असम में परिसीमन से जातीय टकराव की आशंका

नई दिल्ली। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से इस समय असंतोष, अस्थिरता और हिंसा की खबरें आ रही हैं। करीब दो महीने से मणिपुर में हिंसा जारी है। मैतेई समुदाय के हमलों के चलते कुकी समुदाय पलायन करने को मजबूर हैं। कुकी जनजाति मिजोरम में शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हैं। इस बीच अब असम में नया मुद्दा उठ खड़ा हो गया है। चुनाव आयोग ने हाल ही में असम में विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन प्रस्ताव देकर लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इसने राज्य में मुख्य रूप से बंगाली भाषी बराक घाटी क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी है।

चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तुत मसौदे में बराक घाटी के तीन जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांडी में विधानसभा सीटों की संख्या 15 से घटाकर 13 करने का प्रस्ताव रखा गया है। चुनाव आयोग द्वारा उठाये इस कदम के खिलाफ मंगलवार को कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) समेत कई विपक्षी दलों ने ‘बराक बंद’ का आयोजन किया था।

बराक में अशांति के कारण के सवाल पर उत्तरी करीमगंज के विधायक और असम कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कमलाख्या डे पुरकायस्थ बताते हैं कि 1971 में, जब हमारी जनगणना हुई थी उस वक्त घाटी की आबादी का आंकड़ा लगभग 17 लाख बताई गई थी। फिर 1976 में हमारा परिसीमन हुआ, तब हमारी जनसंख्या लगभग 20 लाख थी। अब 2023 में चुनाव आयोग जब दूसरी बार परिसीमन करेगा तो हमारी आबादी लगभग 45 लाख है।

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि अगर जनसंख्या बढ़ रही है तो सीटों की संख्या को कैसे कम किया जा सकता है? वहीं परिसीमन के जारी गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया जा रहा है। गाइडलाइन का साफ कहना है कि जहां तक संभव हो विकास खंड न तोड़े जाएं। लेकिन छह अलग-अलग ब्लॉकों को मिलाकर निर्वाचन क्षेत्र बनाए जा रहे हैं, भौगोलिक दृष्टि से भी प्रस्तावित बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतिम बिंदु एक-दूसरे से 100 किमी की दूरी पर हैं। परिसीमन से लोकतंत्र की हत्या हो रही है। यदि ऐसा करना ही है तो यह लोगों के हित के लिए किया जाना चाहिए।

घाटी की दो लोकसभा सीटों में से एक सिल्चर को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करने के प्रस्ताव को लेकर चिंतायें बढ़ गई हैं। सिल्चर को अनुसूचित जाति के तौर पर आरक्षण को लेकर काफी समय से विचार किया जा रहा था।

कमलाख्या डे पुरकायस्थ कहते हैं कि सीटों के आरक्षण का संवैधानिक प्रावधान है। हम इसके बारे में बात नहीं करना चाहते, हमारा विरोध बराक घाटी में जनसंख्या में वृद्धि के बावजूद दो विधानसभा सीटों की कटौती को लेकर है।

पुरकायस्थ कहते हैं कि जब हमने इस प्रस्ताव को लेकर बराक घाटी में बंद का आवाहन किया था, तो एआईयूडीएफ ने भी बंद का समर्थन किया, यह उन पर निर्भर है। लेकिन अब हम जो देख रहे हैं कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा और एआईयूडीएफ नेताओं के बयान एक दूसरे के पूरक हैं। सीएम ने कहा कि उन्होंने खिलौंजिया (स्वदेशी लोगों) के लिए परिसीमन किया है, इसका अर्थ क्या है? क्या यह परिसीमन चुनाव आयोग ने नहीं, मुख्यमंत्री ने कराया है? इस बीच एआईयूडीएफ विधायक कह रहे हैं कि अल्पसंख्यक सीटें कम कर दी गई हैं।

पुरकायस्थ बताते हैं कि एक तरफ सीएम खिलौंजिया की बात कर लोगों के एक वर्ग की भावनाएं भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर, एआईयूडीएफ अल्पसंख्यक वोटों की बात कर माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। एआईयूडीएफ और मुख्यमंत्री के द्वारा अल्पसंख्यक मुद्दे को उठाने को लोग अच्छे से समझ रहे हैं। और इसलिए हम एआईयूडीएफ के साथ राजनीति करने को तैयार नहीं हैं और हम उन्हें कभी अपने साथ आने के लिए आमंत्रित नहीं करेंगे। यह हमारी गलती थी कि हमने पहले उनके साथ साझेदारी की। हम भविष्य में उन्हें अपने किसी भी आंदोलन में औपचारिक रूप से आमंत्रित नहीं करेंगे।

पुरकायस्थ कहते हैं कि वह केवल खिलौंजियों के ही मुख्यमंत्री नहीं हैं। वह एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं, और अगर वह कहते रहे कि वह खिलौंजिया के लिए सीएम बने हैं, तो उन बंगाली लोगों का क्या होगा जिन्होंने उन्हें वोट दिया और इस सरकार को बनाने में मदद की? एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति किसी एक जाति विशेष का नहीं हो सकता है। मुख्यमंत्री कि यह सोच राज्य की जनता के बीच मतभेद पैदा कर सकता है। तो मुख्यमंत्री सिर्फ खिलौंजिया के लिए नहीं होना चाहिए। वह असम के सभी लोगों के माने जाते है। अगर वह संवैधानिक शपथ लेने के बाद ये बातें करते हैं, तो मुझे लगता है कि यह असम के इतिहास पर एक धब्बा है। यह उनके आंतरिक एजेंडे का हिस्सा हो सकता है, लेकिन खुले तौर पर और स्पष्ट रूप से कहने का उद्देश्य राज्य में ध्रुवीकरण करना और हिंदू-मुस्लिम, बंगाली-असमिया, राभा-बोरो की राजनीति करना और असम के विभिन्न समुदायों को विभाजित करने का काम करेगा है। मुख्यमंत्री के पद पर बैठकर ऐसी राजनीति राज्य में अराजकता को जन्म दे सकती है।

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