नई दिल्ली। आने वाले महीनों में छह राज्यों से लगभग 80 और जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में जोड़े जाने की संभावना है, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) पहले से ही उनमें से अधिकांश जातियों को ओबीसी की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के प्रमुख हंसराज गंगाराम अहीर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि इन सभी जातियों को ओबीसी की सूची में लाने के लिये हरेक संभव उपाय किए जा रहे हैं।
हंसराज गंगाराम अहीर कहते हैं कि अधिकांश समुदायों की स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है; महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से कुछ जातियों को सूची में जोड़ने का अनुरोध प्राप्त हुआ है। आपको बता दें कि, ओबीसी सूची में अन्य जातियों का नाम जोड़ने को मोदी सरकार ने अपनी उपलब्धियों में से एक बताया था। जब इस तरह के कार्य को आप उपलब्धि मानते हैं, तो आपके लिये जरुरी हो जाता है कि आप देखे की और कितनी जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में रखेंगे।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MSJE) के द्वारा पिछले सप्ताह में जारी किये गये एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने कहा था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और जम्मू और कश्मीर राज्यों से करीब 16 समुदायों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में को जोड़ने की सुविधा प्रदान किया गया था। हालांकि, केंद्रीय ओबीसी सूची में अभी कुछ और राज्यों के समुदायों को जोड़ा जायेगा। जिन समुदायों को अब केंद्रीय सूची में जोड़े जाने की संभावना है, वो महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के कुछ चुनिंदा समुदाय हैं।
तेलंगाना सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि वर्तमान समय में राज्य में ओबीसी सूची के तहत सूचीबद्ध लगभग 40 समुदायों को केंद्रीय सूची में जोड़ा जाना चाहिए। दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश ने तुरुपकापू समुदाय को भी ओबीसी श्रेणी में जोड़ने की मांग की गयी है, जबकि हिमाचल प्रदेश ने भी मझरा समुदाय को भी ओबीसी की केंद्रीय सूची में जोड़ने के लिए कहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि राज्य में लोधी, लिंगायत, भोयार पवार, झंडसे जैसे समुदायों को भी ओबीसी की केंद्रीय सूची में जोड़ा जाए। इसी तरह, पंजाब ने यादव समुदाय को शामिल करने के लिए कहा है और हरियाणा से गोसाईं/गोसेन समुदाय को जोड़ने की मांग की गई है।
हंसराज अहीर ने द हिंदू से बात करते हुए बताया कि, “जातियों को ओबीसी की केंद्रीय सूची में जोड़ने की जो बात है वो इन्हीं अनुरोधों का हिस्सा हैं”। यही वजह है कि आयोग जांच करने के लिए बाध्य है और हमने उन्हें पर्याप्त रूप से संसाधित करना शुरू कर दिया है–और अधिकांश को इसका पालन करना चाहिए। एक बार फैसला कर लेने के बाद हम कैबिनेट को सिफारिश भेज सकते हैं।
एनसीबीसी अधिनियम, 1993 में निर्धारित परिवर्धन की प्रक्रिया के अनुसार, आयोग को इस तरह के प्रस्तावों की जांच करने के लिए एक खंडपीठ का गठन करना आवश्यक है और फिर उनके निर्णय को केंद्र सरकार (विरोध के साथ, जहां लागू हो) को आगे करना है। कैबिनेट को तब परिवर्धन को मंजूरी देने और इस आशय का कानून लाने की आवश्यकता होती है, जिसके बाद राष्ट्रपति को परिवर्तन को अधिसूचित करने का अधिकार होता है।
आज के समय में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर केंद्रीय ओबीसी सूची में करीब 2,650 से अधिक विभिन्न समुदाय सूचीबद्ध हैं, जिनमें 2014 के बाद से जोड़े गए 16 समुदाय भी शामिल हैं। संविधान के 105वें संशोधन के अनुसार ये कहा गया है कि, राज्यों को अपनी स्वयं की ओबीसी सूची बनाए रखने का अधिकार है।
(जनचौक की रिपोर्ट।)