लागू होने की प्रक्रिया में अपने मकसद से भटक गया जीएसटी: सुप्रीम कोर्ट

देश के ऐतिहासिक टैक्स सुधार की दिशा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हुए पौने चार साल पूरे हो गए हैं। मोदी सरकार ने 1 जुलाई, 2017 को अप्रत्यक्ष कर की इस नई व्यवस्था को लागू किया था। यह टैक्स के मोर्चे पर सुधार का बड़ा कदम था।जीएसटी को लागू करने के पीछे 5 मकसद थे- महंगाई पर लगाम, अनुपालन बोझ कम होगा, टैक्स चोरी पर लगाम, जीडीपी में इजाफा और टैक्स कलेक्शन बढ़ जाएगा, लेकिन जिस अफरातफरी में बिना मुकम्मल तैयारी के जीएसटी लागू किया गया उससे यह अपने किसी भी उद्देश्य को पूरा करने में पूरी तरह असफल रहा है।इसकी असफलता पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इसे गब्बर सिंह टैक्स का नाम दिया है।अब तो उच्चतम न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी की है कि देश की संसद जीएसटी को आसान बनाना चाहती थी, लेकिन लागू करने के दौरान यह अपने मकसद से भटक गया है। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि संग्राहक (टैक्समैन) हर बिजनसमैन को धोखेबाज नहीं कह सकते हैं।

देश में जीएसटी (गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स) को लागू करने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संसद की मंशा थी कि जीएसटी सिटिजन फ्रेंडली टैक्स हो, लेकिन जिस तरह से इसे देश भर में लागू किया जा रहा है, वह इसके मकसद को खत्म कर रहा है।

हिमाचल प्रदेश जीएसटी के एक प्रावधान को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संसद की मंशा थी कि जीएसटी सिटिजन फ्रेंडली टैक्स स्ट्रक्चर बने। लेकिन जिस तरह से इसे देश भर में लागू कराया जा रहा है, इसका मकसद खत्म हो गया है। उन्होंने  जीएसटी को लागू करने के तरीके पर नाराजगी जताई ।

हिमाचल प्रदेश जीएसटी एक्ट 2017 के उस प्रावधान को उच्चतम न्यायालय  में चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि मामले की कार्यवाही पेंडिंग रहने के दौरान अधिकारी चाहें तो बैंक एकाउंट समेत अन्य प्रॉपर्टी जब्त कर सकता है। जीएसटी एक्ट की धारा-83 में प्रावधान है कि अगर कोई मामला पेंडिंग है और कमिश्नर ये समझता है कि सरकार के राजस्व के हित को प्रोटेक्ट करने के लिए जरूरी है तो वह संबंधित पक्षकार (जिनके टैक्स का मामला है) की संपत्ति और बैंक एकाउंट आदि अटैच कर सकता है। उच्चतम न्यायालय में हिमाचल प्रदेश जीएसटी एक्ट की धारा-83 को चुनौती दी गई है। उच्चतम न्यायालय सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जीएसएटी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं। उन्होंने आरोप है कि यह अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र के लिए दूसरा बड़ा आक्रमण है और इसके दोषपूर्ण कार्यान्वयन ने अर्थव्यवस्था का सर्वनाश कर दिया। राहुल गांधी ने कहा था  कि जीएसटी यूपीए सरकार का आइडिया था। एक टैक्स, सरल टैक्स और साधारण, लेकिन मोदी सरकार ने इसे जटिल बनाकर रख दिया। एनडीए सरकार द्वारा लागू जीएसटी में चार अलग-अलग टैक्स हैं। 28 प्रतिशत तक टैक्स है और बड़ा जटिल है। समझने को बहुत मुश्किल टैक्स है। जो छोटे और मझोले व्यापार वाले हैं, वो इस टैक्स को भर ही नहीं सकते जबकि बड़ी कंपनियां बड़ी आसानी से भर सकती हैं, वे पांच-10 अकाउंटेंट लगा सकती हैं। राहुल का कहना है कि यह जीएसटी पूरी तरह से विफल है, यह गरीबों पर और छोटे व मझोले व्यवसायों पर हमला है। जीएसटी एक कर प्रणाली नहीं है, यह भारत के गरीबों पर आक्रमण है। छोटे दुकानदारों, छोटे और मझोले व्यवसायों, किसानों और मजदूरों पर आक्रमण है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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