मनरेगा मजदूरों को वेतन देने के लिए आधार अनिवार्य, कांग्रेस ने बोला केंद्र पर हमला

नई दिल्ली। मनरेगा मजदूरों के लिए केंद्र सरकार ने नए साल में नया नियम लागू कर दिया है। अब मनरेगा या एमजीएनआरईजीएस के तहत काम करने वाले मजदूरों को आधार-आधारित भुगतान प्रणाली से वेतन दिया जाएगा।

केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रसे ने हमला बोल दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में इसे केंद्र का क्रूर तोहफा बताया है। उन्होंने कहा है कि “नए साल में प्रधानमंत्री ने देश के सबसे ग़रीब परिवारों को क्रूर तोहफा दिया है। उन्होंने मनरेगा के तहत काम करके बुनियादी आय प्राप्त करने वाले करोड़ों ग़रीबों से उनका अधिकार छीन लिया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उनके इस तोहफ़े की निंदा करती है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 30 अगस्त, 2023 की अपनी मांग को भी दोहराती है कि मोदी सरकार को सबसे कमज़ोर भारतीयों को उनके सामाजिक कल्याण के लाभों से वंचित करने के लिए टेक्नोलॉजी, विशेष रूप से आधार को हथियार बनाना बंद करना चाहिए, लंबित वेतन भुगतान को जारी करना चाहिए और पारदर्शिता में सुधार के लिए ओपन मस्टर रोल और सोशल ऑडिट लागू करना चाहिए।“

इससे पहले नरेगा संघर्ष मोर्चा ने इस प्रणाली को “मुश्किल, बोझिल और अविश्वसनीय प्रणाली” बताते हुए कहा था कि इस भुगतान प्रणाली की जरुरतों को समझना और उसे पूरा करना मजदूरों के लिए काफी मुश्किल हो जाएगा।

शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं के संघ लिबटेक इंडिया का आरोप है कि पिछले 21 महीनों में 7.6 करोड़ मजदूरों के नाम सिस्टम से हटा दिए गए हैं। लिबटेक के एक वरिष्ठ शोधकर्ता चक्रधर बुद्ध का कहना है कि आधार-आधारित भुगतान प्रणाली के आते ही मनरेगा में पंजीकृत मजदूरों में से एक तिहाई से अधिक को अयोग्य करार दे दिया जाएगा और उनसे रोजगार छीन लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार को भुगतान प्रणाली रद्द कर देना चाहिए और राज्यों को गलती से हटाए गए मजदूरों को फिर से काम पर रखने और मुआवजा देने का निर्देश देना चाहिए।

वहीं, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मनरेगा के तहत जॉब कार्ड रखने वालों में अभी भी 34.8% मजदूर 27 दिसंबर, 2023 तक भुगतान प्रणाली के योग्य नहीं थे।

आधार-आधारित भुगतान प्रणाली के तहत वेतन पाने वाले मजदूरों के आधार कार्ड को उनके जॉब कार्ड और बैंक खातों से जोड़ा जाना जरुरी है उसके बाद उनके आधार डिटेल को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के डेटाबेस के साथ मैप किया जाएगा। उसके बाद बैंक की संस्थागत पहचान संख्या को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया डेटाबेस पर मैप किया जाएगा।

केंद्र सरकार ने योजना के तहत 1 फरवरी, 2023 को सभी मजदूरों को वेतन देने के लिए आधार-आधारित भुगतान प्रणाली अनिवार्य कर दी थी। इससे पहले मजदूर बैंक खाता-आधारित वेतन पाने का भी विकल्प चुन सकते थे।

हालांकि केंद्र ने इस प्रणाली को अनिवार्य बनाने की समय सीमा भी पांच बार बढ़ाई थी। अंतिम समय सीमा 31 दिसंबर, 2023 तक ही थी। जिसके बाद 1 जनवरी, 2024 से ये नियम अनिवार्य रुप से लागू हो गया है।

(स्क्रॉल से साभार।)

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