Ongoing Violence in Manipur

मणिपुर में जारी अशांति के दौरान 253 चर्च जलाए गए: स्वदेशी जनजातीय नेताओं का मंच

मणिपुर में चल रहे अशांत माहौल के बीच एक खबर आती है, जिसमें बताया जाता है कि चुराचांदपुर जिले में मूल जनजातियों के एक समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने सोमवार को कहा कि अभी तक मणिपुर में 253 चर्चों को तबाह कर दिया गया है।

इस बात की पुष्टि आईटीएलएफ (ITLF) ने किया है, जब सोमवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके चुराचांदपुर का दौरा करने आयीं, तब आईटीएलएफ ने राज्यपाल को एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें यह दावा किया गया है कि मणिपुर में फैली अशांति में धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया है और अभी तक करीब 253 चर्च को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है।

चुराचांदपुर उन जिलों में से एक है जहां पर हिंसा का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिला। ये हिंसा 3 मई को शुरू हुआ था, जब 10 पहाड़ी जिलों में एक एकजुटता रैली का आयोजन किया गया था, और इस रैली में बहुसंख्यक मैतेई जाति को अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग का विरोध झेे्लना पड़ा था।  

इस हिंसा के दौरान करीब 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, और करीब 50,698 लोग अपने घर-बार छोड़कर पलायन कर चुके हैं, ऐसा करने कि वजह है कि बड़े पैमाने पर हिंदू मैतेई और ज्यादातर ईसाई कुकी के बीच झड़प। इसे सुनकर ऐसा लग रहा है, मानो दो हाथी लड़ रहे हो और दो हाथी जब भी लड़ते हैं, तो हमेशा नुकसान पेड़ों को उठाना पड़ता है, और ऐसा ही कुछ वहां के निवासियों के साथ हो रहा है।

आईटीएलएफ कि माने तो, सोमवार को भी चुराचांदपुर के एक गांव पर हमला किया गया और इस हमले में 1 व्यक्ति की जान चली गई।

आईटीएलएफ के अनुसार राज्यपाल को लिखे गये तीन पन्नों के रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि, ” मैतेई और मणिपुर की सांप्रदायिक सरकार द्वारा जातीय सफाई अभियान के परिणामस्वरूप कुकी समुदाय मणिपुर के इतिहास में सबसे चुनौतीपूर्ण समय का सामना कर रहे हैं।” और एक बात जो सबसे ज्यादा अहम हो जाती है कि इस तरह के सफाई अभियान मानवता, समाज और लोकतंत्र के लिये खतरा है। 

आईटीएलएफ की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि “ऐसा लग रहा है मानो, 3 मई से पूरा राज्य एक तबाही के प्रयोजन में लगा हुआ है, और अभी तक हमने 100 से अधिक जीवन खो दिया है और कई मृत लोगों की तो गिनती भी संभव नहीं हो पायी। इसके अलावा, 160 गांवों में लगभग 4,500 घर जल गए हैं, जिससे लगभग 36,000 लोग बेघर हो गए हैं।”

आईटीएलएफ(ITLF) के अध्यक्ष पगिन हाओकिप और सचिव मुआन टॉमबिंग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है, “गौर करने कि बात ये है कि इस हिंसा में 253 चर्चों को जला दिया गया है और हजारों लोगों को देश भर में अलग-अलग स्थानों पर पलायन करने पर मजबूर किया जा रहा है।”

आईटीएलएफ के अध्यक्ष ने बताया कि, राज्यपाल ने पहली बार चुराचांदपुर का दौरा किया है, आपको बता दें कि राज्यपाल अनुसुइया उइके ने फरवरी में मणिपुर में अपना कार्यभार संभाला था। आईटीएलएफ ने राज्यपाल को जो रिपोर्ट सौंपी है, उस रिपोर्ट में मृतकों और चर्चों, प्रशासनिक भवनों और चर्चों के क्वार्टरों और गांवों की एक सूची संलग्न की, जो कि हिंसा का शिकार बने हैं।

