“अमृतकाल जश्न” के बीच “मूत्रकाल” का बढ़ता बवंडर, देश में यह कैसी नई संस्कृति?

उत्तर प्रदेश। देश में अमृतकाल का उत्सव-महोत्सव मनाया जा रहा है, तो वहीं सरकार के 9 साल बेमिसाल का हर्ष। हर्ष भी ऐसा कि पूरी सत्ता झूम रही है। सत्ता के इस हर्ष में दबे-कुचलों और गरीब, दलित, आदिवासी समाज के लोगों का जो हश्र हो रहा है वह इस “उत्सव, महोत्सव और नौ साल बेमिसाल” स्लोगन के लिए किसी “कालिख” और “कलंक कथा” से कम नहीं है। राज्य की कानून व्यवस्था के लिए यह चुनौती साबित हो रहे हैं तो मानवता, इंसानियत को शर्मशार करते हुए आज के आधुनिक युग की उपयोगिता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

मध्य प्रदेश के शिवराज राज्य से प्रारंभ हुआ “मूत्रकाल” अभियान की आंच उत्तर प्रदेश के योगीराज में बवंडर मचाए हुए है। पहले मध्य प्रदेश में दलित के ऊपर “मूत्र” कर सभ्य समाज की उपयोगिता को तार-तार किया गया, इसकी आग पूरी तरह से बुझी भी नहीं थी कि आंच योगीराज की सीमा में प्रवेश कर चुका है। प्रारंभ होता है आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से जो पिछड़ेपन, नक्सलवाद का दर्द समेटे हुए है।

सोनभद्र के शाहगंज थाना क्षेत्र में दलित को थूक कर चप्पल चटाने का मानवीय संवेदना को झकझोर कर रख देने वाला वीडियो वायरल होने का मामला थमा भी नहीं था कि जुगैल थाना क्षेत्र की घटना ने दोबारा लोगों को, खासकर जागरूक समाज की उपयोगिता पर सोचने के लिए बाध्य किया है कि क्या इसे ही कहते हैं सभ्य और जागरूक समाज?

सोनभद्र जिले के निवासी पूर्व दलित विधायक परमेश्वर दयाल “जनचौक” को सोनभद्र में दलितों के साथ हाल के दिनों में बढ़ते घटनाक्रमों पर चर्चा करते हुए कहते हैं “इस प्रकार की घटनाएं सभ्य समाज के लिए कलंक साबित हो रही हैं। आखिरकार हम किस समाज की परिकल्पना कर रहे हैं। कोई दलित को थूक कर चप्पल से चटाने का घृणित कार्य कर रहा है तो कोई किसी के ऊपर पेशाब कर रहा है। यह कैसी नई संस्कृति डेवलप हो रही है?”

पूर्व विधायक परमेश्वर दयाल

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के ओबरा विधानसभा क्षेत्र के सोनभद्र जिले के जुगैल थाना क्षेत्र अंतर्गत घटीटा गांव चोपन से पश्चिम दिशा में स्थित यह गांव घनघोर जंगल, पहाड़ी वाला भू-भाग है। आदिवासी, दलित, पिछड़ी बिरादरी बाहुल्य यह इलाका पिछड़ेपन का भी शिकार है। इससे भी कहीं ज्यादा यह इलाका अंधविश्वासों की जकड़न में जकड़ा हुआ दिखाई देता है। सोनभद्र जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किमी दूर यह गांव 11 जुलाई 2023 मंगलवार को सुर्खियों में आ गया था।

सुर्खियों में आने का भी कारण माननीय संवेदना को झकझोर कर रख देने वाली एक घटना से जुड़ा है, जो कानून व्यवस्था के माथे पर कलंक कहे जाने के साथ-साथ इंसानियत को भी झकझोर रहा है। दरअसल, घटीटा गांव निवासी जवाहिर पटेल, बगल के चंदौली गांव का कुलाटे पुत्र झारखंडी तथा टुसगांव निवासी गुलाब कोल आपस में दोस्त बताये जाते हैं। 11 जुलाई को घटीटा गांव में जवाहिर पटेल, गुलाब कोल और कुलाटे दलित ने एक साथ खाने-पीने के साथ शराब का सेवन किया।

