मोदी सरनेम केस: राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से बड़ा झटका, बरकरार रहेगी 2 साल की सजा

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में गुजरात हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई है।

जस्टिस हेमंत प्रच्छक की पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा कि “राहुल गांधी बिल्कुल गैर-मौजूद आधार पर दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है। राहुल गांधी के खिलाफ 10 मामले लंबित हैं। राजनीति में शुचिता की जरूरत है। एक मामला कैंब्रिज में राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर के खिलाफ शब्दों का इस्तेमाल करने के बाद वीर सावरकर के पोते द्वारा पुणे कोर्ट में उनके खिलाफ दायर किया गया है। दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने से किसी भी तरह से आवेदक के साथ अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई उचित आधार नहीं है। दोषसिद्धि न्यायसंगत, उचित और कानूनी है।”

न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने अप्रैल और मई में याचिका पर सुनवाई की थी जबकि बहस 2 मई को समाप्त हुई थी। राहुल गांधी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में अपनी दलीलें दी थीं।

सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस

गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी हाईकोर्ट के फेसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।

कांग्रेस महासचिव और पार्टी के कम्युनिकेशन विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी की संसद से अयोग्यता पर गुजरात हाईकोर्ट की एकल पीठ का फ़ैसला हमारे संज्ञान में आया है। माननीय न्यायाधीश के तर्कों का अध्ययन किया जा रहा है, जैसा कि होना चाहिए। डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी दोपहर 3 बजे मीडिया से इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हाईकोर्ट के फ़ैसले ने इस मामले को आगे ले जाने के हमारे संकल्प को दोगुना किया है।

सूरत की अदालत ने दी है 2 साल की सजा

बता दें कि 23 मार्च 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराया और 2 साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। हालांकि उनकी सजा निलंबित कर दी गई और उसी दिन उन्हें जमानत भी दे दी गई, जिससे वह 30 दिनों के भीतर अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील कर सकें।

राहुल गांधी ने 3 अप्रैल को अपनी दोषसिद्धि पर आपत्ति जताते हुए सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया और अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की, जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। हालांकि सूरत सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को राहुल गांधी को उनकी अपील के निपटारे तक जमानत दे दी थी।

क्या है मामला?

आपराधिक मानहानि का यह मामला 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणी पर दायर किया गया था। कर्नाटक के कोलार की एक चुनावी सभा में ललित मोदी, नीरव मोदी जैसे लोगों का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने पूछा था कि ”सभी चोरों के उपनाम मोदी क्यों होते हैं?”

भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी की टिप्पणी से पूरे मोदी समुदाय का अपमान हुआ है।

राहुल गांधी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है, लेकिन अभी राहुल गांधी के पास हाईकोर्ट में डिविजन बेंच में अपील करने का मौका है। वे चाहें तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं।

राहुल गांधी के पास विकल्प

राहुल गांधी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है लेकिन उनके पास हाईकोर्ट की डिविजन बेंच में अपील करने का मौका है। वे चाहें तो सुप्रीम कोर्ट में भी अपील कर सकते हैं। अगर डिविजन बेंच या सुप्रीम कोर्ट से उनकी सजा पर रोक लगती है तो उनकी संसद सदस्यता बहाल हो सकती है।

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