सामंती ताकतों की साजिश का शिकार हुए हैं मनोज मंजिल

पटना/आरा। पूरे भारत में चुनाव से पहले तमाम पुराने केस, सीबीआई एवं ईडी आदि तमाम रास्तों के जरिए विपक्षी नेताओं को लगातार जेल का रास्ता दिखाया जा रहा है। इसी सिलसिले में बिहार में 9 साल पुराने आरा के चर्चित जेपी सिंह मर्डर केस में आरा सिविल कोर्ट के एडीजे-3 ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के विधायक मनोज मंजिल समेत 23 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। उम्रकैद की सजा मिलने के बाद मनोज मंजिल को पुलिस ने तुरंत हिरासत में ले लिया। सजायाफ्ता मनोज मंजिल को सजा के अलावा 25 हजार रुपए जुर्माना भी देना होगा। 

भोजपुर जिले के अगिआंव से मनोज मंजिल 2020 में पहली बार विधायक बने हैं। विधायक बनने से पहले और बाद में भी बिहार में कई आंदोलनों के मुख्य चेहरे के तौर पर मनोज मंजिल जाने जाते हैं। सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रिय हैं। सड़क पर स्कूल समेत कई आंदोलन की उन्होंने सक्रिय तौर पर अगुआई की है। इलाके में किसी तरह की सामंती उत्पीड़न की घटना हो या फिर जनता का कोई सवाल मनोज मंजिल उसके खिलाफ होने वाली लड़ाई की अगुआ कतार में खड़े रहे हैं। 

पूरा मामला जानिए

अजीमाबाद थाना क्षेत्र के बड़गांव में 20 अगस्त, 2015 को माले नेता सतीश यादव की हत्या हुई थी। जिस केस के अपराधी आज भी बाहर घूम रहे हैं। इसी घटना के लगभग एक सप्ताह के  बाद क्षेत्र के बेरथ पुल के पास नहर किनारे एक अज्ञात शव मिला था। शव मिलने के बाद उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई थी। पोस्टमार्टम के बाद चंदन कुमार ने शिनाख्त की थी और बताया था कि वह उनके पिता जेपी सिंह की बॉडी थी। इसके बाद पुलिस शव को एफएसएल जांच के लिए पटना भेज दिया था, आश्चर्यजनक बात यह है कि इसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। रिपोर्ट का इंतजार पुलिस अब तक कर रही है। 9 साल के बाद इस केस में जेपी सिंह के पुत्र के बयान पर 23 नामजदों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। किसी भी आरोपी को चार्जशीट नहीं किया गया था। फिर अचानक एक दिन 23 नामजद लोगों को उम्रकैद की सजा सुना दी गई। 

मनोज मंजिल के साथ काम करने वाले आनंद बताते हैं कि, “एक व्यक्ति की मौत की फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट में यह बात साबित नहीं हुई कि यह जय प्रकाश सिंह की डेड बॉडी है। ऐसे केस में 24 व्यक्ति को उम्र कैद की सजा मिल गई। पूरा प्रशासन मिला हुआ था। वहीं कुछ दिन पहले माले के नेता सतीश यादव के केस में कुछ नहीं हुआ है। भाकपा माले विधायक को साजिश के तहत फंसाया गया है। भोजपुर की सामंती ताकतें हमेशा इसी तरह की फिराक में रहती हैं।”

आरा क्षेत्र के ही विकास यादव बताते हैं कि, “2020 में विधानसभा चुनाव के वक्त भी नामांकन के समय भी उनकी गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि बाद में वह जमानत पर बाहर आ गए थे। 16 वें नंबर पर उनका नाम है। जिसे जानबूझकर डाला गया है।”

तरारी से माले विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि, “इस मामले में विधायक मनोज मंजिल को फंसाया गया है। यह एक राजनीतिक साजिश है। हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे।”

भोजपुर इलाके में सामंतों ने लगातार भाकपा माले के नेताओं को फंसाने की कोशिश की है।

पार्टी महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य कहते हैं कि, “सिर्फ एक मामले में हमारे पार्टी के 23 कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया गया है। एक की उम्र 90 से ज्यादा है, जो सरपंच रह चुके हैं। इसी बिहार में कई नरसंहार हुए हैं। लेकिन अभी तक किसी भी नरसंहार के लिए किसी एक को भी सजा नहीं मिली है। आज एक कथित हत्या के मामले में विधायक के अलावा 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। कानून के माध्यम से तो हम लड़ेंगे ही लेकिन जन संघर्ष भी हमारा जारी रहेगा। बिहार में भाकपा माले का सबसे मजबूत गढ़ भोजपुर को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।”

भाकपा से जुड़े अमित चौधरी बताते हैं कि “भोजपुर इलाके में सामंतों ने लगातार कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को फंसाने की कोशिश की है। क्योंकि यह इलाका सबसे ज्यादा कम्युनिस्ट आंदोलन की भूमिका में आगे रहा है। विपक्ष की हर पार्टी के नेता को कमजोर करने की कोशिश लगातार की जा रही है। 

विधायक मनोज मंजिल समेत 23 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने के खिलाफ भाकपा-माले ने राज्य में प्रतिवाद मार्च का आयोजन किया है।

(पटना से राहुल कुमार की रिपोर्ट।)

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