वाराणसी की स्वास्थ्य व्यवस्था को लगा डेंगू का डंक, अस्पतालों में चौतरफा हाहाकार

वाराणसी। बनारस में अब डेंगू के प्रकोप से सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था लड़खड़ाने लगी है। जिम्मेदार यदि गंभीरता से मरीजों की सुविधा-चिकित्सा में नहीं जुटे तो हालत बेकाबू होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। जब रामनगर स्थित लालबहादुर शास्त्री अस्पताल के फर्मासिस्ट की डेंगू से मौत हो गई तो डेंगू के कहर को ग्राउंड पर आकलन करना कोई कठिन काम नहीं है। डेंगू के मरीजों मे प्लेटलेट्स की कमी को दूर करने के लिए सरकारी अस्पतालों से महज 50-80 यूनिट प्लेटलेट्स की आपूर्ति हो रही है। जबकि रोज 100 से अधिक पेशेंट्स के तीमारदार प्राइवेट हॉस्पिटल्स के चक्कर काटने को विवश हैं।

सभी सरकारी अस्पतालों में बेड फुल

इससे मंडलीय, दीनदयाल व एलबीएस समेत सभी सरकारी अस्पतालों में बेड फुल हैं। सोमवार को इमरजेंसी में भी सुबह से रात तक कतार लगी रही। बेड खाली न होने से डाक्टरों की सांसें फूलती रहीं। थोड़ा आराम होने पर कुछ मरीजों को छुट्टी देकर जगह जरूर बनाई गई, लेकिन यह भी कम पड़ती रही। हालांकि जांच की व्यवस्था न होने से लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जाता रहा। मंडलीय अस्पताल को छोड़ अन्य किसी सरकारी अस्पताल में 24 घंटे जांच की व्यवस्था नहीं है। इससे शनिवार दोपहर बाद जांच के लिए सोमवार को अस्पताल खुलने का ही इंतजार करना होता है।

नहीं दिख रही महकमे की मुश्तैदी

इसमें भी जरूरी नहीं की जांच होने के साथ रिपोर्ट मिल भी जाए। सीमित संसाधन और जांच की संख्या अधिक होने से रिपोर्ट के लिए चार से पांच दिन तक इंतजार करना पड़ रहा। इससे रिपोर्ट आने तक लक्षण के आधार पर ही इलाज की मरीज हो या डाक्टर सभी की विवशता है। इसमें खतरा यह कि रिपोर्ट आने तक स्थिति भी बदल चुकी होती है। ऐसे में इंतजार के बजाय ज्यादातर लोग निजी पैथोलॉजी की शरण में जा रहे हैं। जिनके जेब इसका खर्च वहन करने लायक नहीं, उनके इलाज की अवधि भी बढ़ जा रही है। वहीं अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद भी मुस्तैदी नहीं दिख रही। जिले में रविवार को डेंगू के चार नए केस मिले। इससे अब कुल मरीजों की संख्या 125 तक पहुंच गई है।

डरा रही है मरीजों की बढ़ती संख्या

मंडलीय हॉस्पिटल की ओपीडी में हर दिन 2000 से अधिक मरीज आ रहे हैं। इसमें फीवर के साथ शरीर में दर्द की शिकायत वाले अधिक हैं। वहीं जिला अस्पताल में भी हर दिन ओपीडी में लगभग 1000 से ज्यादा मरीज बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हैं। इसके साथ शहर के अन्य सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में भी मरीजों का आंकड़ा बढ़ा है। ऐसे आंकड़ों को लेकर डॉक्टरों को कहना है कि शहर हो या गांव, हर चौथे घर में कोई न कोई बीमार है। ऐसा सीजन ही है, इसमें कई तरह के बुखार हो रहे हैं। अधिकतर मामले डेंगू और वायरल फीवर के ही हैं।

यह बुखार है बेहद खतरनाक: एसीएमओ

एक विशेषज्ञ का कहना है कि वाराणसी वर्तमान में डेंगू के प्रकोप के ‘प्रथम चरण’ में है। “लेकिन जैसे ही शहर दूसरे और तीसरे चरण में प्रवेश करेगा, आने वाले दिनों में प्लेटलेट्स और इंजेक्शन की कमी हो सकती है। एसीएमओ डॉ. एसएस कन्नौजिया ने बताया कि “इस सीजन में बैक्टीरिया काफी तेजी से एक्टिव होते हैं। ऐसे में इनसे बचाव ही उपाय है। देखा जाए तो इस बार यहां डेंगू के मामले पिछले साल की तुलना में कम है। वायरल फीवर के केस ज्यादा हैं। हां ये सही है कि यह फीवर बेहद खतरनाक है। यह बॉडी को काफी कमजोर कर दे रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है, यह जांच का विषय है।

(वाराणसी से पवन कुमार मौर्य की रिपोर्ट।)

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