं को कहां ले आए हैं और हम कितना नीचे गिर गए हैं।

बादल ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान वाले हस्तक्षेप का स्वागत करते हैं और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तथा राज्य के मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं कि वे दोषियों के लिए अनुकरणीय सजा सुनिश्चित करें। 

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने भी ट्वीट कर घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने केंद्र सरकार को संबोधित करते हुए लिखा- “मणिपुर घटनाक्रम और पूरे देश का आक्रोश भारत के माथे पर कलंक है। इस अराजकता और जंगलराज को खत्म किया जाना चाहिए। जातीय समूहों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के खिलाफ ज्यादतियों पर सख्ती से अंकुश लगाया जाना चाहिए। देश की बेटियों को अपमानित करने वाले और मासूमों की बेरहमी से हत्या करने वाले जानवरों और कसाइयों को अनुकरणीय सजा मिलनी चाहिए। इतना कुछ होता रहा और नरेंद्र मोदी तमाशा देखते रहे। उन्हें प्रधानमंत्री के पद से तत्काल त्यागपत्र दे देना चाहिए। इस कुर्सी पर बैठने का उन्हें कोई हक नहीं।”

मणिपुर में दो महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के वायरल हुए वीडियो पर आम आदमी पार्टी के सांसद, पंजाब सरकार के सलाहकार राघव चड्ढा कहते हैं, “इस घटना ने मानवता को बेहद शर्मसार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके मंत्री, सांसद और एनडीए के सहयोगी खामोश क्यों है? जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस घटनाक्रम को लेकर भारत की खूब बदनामी हो रही है। पूर्वी राज्यों में हो रही क्रूर हिंसा को दर्शाने अथवा सार्वजनिक करने वाली सामग्री रोज सामने आ रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी जल्दी समझ जाएगा कि भाजपा के हाथों भारत सुरक्षित नहीं है।”

राघव चड्ढा ने कहा कि “मणिपुर में केंद्र की सरकार पूरी तरह से नाकारा साबित हुई। क्या यही उनका ‘न्यू इंडिया’ है? मैं पूछता हूं कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति 21वीं सदी के भारत का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका प्रधानमंत्री अक्सर अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के दौरान बड़े-बड़े दावे करता है? यह सामने आ रहा है कि जब मणिपुर जल रहा था तब एनडीए की बैठक में हिस्सा ले रहे 28 दलों में से 10 दल उत्तर-पूर्व के थे, लेकिन उनमें से किसी ने प्रधानमंत्री से यह पूछने की हिम्मत नहीं की कि मणिपुर इतने दिनों से क्यों सुलग रहा है?” 

आम आदमी पार्टी के विधायक सरबजीत कौर माणुके ने केंद्र की भाजपा सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि मणिपुर का वीडियो समूची मानवता को शर्मसार करता है। चेयरपर्सन प्रभजोत कौर ने कहा कि भाजपा अब बृजभूषण जनता पार्टी बन चुकी है।

उधर, मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने का वीडियो वायरल होने के बाद, विरोध स्वरूप पंजाब के जालंधर, लुधियाना, अमृतसर, बठिंडा और पटियाला में मोमबत्ती मार्च निकाला गया और एक सुर में मांग की गई कि दोषियों को यथाशीघ्र सख्त से सख्त सजा दी जाए। भारतीय किसान यूनियन और लोक मोर्चा ने भी मणिपुर घटनाक्रम की जबरदस्त आलोचना की है।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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