नूंह हिंसा मामले में सुनवाई स्थगित, अब चीफ जस्टिस देखेंगे तोड़फोड़ का केस, सरकार ने नहीं दिया हलफनामा

हरियाणा के नूंह में हिंसा के बाद ताबड़तोड़ बुलडोजर कार्रवाई मामले में हाईकोर्ट में आज सुनवाई स्थगित कर दी गई। इस मामले की सुनवाई अब चीफ जस्टिस की कोर्ट में होगी। इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। जिसको लेकर आज हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी। हाईकोर्ट में सरकार की ओर से आज बुलडोजर कार्रवाई को लेकर जवाब देने के लिए हरियाणा सरकार के एडिशनल एजी दीपक सबरवाल पेश हुए।

नूंह हिंसा मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने आज मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है। इस मामले की अगली सुनवाई चीफ जस्टिस के समक्ष होगी। हाईकोर्ट में जवाब देने के लिए हरियाणा सरकार के एडिशनल एजी दीपक सबरवाल पेश हुए थे। दीपक सबरवाल ने कहा कि, आज सरकार की तरफ से जवाब दाखिल नहीं किया गया।

नूंह में बुलडोजर अभियान के विरुद्ध पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में आज जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। जस्टिस अरुण पल्ली ने कहा कि चैप्टर 2 रूल 9 के तहत जब किसी मामले पर अदालत स्वतः संज्ञान लेती है तो उस मामले को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। ऐसे में उनके आदेश पर केस को रोस्टर के अनुसार 3 दिन में किसी बेंच को विचारार्थ भेजा जाता है, लेकिन आज चीफ जस्टिस की बेंच नहीं है। इसलिए केस की सुनवाई अगले शुक्रवार तक के लिए स्थगित की गई है।

इस मामले की सुनवाई आज जस्टिस अरुण पल्ली और जगमोहन बंसल की कोर्ट में हुई। अब यह सुनवाई चीफ जस्टिस की कोर्ट में होगी। दीपक सबरवाल ने कहा कि, चीफ जस्टिस के सामने ही मामले की सुनवाई 16 अगस्त को हो सकती है। जहां पर जवाब दायर किया जाएगा। दीपक सबरवाल ने कहा कि जो बुलडोजर की कार्रवाई हुई थी, वह कानून के तहत ही हुई थी और हाईकोर्ट ने उस पर कोई रोक नहीं लगाई थी।

उन्होंने कहा कि, नूंह और गुरुग्राम में कानून के तहत और नियमों के मद्देनजर रखते हुए कार्रवाई की गई थी। उन्होंने कहा कि, बुलडोजर कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। बुलडोजर की कार्रवाई के दौरान धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार अवैध निर्माण पर बुलडोजर की कार्रवाई करती रहेगी।

दरअसल नूंह में 31 जुलाई को ब्रज मंडल यात्रा के दौरान हुई हिंसा के बाद जिले में सरकार ने कई घरों पर बुलडोजर चलाया था। वहीं, इस मामले को लेकर स्थानीय कांग्रेस विधायक आफताब अहमद समेत कई लोगों ने इसे बिना नोटिस घर तोड़ने की कार्रवाई बताते हुए विरोध किया था। इस मामले में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कड़ी शब्दों में इसकी आलोचना करते हुए बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद इस मामले में सरकार को नोटिस जारी करते हुए आज इसकी सुनवाई तय की गई थी। आज सरकार की ओर से इस मामले में हाईकोर्ट में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर जवाब दिए जाने थे।

हाईकोर्ट ने अधिकारियों को एक हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने पूछा था कि हिंसा के बाद पिछले 2 सप्ताह में नूंह और गुरुग्राम में कितनी इमारतें ध्वस्त की गई हैं। साथ ही यह भी पूछा गया है कि क्या तोड़फोड़ से पहले कोई नोटिस जारी किया गया था, या नहीं।

इसके पहले सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि, नूंह हिंसा के बाद तोड़फोड़ कार्रवाई में विशेष वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा था कि नोटिस जारी किए बगैर निर्माण गिराना नियमों के खिलाफ नहीं है। इसके साथ ही कहा गया था कि यह कार्रवाई लोगों के अधिकारों का हनन है, इस पर फौरन रोक लगनी चाहिए।

इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने जब इस मामले की सुनवाई की थी तो कड़े शब्दों में हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के बयानों पर भी सवाल उठाए थे। हालांकि उनके इन बयानों के बाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ तो कोई नोटिस जारी नहीं किया, लेकिन हरियाणा सरकार के खिलाफ नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब तलब किया गया था।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नूंह हिंसा से संबंधित अधिकारियों से हलफनामा मांगा था। हाईकोर्ट ने पूछा है कि नूंह हिंसा के 2 हफ्ते बाद गुरुग्राम और मेवात में कितनी इमारतें ध्वस्त की गई हैं। साथ ही यह भी पूछा गया है कि बुलडोजर की कार्रवाई से पहले किसी को भी इस मामले में नोटिस जारी किया गया था या नहीं?

31 जुलाई की हिंसा के बाद नूंह और गुरुग्राम क्षेत्र में सरकार के द्वारा अवैध इमारतों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर चलाया गया था। इस दौरान सरकार की और से 57 एकड़ से अधिक क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण हटाए जाने का दावा किया जा रहा है। हालांकि हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगा दी गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट की और से सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था।

जस्टिस जीएस संघ बलिया और जस्टिस हरमीत कौर की खंडपीठ ने नूंह में इमारत को ध्वस्त किए जाने की कार्रवाई का स्वत: संज्ञान लिया था और हरियाणा सरकार को ध्वस्तीकरण रोकने का निर्देश दिया था। अब इस मामले की सुनवाई 11 अगस्त को हुई है। इससे पहले सुनवाई कर रही पीठ को बदल दिया गया है आज जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई किया है। अब चीफ जस्टिस कि पीठ सुनवाई करेगी।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Subhash Chandra Kushwaha
Subhash Chandra Kushwaha
Guest
8 months ago

आलेख में एक ही बात बार बार आई है। दुहराव से बचा जाना चाहिए था।