इसी दौरान जवाहिर पटेल गुलाब कोल के बीच किसी बात को लेकर कहा-सुनी हो गई। शराब के नशे में गुलाब कोल जवाहिर पटेल के घर के सामने जमीन पर बेसुध पड़ जाता है। जिस पर आवेश में आकर जवाहिर पटेल गुलाब कोल के कान और मुंह में “पेशाब”(मूत्र) कर देता है। यह सिलसिला दो तीन बार तक जारी रहता है। गुलाब कोल के मुंह और कान में मूत्र करने का वीडियो कुलाटे दलित बना लेता है। जो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है।

जिसके वायरल होने के बाद हड़कंप मच जाता है। आनन-फानन में पुलिस जवाहिर पटेल और कुलाटे दलित को उठाकर थाने ले जाती है। जानकारी होने पर पुलिस अधीक्षक सोनभद्र डॉ. यशवीर सिंह, डीआईजी विंध्याचल परिक्षेत्र भी पूरे लाव लश्कर के साथ गांव का दौरा करते हैं। इस घटनाक्रम के बाद मौके पर राजनीतिक दलों के नेताओं की परिक्रमा प्रारंभ हो चुकी है। ग्रामीण भी अचानक से इस “मूत्रकाल” के बाद पहाड़ी पिछड़े गांव में नेताओं के लग्जरी कार को देख अचरज में पड़ जा रहे हैं, कि आखिरकार अचानक गांव में इनका आगमन कैसे हो रहा है?

दल-बल के साथ पहुंची पुलिस

कौन है गुलाब ? 

उत्तर प्रदेश के विंध्याचल (मिर्ज़ापुर) मंडल मुख्यालय से तकरीबन 136 किमी और सोनभद्र जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित ग्राम सभा टापू अंतर्गत ग्राम पंचायत टुसगांव, कई टोलो (पुरवों) में बंटा हुआ है, जिसमें टुसगांव सहित कई पहाड़ी मोहल्ला-टोले शामिल हैं। ग्राम सभा टापू में एक प्राथमिक विद्यालय, जूनियर हाई स्कूल, दो मिनी आंगनवाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य सेवा के नाम पर एक एएनएम केंद्र है।

तकरीबन 3 हजार की आबादी वाले इस गांव में 23 सौ मतदाता बताए जाते हैं। केवट (साहनी), गुप्ता, धोबी, यादव, पटेल, कोल (आदिवासी), दलित, ब्राह्मण बिरादरी के इस गांव में सबसे ज्यादा कोल, दलित और पटेल बिरादरी की बाहुल्यता बताई जाती है। सोन नदी की सहायक नदियां रेणु और बिजुल नदी पार कर लोगों की आवा-जाही होती है। इसी टुसगांव मोहल्ले के रहने वाले गुलाब कोल के सिर से माता-पिता का छाया छिन चुका है, यही कोई 7 बरस पूर्व पत्नी की भी मौत हो चुकी है।

दो बच्चों में एक बेटा और एक बेटी की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है। बेटा सोनभद्र के ओबरा में एक होटल (ढ़ाबा) पर मेहनत मजदूरी करता है जबकि बेटी कक्षा 7 की छात्रा है। बेटी पढ़ाई लिखाई के साथ घर के कामकाज चौका बर्तन भी संभालती है। स्वयं गुलाब कोल आटा चक्की मशीन बनाने का काम करता है। जिसे बराबर तो काम नहीं मिलता है, अलबत्ता कहीं आवश्यकता होने पर वह आटा चक्की बनाने जाता है।

गुलाब कोल के अन्य भाई भी ओबरा के होटल में काम करते हैं तब जाकर कहीं उनकी पारिवारिक गृहस्थी की गाड़ी चलती है। गुलाब के घर का सूना पड़ा मिट्टी का चूल्हा घर की दास्तां बयां कर रहा है तो वहीं सरकार की उज्जवला योजना की पोल भी खोल रहा है कि क्या गुलाब या उसकी बेटी इस योजना की पात्रता मापदंड में नहीं आते?”