इस रिपोर्ट में कुछ ऐसी जगहों का भी विवरण है जो कि कुकी-जो लोगों के लिये राहत केंद्र बना हुआ है, इसके साथ में “अरांबाई तेंगगोल के साथ राज्य के नेताओं की भागीदारी दिखाने वाली तस्वीरें” भी प्रदान की। अरांबाई तेंगगोल एक मैतेई संगठन है, और एक मीडिया रिपोर्ट कि माने तो करीब 1 महीने पहले अरांबाई तेंगगोल संगठन को पूरी तरह से निरस्त कर दिया गया था।

चर्च और चर्च की संपत्तियों को नष्ट किए जाने पर जब सवाल किया गया तो, आईटीएलएफ के मीडिया और प्रचार विंग के गिन्ज़ा वुलज़ोंग ने एक एसएमएस के द्वारा कहा कि 93 चर्च के प्रशासनिक भवनों और क्वार्टरों को जला दिया “मुख्य रूप से इंफाल घाटी और सीमावर्ती क्षेत्रों में इसका खासा असर दिखा है।”

आपको बता दें कि इम्फाल घाटी के छह जिलों में मैतेई लोगों का दबदबा है, जबकि 10 पहाड़ी जिलों में बड़े पैमाने पर आदिवासी लोग रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर लोग नागा और कुकी हैं।

द टेलिग्राफ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक “यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ऑफ नॉर्थ ईस्ट इंडिया के एक सदस्य एलन ब्रूक्स ने बताया कि हिंसा के स्थलों पर दिखने वाले नजारे बहुत ही दुखद है और मरने वालों के आंकड़े बहुत ज्यादा है।” एलन ब्रूक्स बताते हैं कि जो भी आंकड़े आपके सामने आ रहे हैं वह कोई गलत आंकड़े नहीं है, क्योंकि उन संगठनों द्वारा प्रमाणित किए गए हैं जो हिंसा स्थलों पर जाकर ये आंकड़े लेकर आते हैं। लेकिन सवाल ये नहीं है कि एक चर्च को जला दिया गया या फिर 1,000 चर्चों को जला दिया गया हो, सवाल लोगों की सुरक्षा और देश के धर्मनिरपेक्ष के ताने-बाने का है, जो आज के समय में दांव पर लगा है।

आईटीएलएफ ने राज्य के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया है कि वह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को 10 जून को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित शांति समिति के सदस्य के रूप में स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि उन्हें कुकी-जो समुदाय से संबंधित मामलों में निष्पक्ष नहीं माना जा सकता है। और इस तरह की बात यह प्रमाण देती है कि क्यों किसी राज्य में इस तरह का हिंसा फैली हुई है, अगर राज्य का मुखिया ही किसी समुदाय के खिलाफ हो तो राज्य अराजकता की तरफ चल पड़ता है।

अधिकांश मैतेई संगठनों ने कुकी उग्रवादियों पर अशांति फैलाने का आरोप लगाया और खुद पर लगे आरोपों का प्रतिवाद किया। इन मैतेई संगठनों का यह भी दावा है कि नार्को-आतंकवादी म्यांमार से मणिपुर में प्रवेश कर रहे हैं और राज्य की जनता के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं।

आईटीएलएफ ने केंद्रीय गृह मंत्री पर आरोप लगाते हुये कहा कि, जब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर दौरे पर आये थे, तो उन्होंने मणिपुर की जनता से जो वादे किये थे वो अभी तक पूरे नहीं किये गये है। “हमने अपने जीवन और गांवों के बचाव के लिए बेहतर सुरक्षा की मांग की, फिर भी हमने 55 गांवों को जलता हुए देखा है, और 11 से ज्यादा लोगों को मौत के आगोश में जाते हुए देखा है।”

(जनचौक की रिपोर्ट)

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments