नई दिल्ली। जेलों में बंद सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित होने वाला कार्यक्रम रद्द हो गया है। यह कार्यक्रम 9 जून को 3 बजे होना है और इसमें राज्यसभा सांसद मनोज झा, प्रख्यात इतिहासकार प्रभात पटनायक, वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार, सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट शाहरुख आलम तथा लेखिका और एक्टिविस्ट गुरमेहर कौर को हिस्सा लेना है। लेकिन सूत्रों की मानें तो पुलिस ने हस्तक्षेप किया और उसकी धमकी के आगे गांधी शांति प्रतिष्ठान ने समर्पण कर दिया। और इसके साथ ही उसने पहले से कार्यक्रम के लिए दी गयी अपनी अनुमति वापस ले ली।
इस सिलसिले में अब दिल्ली पुलिस की नोटिस भी सामने आ गयी है। जिसमें कहा गया है कि कार्यक्रम अज्ञात लोगों द्वारा आयोजित किया जा रहा है। और पुलिस ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला। इस बिना पर पुलिस ने गांधी शांति प्रतिष्ठान से कार्यक्रम रद्द करने का अनुरोध किया था। आईपी इस्टेट थाने के एसएचओ संजीव कुमार की ओर से जारी इस पत्र को कुमार प्रशांत और अशोक कुमार को संबोधित किया गया है। बहरहाल अब यह कार्यक्रम प्रेस क्लब में उसी दिन और उसी समय पर हो रहा है यानि 9जून को ही 3.00 बजे शाम को हो रहा है। इससे संबंधित पोस्टर भी सामने आ गया है।
‘डिसेंट अंडर ट्रायल: हंड्रेड डेज ऑफ इनजस्टिस’ नाम से होने वाला यह कार्यक्रम 1000 से ज्यादा दिनों तक जेल में बंद उमर खालिद पर केंद्रित था। इसके अलावा भीमा कोरेगांव मामले में अलग-अलग जेलों में बंद लोगों की रिहाई का मुद्दा भी इस मंच से उठाया जाना है। लेकिन गांधी शांति प्रतिष्ठान जिसे अपने किस्म की स्वायत्तता भी हासिल है, ने इस कार्यक्रम से हाथ खींच लिया। और उसने आयोजकों को इसकी इत्तला भी दे दी है।
दिलचस्प बात यह है कि गांधी शांति प्रतिष्ठान से जुड़े कुमार प्रशांत खुद इसमें एक वक्ता थे। इसका मतलब उन्होंने आयोजकों को उसमें शामिल होने की पहले अनुमति दी होगी तभी उनका नाम कार्यक्रम के पोस्टर में दिया गया है। लेकिन अब खुद उनका संस्थान ही कार्यक्रम को नहीं होने दे रहा है।
इस मामले में गांधीवादी कुमार प्रशांत का कहना था कि उन्हें वक्ता ज़रूर बनाया गया था लेकिन कार्यक्रम में पहुंचने को लेकर उन्होंने आशंका जाहिर की थी। कार्यक्रम के रद्द होने के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि वह बाहर हैं लिहाजा इसकी उन्हें कोई सूचना नहीं है। इस मामले में उन्होंने जीपीएफ के सचिव से संपर्क करने की बात कही।
गांधीवादी नेता और कार्यकर्ता इस्लाम हुसैन ने इसका कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि गांधी शांति प्रतिष्ठान सरकार के दबाव में आ गया। उन्होंने इस सिलसिले में दिल्ली पुलिस की भूमिका की भी निंदा की। साथ ही उनका था कि शांति प्रतिष्ठान को सरकार के दबाव में नहीं आना चाहिए। प्रतिष्ठान और उसके कर्ता-धर्ता गांधी जी के सिद्धांतों के तहत चलता है लिहाजा उसमें इस तरह के दबाव के लिए कोई स्थान ही नहीं बचता है।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इस समय वह उत्तराखंड में गांधीवादी हिमांशु कुमार और रमेश भंगी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ यात्रा पर हैं लेकिन उन लोगों को लगातार एलआईयू और इंटेलिजेंस के जरिये परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सर्वोदय मंडल की तरफ से वह उत्तराखंड सरकार के इस रवैये का विरोध करते हैं।
इसके पहले भी कश्मीर के मसले पर गांधी शांति प्रतिष्ठान में एक कार्यक्रम होना था जिसे आखिरी मौके पर रद्द कर दिया गया था। और प्रतिष्ठान में भारी तादाद में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। उसके बाद से ही दिल्ली पुलिस ने यह फरमान जाहिर किया था कि आइंदा किसी कार्यक्रम को आयोजित करने से पहले गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली पुलिस के संज्ञान में लाएगा। हालांकि किसी स्वायत्त संस्था के साथ पुलिस महकमा इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकता है।
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)