छठे समन पर भी नहीं पहुंचे हेमंत सोरेन, ईडी दफ्तर के सामने से गुजर गया CM का काफिला

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 11 दिसंबर को ईडी का छठा समन भेजकर 12 दिसंबर को रांची स्थित ईडी के रीजनल ऑफिस में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। लेकिन वह हाजिर नहीं हुए।

इसके पहले उन्हें पहला समन 8 अगस्त को भेजकर 14 अगस्त को हाजिर होने का निर्देश दिया गया था। हाजिर न होने पर दूसरा समन 19 अगस्त को भेजा गया और 24 अगस्त को हाजिर होने का निर्देश दिया गया था। तीसरा समन 1 सितंबर को भेजकर 9 सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया गया था, लेकिन हेमंत तीसरे समन में भी हाजिर नहीं हुए।

इसके बाद ईडी ने चौथा समन 17 सितंबर को भेजा और 23 सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया, मगर चौथे समन में भी सीएम हाजिर नहीं हुए। उसके बाद पांचवा समन 26 सितंबर को भेजा गया तथा 4 अक्टूबर को हाजिर होने का निर्देश दिया गया, मगर इस समन पर भी वे हाजिर नहीं हुए।

अब जब छठा समन 11 दिसंबर को भेजकर ईडी ने केवल एक दिन की मोहलत यानी 12 दिसंबर को 11:00 बजे रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में हाजिर होने का निर्देश दिया तो सबको लगा कि इस बार हेमंत सोरेन जरूर हाजिर होंगे। लेकिन हेमंत सोरेन छठे समन पर भी ईडी ऑफिस नहीं गए।

हां, अलबत्ता मुख्यमंत्री का काफिला दोपहर में सीएम आवास से निकलकर ईडी ऑफिस की ओर बढ़ा था, लेकिन सीएम की गाड़ी ईडी ऑफिस के सामने नहीं रुकी और उनका काफिला ईडी ऑफिस के सामने से गुजर गया।

बताया जाता है कि ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ के तहत सीएम हेमंत सोरेन के दुमका जाने का कार्यक्रम पहले से तय था। ऐसे में सीएम ईडी ऑफिस होते हुए दुमका की ओर निकल गए। खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से अभी तक ईडी के अधिकारियों को इस संबंध में कोई सूचना नहीं दी गई है।

इसके पहले हेमंत सोरेन ने झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी। हेमंत ने ईडी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी थी। हेमंत सोरेन को न तो ईडी ने समन भेजना बंद किया, न ही उन्हें झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिली।

वैसे पिछले पांच समन में ईडी ने हेमंत सोरेन को एक सप्ताह का वक्त दिया था। यह पहला मौका था, जब उन्हें एक दिन के नोटिस पर पूछताछ के लिए बुलाया गया था।

वर्तमान में अमित अग्रवाल जमीन घोटाला मामले में ईडी के आरोपी हैं और होटवार जेल में ही बंद हैं। जमीन घोटाला मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी मामले में पूछताछ के लिए ईडी बार-बार सीएम हेमंत सोरेन को समन भेज रहा है।

बता दें कि जमीन घोटाले से जुड़े मामले में जिन 13 आरोपियों की हुई गिरफ्तारी है उनमें कारोबारी विष्णु अग्रवाल, रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन, जगत बंधु टी स्टेट के निदेशक दिलीप घोष, राजेश ऑटो के निदेशक अमित अग्रवाल, राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद, जमीन के फर्जी मालिक का पोता राजेश राय, पावर ऑफ अर्टानी होल्डर भरत प्रसाद, सेना के कब्जेवाली जमीन का फर्जी मालिक प्रदीप बागची, जालसाजी कर जमीन बेचनेवाले गिरोह का सरगना अफसर अली, जालसाज गिरोह का सदस्य इम्तियाज अहमद, सद्दाम हुसैन, तलहा खान और फैयाज खान शामिल हैं।

बता दें कि रांची के बरियातू रोड स्थित सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल को 7 जून 2023 को गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी ने यह जमीन खरीदने वाले जगत बंधु टी इस्टेट के मालिक दिलीप घोष को भी गिरफ्तार किया। दोनों की गिरफ्तारी 7 जून की देर रात को कोलकाता से हुई। इससे पहले दोनों से लंबी पूछताछ की गई थी।

