Sunday, September 24, 2023

क्या कुकी और नागा विधायकों के बगैर चलेगा मणिपुर विधानसभा का चौथा सत्र?

नई दिल्ली। भारी विवाद और दबाव के बाद मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने 29 अगस्त को मणिपुर विधानसभा का चौथा सत्र बुलाया है। विधान सभा सचिवालय के सत्र बुलाने की अधिसूचना के मुताबिक “मणिपुर कैबिनेट द्वारा 21 अगस्त को एक विशेष सत्र के लिए अनुशंसित सिफारिश को स्वीकार करते हुए राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति दे दी है।”

मणिपुर कैबिनेट ने 21 अगस्त को ही विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को सिफारिश भेजा था। लेकिन तब राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दी थी। इस सत्र का उद्देश्य राज्य में चल रही जातीय हिंसा पर चर्चा करना था। अब राज्यपाल ने कैबिनेट की सिफारिश को मंजूर करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है।

विशेष सत्र को राज्यपाल उइके की ओर से औपचारिक मंजूरी नहीं मिलने पर राज्य में भारी विवाद शुरू हो गया था और राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल द्वारा विशेष सत्र बुलाने की अनुमति न देने से राज्य में ‘संवैधानिक संकट’ उत्पन्न होने की परिस्थितियां बन रही हैं।

राज्यपाल ने मणिपुर कैबिनेट की सिफारिश को उसी दिन की अधिसूचना में कहा गया है कि उइके ने “बारहवीं मणिपुर विधान सभा के चौथे सत्र को मंगलवार, 29 अगस्त, 2023 को सुबह 11.00 बजे असेंबली हॉल, इंफाल में आयोजित करने का आह्वान किया है।”

अब इतने अल्प समय की सूचना पर विधानसभा सत्र बुलाए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। नियमों के मुताबिक सत्र बुलाने के लिए विधायकों को कम से कम 15 दिन का समय मिलना चाहिए।

राज्य में हिंसा को देखते हुए कुकी समुदाय के विधायकों ने सत्र में भाग लेने से इनकार किया है। उनका कहना है कि इंफाल घाटी में स्थित है और वह क्षेत्र मैतेई बाहुल्य है। ऐसे में कुकी विधायकों के इंफाल जाने पर मैतेई समुदाय के लोग हमला कर सकते हैं। विधायकों को राज्य मशीनरी पर विश्वास नहीं है कि वो उनकी रक्षा करेंगे।

मणिपुर की विधानसभा में 60 सदस्य हैं। उनमें से कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने इंफाल में सुरक्षा की कमी का हवाला देते हुए सत्र में भाग लेने से इनकार कर दिया था। मणिपुर में नागाओं की सर्वोच्च संस्था यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) ने नागा समुदाय के दस विधायकों को इस सत्र का बहिष्कार करने के लिए कहा था।

घाटी के 40 अन्य विधायकों में से कई भाजपा के विद्रोही खेमे से हैं जो हिंसा शुरू होने से पहले ही सत्ता परिवर्तन की मांग कर रहे थे।

मणिपुर के 60 विधायकों में ज्यादातर विधायक मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के विरोध में है। उनकी मांग है कि बीरेन सिंह को हटाकर दूसरे को मुख्यमंत्री बनाया जाए। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी समर्पण नहीं करना चाह रहे हैं। पार्टी हाईकमान द्वारा सत्ता परिवर्तन की स्थिति में वह पार्टी को छोड़कर क्षेत्रीय दल बनाने की धमकी दे चुके हैं।

फिलहाल, कुकी विधायकों ने सुरक्षा कारणों से विधानसभा सत्र में आने से मना करके मणिपुर की स्थिति को देश के सामने रख दिया है। कुकी विधायक अपनी सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं लेकिन सरकार उनकी सुरक्षा को लेकर कोई आश्वासन भी नहीं दे रही है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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