दिल्ली के मुख्य सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप, बेटे की कंपनी को 315 करोड़ रुपये का फायदा

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुख्य सचिव नरेश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय को नरेश कुमार के खिलाफ एक शिकायत मिली है, जिसे सतर्कता मंत्री को भेज दिया गया है। नरेश कुमार पर भूमि अधिग्रहण सौदे में हेरफेर करने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि उनके बेटे को रोजगार देने वाली कंपनी को 300 करोड़ रुपये से अधिक का अनुचित लाभ दिलाने के लिए ये सब किया गया।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी गई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक वह एक वकील है। मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अक्टूबर में दिल्ली सरकार को मिली शिकायत को सतर्कता मंत्री आतिशी के पास भेज दिया और तथ्यों के साथ इस पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी। इस बीच, नरेश कुमार ने शिकायत को ”कीचड़ उछालने” की कार्रवाई करार दिया।

मुख्य सचिव का कहना है कि, ”जिन असंतुष्ट तत्वों के खिलाफ सतर्कता कार्रवाई की गई थी, वे इस तरह का कीचड़ उछाल रहे हैं।” उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू करने सहित सक्रिय कार्रवाई सुनिश्चित की गई।

सतर्कता मंत्री के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि मुख्य सचिव के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने “अपने बेटे की कंपनी को 315 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया।”

2018 में द्वारका एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बामनोली गांव में 19 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था और जिला अधिकारियों की ओर से 41.52 करोड़ रुपये का प्रारंभिक अवॉर्ड तय किया गया था। जमीन के मालिकों ने मुआवजे को चुनौती दी थी और आखिरकार, मई में दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट हेमंत कुमार ने इसे बढ़ाकर 353.79 करोड़ रुपये कर दिया।

हालांकि, बाद में इस मामले में गृह मंत्रालय ने हेमंत कुमार को निलंबित कर दिया था। इसके अलावा, दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में 353.79 करोड़ रुपये के अवॉर्ड को रद्द कर दिया।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि मुख्य सचिव का बेटा करण एक रियल एस्टेट फर्म में काम करता था, जिसके निदेशक सुभाष चंद कथूरिया के दामाद थे, जो बामनोली गांव में अधिग्रहित जमीनों के मालिकों में से एक थे। शिकायत के अनुसार, 15 मई को अवॉर्ड को बढ़ाकर 353.79 करोड़ रुपये कर दिया गया और इस राशि में नरेश कुमार की ओर से हेराफेरी की गई।

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक संभागीय आयुक्त अश्विनी कुमार ने 2 जून को इस मामले को मुख्य सचिव के पास भेजा। जिन्होंने उन्हें पाक्षिक आधार पर मामले की निगरानी करने का निर्देश दिया और बाद में सतर्कता निदेशालय को भी इसकी जांच करने के लिए कहा। इसके अलावा, उपराज्यपाल वीके सक्सेना की मंजूरी के साथ, 20 सितंबर को गृह मंत्रालय को जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ सीबीआई जांच और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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