संविधान दिवस पर संगठनों ने शुरू की ‘हर घर संविधान’ यात्रा, लोगों को कर रहे हैं जागरूक

जौनपुर/मिर्ज़ापुर। समूचे देश में 26 नवंबर 2023 को देश के 74वें संविधान दिवस के रूप में विविध ढंग से मनाया गया। लेकिन यह दिवस 26 नवंबर से शुरू हो कर 26 जनवरी 2024 तक विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के साथ चलेगा। जिसका आगाज़ भी 26 नवंबर से हो चुका है। खुशी इस बात की है कि जिसे बड़ी संस्थाएं नहीं कर पाईं हैं उसे छोटे संगठनों ने करने की ठानी है। इन संगठनों से जुड़े लोग हर रोज विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के बीच जाकर इस दिवस को मना रहे हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि संविधान क्या है?

देखा जाए तो ‘संविधान दिवस’ को किसी महापर्व से कम नहीं आंका जाना चाहिए, वह इसलिए कि संविधान, जिसमें वर्णित व्यवस्थाओं के आधार पर हमें अपनी बात कहने के मौलिक अधिकार मिले हुए हैं। वह संविधान जिसने हर एक उस व्यक्ति को जीवन जीने का अधिकार दिया है जो भारत का नागरिक है और भारतीय संविधान में अपनी आस्था रखता है।

संविधान और संविधान दिवस की उपयोगिता के परिप्रेक्ष्य में अपना पक्ष रखते हुए युवा सामाजिक कार्यकर्ता लाल प्रकाश राही कहते हैं, “हम संविधान में निहित मौलिक अधिकार की बात तो करते है, लेकिन नागरिकों के नैतिक कर्तव्यों पर बात नहीं करते हैं कि एक नागरिक के तौर पर देश और समाज में संविधान के मौलिक अधिकारों और सामाजिक, आर्थिक न्याय, स्वतंत्रता, धर्म निरपेक्षता, समता, व्यक्ति की गरिमा और बंधुता को प्रतिस्थापित करने में एक नागरिक के तौर पर हमारी क्या भूमिका हो सकती है? इस पर भी सभी को अपनी मंशा साफ करनी होगी।”

लाल प्रकाश राही दिशा फाउंडेशन के निदेशक हैं। वह पिछले डेढ़ दशक से समाज के दबे-कुचले ग़रीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी, सहित शोषित-वंचित समाज के लिए कार्य करते आ रहे हैं। मसलन, इन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करने व संवैधानिक अधिकारों को जानने से लेकर उनके क्या मौलिक अधिकार हैं इत्यादि मुद्दों पर भी चर्चा परिचर्चा के जरिए जागरूक करते आ रहे हैं।

दरअसल, दिशा फाउंडेशन एवं आज़ाद शिक्षा केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में 74वें संविधान दिवस के अवसर पर जौनपुर के अति पिछड़े हुए इलाके आज़ादनगर स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में सामाजिक-आर्थिक न्याय के लिए, शांति सद्भाव के लिए, एकता और निर्माण के लिए समर्पित संविधान दिवस समारोह का आयोजन किया गया।

समारोह में मुख्य अतिथि पूर्वांचल के वरिष्ठ सर्जन डॉ लाल बहादुर सिद्धार्थ रहे, जबकि जिला पंचायत सदस्य राम बचन सरोज, डॉक्टर सुनील कुमार गौतम, गुड्डू प्रधान, अलाउद्दीन प्रधान, दशरथ मास्टर, रामबचन सरोज, तरुण, अमरनाथ विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

सीखेगें सत्ता के नुमाइंदों से सवाल करना

संविधान दिवस समारोह की शुरूआत में सभी लोगों ने संविधान की प्रस्तावना को शपथ के रूप में दोहराया, इसके बाद दिशा फाउंडेशन के निदेशक लाल प्रकाश राही ने कार्यक्रम के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “हम संविधान के मौलिक अधिकार की बात तो करते हैं, लेकिन हम समाज निर्माण में संवैधानिक मूल्यों को स्थापित करने में हमारी भूमिका क्या होनी चाहिए इस पर बात करने से बचते हैं।” 

उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम नहीं है, हम अपने साथियों के साथ 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) तक लगातार घर-घर जाकर संविधान की प्रस्तावना का स्टिकर लोगों के दरवाजों पर चस्पा करेंगे, फिर संविधान की प्रस्तावना की शपथ लोगों को दिलाते हुए संविधान के मौलिक अधिकारों के साथ ही नागरिक के कर्तव्यों पर संवाद स्थापित करेगें।

साथ ही यह कोशिश की जाएगी कि लोग अपने व्यक्तिगत कामों के साथ देश और समाज में अपनी भूमिका को निभाने की कोशिश करें, वह सत्ता और अपने प्रतिनिधियों से सवाल करना सीखें और समाज में शांति और सद्भाव को मजबूत करने के लिए समाज में होने वाले हर प्रकार के अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठा सकें।”

बतौर मुख्य वक्ता अपनी बात रखते हुए डॉ लाल बहादुर सिद्धार्थ ने कहा कि “74 वर्ष पहले भी इस देश में संविधान था। कहीं पर धर्म आधारित तो कहीं पर राजाओं का अपना विधान था, कहीं अंग्रेजों का विधान था। हम गुलाम थे, हमारे ऊपर किसी और का शासन था, जो गैर बराबरी, ऊंच-नीच पर आधारित संविधान था। जिसमें सभी को समता के आधार पर कोई भी अधिकार नहीं था, लेकिन बाबा साहेब के संविधान ने सभी को एक समान अधिकार दिया जो 74 वर्ष पहले कभी भी नहीं हुआ था।

युवाओं को दिलाई गई संविधान की प्रस्तावना की शपथ

संविधान दिवस अवसर से शुरू हुआ जागरूकता अभियान समारोह, गोष्ठी से होते हुए अब हर घर तक पहुंचा है। हर घर संविधान यात्रा के दूसरे व तीसरे दिन शहर क्षेत्र के धन्नेपुर और मीरपुर मोहल्ले में युवाओं के साथ संवैधानिक मूल्यों पर संवाद एवं चर्चा के साथ ही युवाओं को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाते हुए संविधान की उपयोगिता बताई गई। इसको लेकर युवाओं में खासा उत्साह देखने को मिला।

थानागद्दी क्षेत्र की सौहार्द फेलो नीरा आर्य कहती हैं, “प्रत्येक व्यक्ति का भी यह फर्ज बनता है कि वह अपने मौलिक अधिकारों के साथ ही साथ नैतिक कर्तव्यों को भी बखूबी निभाए और समझे तभी इस दिवस की सार्थकता को मजबूती मिलेगी।”

नीरा महिलाओं, युवतियों, किशोरियों को दकियानूसी सोच से परे हटकर नई ऊर्जा के साथ संविधान के तहत महिलाओं को मिले अधिकारों को समझने की वकालत करती हैं। वो कहती हैं कि महिलाओं का जागरूक होना जरूरी है। नारी अब अबला नहीं है वह स्वालंबी बन कर परिवार को भी आगे बढ़ा रही है।”

संविधान की मूल प्रति में भारतीय संस्कृति की दिखती है झलक

संविधान दिवस पर आयोजत कार्यक्रमों के तहत जौनपुर के केराकत तहसील क्षेत्र स्थित श्री कृष्ण पब्लिक स्कूल धरौरा के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में संविधान सभा के सदस्यों की तस्वीर का अनावरण किया गया। इस दौरान सभागार में उपस्थित सैकड़ों लोगों ने संविधान की शपथ लेते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर संविधान की गरिमा को बनाए रखने का संकल्प लिया।

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि “बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, जिनके कठिन परिश्रम से भारतीय संविधान की रचना हो सकी।” इस दौरान यह भी मांग उठी कि वर्तमान पाठ्यक्रम में दो चीजें काफी जरूरी हैं- एक तो संविधान को पढ़ाना और दूसरा राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना।

इस मौके पर संतोष पाण्डेय ने कहा, “भारतीय संविधान की मूल प्रति में भारतीय संस्कृति की झलक प्रतिबिंबित होती है। सौहार्द फेलो नीरा आर्या ने बच्चों का आह्वान करते हुए कहा कि संविधान दिवस को महज संगोष्ठी र्कायक्रम तक ही सीमित नहीं रखना है बल्कि इसे हर एक व्यक्ति, हर एक घर तक पहुंचाना है, ताकि लोग इसे जानें और अपने अधिकारों को समझें। उन्होंने कहा कि ग्रामीण बच्चों को संविधान के विषय में जानकारी प्राप्त होने के साथ ही उनका मानसिक विकास भी होगा।

संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों से वंचित लोगों ने सुनाया दुखड़ा

मिर्ज़ापुर की स्ववित्तपोषित पाल्क संस्था द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर समाज के अंतिम पंक्ति में जीवन जी रहे बच्चों व परिवारों के बीच बड़ा बग़ीचा व नई बस्ती में कार्यक्रम रखकर संविधान दिवस मनाया गया। इस मौके पर बच्चों व महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया गया। जहां सभी ने अपना दुखड़ा सुनाने हुए कहा संविधान किसका और कौन सा?

मतलब साफ था कि दो वक्त की रोटी के लिए पूरे दिन भागदौड़ और मेहनत मजदूरी करने वालों को भला इससे क्या वास्ता? जहां बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध न हों। बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो कर मुफलिसी भरा जीवन जी रहे लोगों का कहना है कि “हर सरकार सिर्फ योजनाएं बनाती है, उस पर क्रियान्वयन नहीं करती। क्रियान्वयन होता भी है तो उंचे लोगों के लिए, हम लोगों के लिए नहीं।”

नई बस्ती की महिलाएं बदन पर कपड़े की जगह नंगें घूमते बच्चों की ओर इशारा करते हुए कहती हैं कि “ये आज भी शिक्षा, चिकित्सा के साथ अन्य मूलभूत सुविधाओं से बहुत दूर हैं और सरकार के सारे प्रशासनिक अधिकारी, बाल श्रम अधिकारी के साथ दौरा कर दावे तो खूब करते हैं, लेकिन इधर झांक कर क्रियान्वयन की दिशा में कुछ भी नहीं करते हैं।”

उन्होंने कहा कि “सांसद, विधायक भी इनकी बदहाली भरे जीवन से वास्ता नहीं रखते। न तो इनकी कोई सुध लेने वाला है। यह कई बार शिकायत कर चुके हैं पर इनको मदद नहीं मिली। यदि इनको भी सही से संविधान के अनुसार अधिकार मिलें तो यह भी समाज की मुख्य धारा से जुड़ कर देश का मान सम्मान बढ़ा सकते हैं।”

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए संविधान की व्यवस्थाओं को उकेरा

संविधान दिवस पर हो रहे कार्यक्रमों के दूसरे सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए संविधान की व्यवस्थाओं को उकेरेते हुए छात्राओं ने ‘उठेंगे भारत के वास्ते, अम्बेडकर फुले-भगत सिंह के रास्ते, न्याय-समता-इंसानियत के वास्ते’ के जरिए लोगों को सोचने पर विवश पर कर दिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यालय की छात्राओं ने अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया। तो वहीं “रंगीला-रंगीला यह देश रंगीला.. गीत पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। ‘हम भीम राव के बेटे.. गीत पर जोरदार प्रस्तुति पूर्व माध्यमिक विद्यालय के बच्चों ने की। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में छात्र छात्राएं, अभिभावक, एवं दूर दराज के गांवों से लोग उपस्थित रहे।

उठो जागो संविधान को जानो

‘जब तक जानेंगे नहीं तब तक अपने अधिकार को पायेंगे कैसे?’ इत्यादि सवालों के जरिए भी युवाओं की टोली गांव-गांव, घर-घर जाकर समाज के शोषित, पीड़ित, वंचित समुदायों के बीच के लोगों को जागरूक करने में जुटी हुई है। इसे नाम दिया गया है- ‘हर घर संविधान यात्रा’।

इस अभियान के तहत जौनपुर के आजादनगर और मुरारा में विवेक शर्मा, विशाल शर्मा, शुभम शर्मा, अंबिका, करिश्मा, साधना यादव, राम सिंह राव, सियाराम यादव, रेनू शर्मा सहित सैकड़ों युवाओं की टोली हर घर तक जाकर लोगों को संविधान और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने का काम कर रही है।

(संतोष देव गिरी की रिपोर्ट।)

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Lal Prakash Rahi
Lal Prakash Rahi
Guest
5 months ago

बेहतरीन रिपोर्टिंग
जमीनी पत्रकारिता है