जांच एजेंसी ने 8 जून को दोनों को रांची स्थित ईडी कोर्ट में पेश कर रिमांड पर देने की अपील की।

मामले में ईडी ने दिलीप घोष को 10 मई को पूछताछ के लिए समन जारी किया, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए और न ही पेश नहीं होने का कारण बताया, न ही समय की मांग की।

ईडी ने कोर्ट को बताया था कि, प्रदीप बागची ने जिस जगत बंधु टी इस्टेट के मालिक दिलीप घोष को यह जमीन बेची थी, उस कंपनी का अघोषित मालिक अमित अग्रवाल है।

खबर के मुताबिक बागची ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर फर्जी रैयत बनकर 2021 में यह जमीन दिलीप घोष को सात करोड़ रुपये में बेची थी। जबकि उस वक्त जमीन की सरकारी दर 20 करोड़ रुपये थी। यही नहीं इसके लिए दिलीप घोष ने बागची के खाते में सिर्फ 25 लाख रुपये ट्रांसफर किए थे। शेष राशि का भुगतान फर्जी चेक के माध्यम से दिखाया गया था। यह पूरा मामला सामने आने के बाद ही ईडी ने दोनों को गिरफ्तार किया।

बता दें कि ईडी ने रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन और बड़गाई के राजस्व कर्मचारी सहित 18 लोगों के 22 ठिकानों पर 13 अप्रैल को छापेमारी की थी। इस दौरान बड़ी संख्या में जमीन के फर्जी डीड, मुहर और अन्य कागजात मिले थे।

इस मामले में जांच एजेंसी ने 14 अप्रैल को सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद, बागची, अफसर अली, इम्तियाज खान, तल्हा प्रदीप खान, फैयाज खान व मो. सद्दाम शामिल हैं। उन पर इस जमीन के दस्तावेज में छेड़छाड़ करने का आरोप था।

आरोप था कि इन्होंने कोलकाता रजिस्ट्री ऑफिस में भी दस्तावेज में फर्जीवाड़ा किया फिर प्रदीप बागची ने इसे दिलीप घोष को बेच दिया। इसके बाद लंबी पूछताछ के बाद चार मई को छवि रंजन को गिरफ्तार कर लिया गया था। इनकी गिरफ्तारी के बाद पता चला कि छवि रंजन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और प्रेम प्रकाश के माध्यम से दलालों से घूस ली। फिलवक्त ये सभी अभी जेल में हैं।

आपराधिक साजिश रचने व पुलिस में झूठी शिकायत दर्ज कराने के मामले में जांच कर रही सीबीआई दिल्ली की एंटी क्राइम ब्रांच ने 6 दिसंबर को अमित अग्रवाल को पुलिस रिमांड पर ले लिया और पांच दिनों की रिमांड खत्म होने के बाद अमित अग्रवाल को सीबीआई की अदालत में पेश किया गया।

अमित अग्रवाल जमीन घोटाला मामले में ईडी के हाथों गिरफ्तार होने के बाद से ही रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है।

बता दें कि उन्हें झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार के 50 लाख कैश कांड मामले में पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया था। पेशी के दौरान बताया गया कि सीबीआई कि पूछताछ पूरी हो गई। इसलिए वकील की तरफ से अतिरिक्त रिमांड नहीं मांगी गई।

7 दिसंबर को ही हाईकोर्ट में अमित अग्रवाल की जमानत पर सुनवाई होनी थी। लेकिन इससे पहले ही सीबीआई ने अमित को अपने केस में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने यह प्राथमिकी झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व में हुई सीबीआई की प्रारंभिक जांच (पीई) में आए तथ्यों के आधार पर दर्ज की थी। पीई सीबीआई के एंटी क्राइम ब्रांच नई दिल्ली के इंस्पेक्टर अनिल कुमार ने की थी और उन्हीं की शिकायत पर यह प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी।

15 दिनों के भीतर सीबीआई को पीई की जांच रिपोर्ट देनी थी। दर्ज प्राथमिकी में इसका जिक्र किया गया था कि झारखंड उच्च न्यायालय के 30 नवंबर 2022 के आदेश के आलोक में पांच दिसंबर 2022 को प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर अमित अग्रवाल व अन्य के विरुद्ध जांच की गयी थी। 15 दिनों के भीतर सीबीआई को पीई की जांच रिपोर्ट देनी थी।