सूना पड़ा मिट्टी का चूल्हा

खैर, पीड़ित गुलाब कोल के घर गृहस्थी की माली हालत को दूर से देख आंका जा सकता है। जुगैल थाना होते हुए चितरंगी (मध्य प्रदेश) जाने वाले सिंगल मार्ग पर स्थित गुलाब कोल का घर सड़क से दस कदमों की दूरी पर किनारे खेत में बना हुआ है। घर का पिछला हिस्सा ढह चुका है जबकि अन्य हिस्सों की दरो-दीवार अपनी बदहाली बयां करती हैं। आवास के नाम पर कच्चा मकान, राशन कार्ड बना ही नहीं है, यों कहें कि किसी प्रकार बदहाली भरी जिंदगी कट रही है।

गांव पहुंचने पर “जनचौक” टीम को गुलाब कोल के छोटे भाई गुड्डू (26 वर्ष) बताते हैं कि “उस दिन मेरा भाई कहीं से आटा चक्की बनाकर घर लौट रहा था जहां जवाहिर पटेल के मिल जाने उन लोगों के साथ उसने बैठकर शराब पी ली थी। शराब पीने के बाद दोनों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी होने लगे थी। बाद में भाई (गुलाब) के बेसुध हो जाने पर जवाहिर ने नाक और कान में पेशाब कर दिया था। जिसका वीडियो कुलाटे दलित ने बना लिया था।”

गुलाब कोल के चाचा विशाले बताते हैं “उ जगह हम लोगन त रहे नाहीं, लेकिन सब लोगन कहत हैं, वीडियो में देखात हौ जवाहिर पटेल गुलाब के काने मुंहें में पेशाब करत हयेन।” वह दुख भरी दास्तां सुनाते हुए कहते हैं साहब हमहन गरीब हईं, कुछो हो सकेला हमहन के साथ।”

नदी और पहाड़ों से घिरा हुआ है गांव

किसी चंबल घाटी से कम ना दिखने वाला टापू और टुसगांव में बरसात के दिनों में आवागमन की समस्या गहरा जाती है। हालांकि आवागमन के लिए नदी पार कर इस पार और उस पार आने-जाने के लिए नदी पर पूल (रपटा) बना तो जरूर है, लेकिन बारिश बढ़ने और नदी में बाढ़ आ जाने पर नदी के रपटे यानी पुल के उपर से पानी बहने लगता है तब ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ जाती है। ऐसे में जंगली जीव-जंतुओं का भी खतरा भी बढ़ जाता है। उपर नीचे की चढ़ाई होने के कारण आवागमन दुर्गम इलाकों जैसे होने के साथ-साथ जोखिम भरा भी है।

पहाड़ों से घिरा गांव

वीडियो वायरल करना पड़ा मंहगा

यह भाजपा का अमृतकाल है, सच उजागर करना यानी सलाखों के पीछे जाना। कुलाटे दलित के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। जुर्म उसका यह रहा है कि उसने गुलाब के कान में मूत्र करने का वीडियो बनाने का साहस कर दिया। “जनचौक टीम” गुलाब कोल का घर तलाशते हुए कुलाटे के पुत्र झारखंडी निवासी चंदौली के घर पहुंचती है तो पता चला कि वह तो तीन दिन से घर आया ही नहीं है उसे पुलिस उठा ले गए गई है। किस जुर्म में पुलिस ले गई है इस बात का पता नहीं।

लाइनमैन कुलाटे पुत्र झारखंडी बिजली मैकेनिक है जो इस पूरे घटनाक्रम का प्रत्यक्ष गवाह और वीडियो बनाने का साहस किया था।  “जनचौक टीम” के दरवाजे से आवाज लगाने पर कुलाटे की पत्नी सोनी घर से निकलते हुए “नाहीं हयेन” कहते हुए बाहर आती हैं। कुलाटे के बारे में पूछने पर वह बताती है कि “उन्हें पुलिस ले गई है आज 3 दिन हो गया है, उनका कोई पता नहीं है।” पुलिस क्यों ले गई है, कुछ बताया है? के सवाल पर वह सिर हिलाते हुए ना में जवाब देती हैं। कहती हैं वह (कुलाटे) बस वीडियो बना लिए थे, उनके मोबाइल से लेकर वायरल किसी और ने किया है।

उनके साथ उनके दो छोटे बच्चे कातर नजरों से पिता कुलाटे की राह तक रहे होते हैं। दूसरी ओर कुछ-कुछ दूर पर बसे ग्रामीण सड़क से आते-जाते लोगों को कौतूहल भरी नजरों से देखते तो हैं पर कोई इस घटनाक्रम पर खुलकर बोलना नहीं चाहता है। सभी को डर बना हुआ है कि कहीं पुलिस किसी और उठा न ले जाए।