हाईकोर्ट का उक्त आदेश व्यवसायी अमित अग्रवाल के उन आरोपों की जांच के लिए था, जिसमें अमित अग्रवाल ने कोलकाता के हेयर स्ट्रीट थाने में झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता राजीव कुमार के विरुद्ध एक जनहित याचिका को मैनेज करने के नाम पर 50 लाख रुपये रिश्वत देने का दावा किया था और आरोप लगाया था कि राजीव कुमार ने न्यायिक पदाधिकारियों, ईडी के अधिकारियों व सरकारी पदाधिकारियों को मैनेज करने के नाम पर उक्त राशि की मांग की थी।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच (पीई) में यह खुलासा हुआ था कि 10 जनवरी 2021 को शिव शंकर शर्मा नामक व्यक्ति ने अपने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका 4290/2021 दाखिल की थी। उक्त जनहित याचिका में यह आरोप लगाया था कि व्यवसायी अमित अग्रवाल व अन्य ने मिलकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काले धन का विभिन्न शेल कंपनियों में निवेश किया है।

दूसरी जनहित याचिका 16 फरवरी 2022 को 727/2022 में दाखिल की गई थी, जिसमें हेमंत सोरेन व तत्कालीन खान एवं भूतत्व विभाग की सचिव पूजा सिंघल पर मुख्यमंत्री व खान एवं भूतत्व विभाग के मंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन को खनन लीज आवंटन से संबंधित आरोप लगा था। उनपर यह भी आरोप लगा था कि वन एवं पर्यावरण मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री ने इस लीज के लिए पर्यावरण का क्लियरेंस ले लिया।

हाईकोर्ट ने दोनों ही जनहित याचिका को एक साथ जोड़कर सुनवाई की। सीबीआई को यह भी पता चला है कि मार्च 2022 में व्यवसायी अमित कुमार अग्रवाल ने रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन के माध्यम से अधिवक्ता राजीव कुमार पर उक्त जनहित याचिकाओं को दबाने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया।

अमित अग्रवाल ने कोलकाता के हेयर स्ट्रीट थाने में 31 जुलाई 2022 को अधिवक्ता राजीव कुमार व शिव शंकर शर्मा के विरुद्ध जनहित याचिका मैनेज करने के नाम पर दस करोड़ रुपये मांगने का आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बाद अमित अग्रवाल ने राजीव कुमार को पहले 13 जुलाई 2022 को रांची से कोलकाता बुलाया और इसके बाद 31 जुलाई को अपने परिचित सोनू अग्रवाल के माध्यम से उन्हें बुलाया और रुपये दिए।

दोनों ही मौके पर राजीव कुमार से अमित अग्रवाल के बीच हुई बातचीत को अमित अग्रवाल ने रिकार्ड भी किया। अमित अग्रवाल ने शिकायत में यह भी कहा था कि राजीव कुमार का न्यायिक पदाधिकारियों से बेहतर संपर्क है, जिसके माध्यम से जनहित याचिका मैनेज हो सकता है।

इसके एवज में बातचीत के बाद अमित अग्रवाल ने राजीव कुमार को 50 लाख रुपये देकर कोलकाता पुलिस के हाथों पकड़वा दिया। इसके बाद हेयर स्ट्रीट थाने में अमित अग्रवाल की शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में प्राथमिकी दर्ज हुई, जिसमें अज्ञात लोकसेवकों को भी आरोपित किया गया था।

सीबीआई की जांच में यह स्पष्ट हुआ था कि अमित अग्रवाल ने हेयर स्ट्रीट थाने में जो सूचना दी वह झूठी थी। अधिवक्ता व अमित अग्रवाल के बीच बातचीत में राजीव कुमार ने कहीं भी उसे धमकाया नहीं है बल्कि अमित अग्रवाल ने ही केस मैनेज करने के लिए रुपयों की पेशकश की। उसने राजीव कुमार को कोलकाता बुलाया और 50 लाख रुपये जनहित याचिका खारिज करवाने व लोकसेवकों को मैनेज करवाने के नाम पर दी।

इन्हीं तमाम मामलों के आलोक में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ के लिए समन जारी करता रहा है।

(विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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