चंदौली गांव से गुलाब कोल के घर जाने के लिए रास्ता पूछे जाने पर टुसगांव मोड़ से जाने का राह दिखाते हुए काफी कुरेदने पर एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “गरीब दलित आदिवासियों को दोयम दर्जे का समझ लिया गया है। हम लोगों की तो पहले ही कोई सुनवाई नहीं हो पाती है, अब यह भी दिन देखना पड़ रहा है।”

चोदौली गांव के ग्रामीण

कांग्रेस-सपा को बैठे-बिठाए मिल गया है मुद्दा

शराब पीकर जमीन पर बेसुध पड़े आदिवासी व्यक्ति के मुंह और कान में पेशाब (मूत्र) करने के घटनाक्रम के बाद टुसगांव सुर्खियों में आ गया है। पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर सभी दलों के नेता भी इस गांव का दौरा कर चुके हैं। सपा, बसपा और कांग्रेस नेताओं को तो मानो जैसे-बैठे बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। कल तक जो नेता पहाड़ी पर बसे इस गांव की ओर झांकना भी गंवारा नहीं समझते थे, वह अब गुलाब कोल घर झांकने आ रहे हैं।

शनिवार को गुलाब के घर टुसगांव पहुंची “जनचौक टीम” को गुलाब के छोटे भाई गुड्डू ने बताया कि उसके भाई गुलाब कोल को जुगैल थाना पुलिस अपने साथ ले गई है।” क्यों और किस लिए यह किसी को पता नहीं। मौके पर जुटे ग्रामीण बताते हैं कि गुलाब कोल शराब पीने का आदि ज़रूर है, लेकिन किसी से उलझता नहीं है, पीने-खाने में माना कि कुछ गलत बोल गया होगा, तो इसका मतलब तो यह नहीं कि उसके मुख और कान में पेशाब कर दें?” ग्रामीण भी इस घटनाक्रम को लेकर मर्माहत दिखाई दिए तो वहीं आरोपी जवाहिर पटेल के प्रति आक्रोशित भी। 

ये इलाका ओबरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जिसके विधायक हैं संजीव गोंड जो कि समाज कल्याण राज्य मंत्री हैं। आदिवासी नेता के तौर पर‍ जिले में वह भाजपा के सक्रिय नेता रहे हैं और योगी सरकार में दूसरी बार राज्यमंत्री बनाए गए हैं। उनके क्षेत्र में एक दलित पर पेशाब किया गया। और हैरानी की बात है कि उन्हें संरक्षण देने के बजाए पुलिस पीड़ित और मामले का वीडियो बनाने वाले शख्स को ही उठा कर ले गई है।

मानसिक प्रताड़ना, मानहानि का मामला है

परमेश्वर दयाल पूर्व विधायक “जनचौक” को बताते हैं कि एक प्रकार की यह जो नई संस्कृति डेवलप कर रही है वह उचित नहीं कही जायेगी। इसे सभ्य समाज के लिए कलंक ही कहा जाएगा, ऐसी घटनाओं से विद्रोह का ही भाव पैदा होगा। “वह इस घटना को अशोभनीय करार देते हुए कहते हैं “सोनभद्र की 70 प्रतिशत आबादी यहीं की निवासी है। इनमें दलित,आदिवासी, वनवासी बाहुल्य लोग हैं। बावजूद इसके यही लोग वंचित और दबाये जाते रहे हैं।”

विधायक कहते हैं  “हमारा देश जातियों का देश है, लोग जातियों के लिए जीना चाहते हैं, मर रहे हैं, देश समाज के लिए नहीं” तंज कसते हैं। “मां खाने को नहीं देती, पिता भीख मांगने नहीं देता है। अब वह जमाना नहीं है जो दब जायेगा, तमाम माध्यम हैं सच उजागर हो ही जाता है। इसे मानहानि का मामला बताते हुए कहते हैं, उसे (गुलाब) दस लाख की आर्थिक सहायता दी जाए। यह मानसिक, सामाजिक प्रताड़ना है। वैसे भी पीड़ित की माली हालत ठीक नहीं है।

(उत्तर प्रदेश के टुसगांव, सोनभद्र से संतोष देव गिरी के साथ अनुराग सोनी की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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