ईडी के खिलाफ हेमंत सोरेन की याचिका झारखंड हाईकोर्ट में खारिज, फिर जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट के बाद झारखंड हाईकोर्ट से उस वक्त बड़ा झटका लगा जब झारखंड हाईकोर्ट ने ईडी के समन के खिलाफ दायर हेमंत सोरेन की याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह याचिका सुनने लायक नहीं है। सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में हुई। झारखंड हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में मनोहर लाल केस का हवाला देते हुए कहा कि अब ईडी समन जारी कर सकती है।

हेमंत सोरेन ने 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर कर ईडी की कार्रवाई को कानूनी चुनौती दी थी। जहां सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए हाईकोर्ट में अपील करने का निर्देश दिया था। मुख्यमंत्री की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार पर उनके अधिवक्ता ने 23 सितंबर को झारखंड हाईकोर्ट में यह रिट दायर की थी। और उनके खिलाफ ईडी द्वारा किसी भी तरह की पीड़क कार्रवाई नहीं करने का आदेश पारित करने का आग्रह किया था। सीएम ने ईडी पर चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की साजिश करने समेत अन्य वैधता को चुनौती दी थी।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी की ओर से पांचवां समन उस वक्त जारी किया गया जब वे ईडी के चौथे समन पर 23 सितंबर को ईडी के रांची कार्यालय में पेश नहीं हुए। मुख्यमंत्री ने इसी दिन झारखंड हाईकोर्ट में यह रिट दायर की। उसके बाद ईडी ने उन्हें 4 अक्टूबर को हाजिर होने का निर्देश दिया।

इससे पूर्व ईडी की ओर से 14 अगस्त, 24 अगस्त व 9 सितंबर को पूछताछ के लिए सीएम हेमंत सोरेन को बुलाया जा चुका है। ईडी ने उन्हें चौथा समन भेज कर 23 सितंबर को रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में दिन के 11 बजे हाजिर होने को कहा था।

रांची सदर थाने में बड़गाईं के राजस्व कर्मचारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आलोक में ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहला समन जारी कर 14 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक करार देते हुए समन वापस नहीं करने पर कानूनी रास्ता अपनाने को लेकर पत्र लिखा। उसके बाद ईडी ने उन्हें दूसरा समन जारी कर 24 अगस्त को बुलाया।

ईडी के दूसरे समन के पूर्व मुख्यमंत्री ने 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर कर ईडी की कार्रवाई को कानूनी चुनौती दी थी। मुख्यमंत्री की ओर से 24 अगस्त को पत्र लिख कर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की सूचना ईडी को दी गयी थी। साथ ही कोर्ट के फैसले तक इंतजार करने का अनुरोध किया गया था। पर मुख्यमंत्री की ओर से जल्दी सुनवाई का अनुरोध नहीं किये जाने की वजह से ईडी ने उन्हें तीसरा समन भेज कर 9 सितंबर को पूछताछ के लिए बुलाया। इस समन पर भी मुख्यमंत्री ईडी के कार्यालय हाजिर नहीं हुए।

पुनः ईडी द्वारा उन्हें चौथा समन भेजकर 23 सितंबर को ईडी के रांची कार्यालय में पेश होने को कहा गया। इस बीच मुख्यमंत्री की ओर से दायर रिट याचिका पर 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी की पीठ में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री को किसी तरह की राहत देने के बदले उनकी याचिका रद्द कर दी और हाइकोर्ट में याचिका दायर करने को कहा।

13 अक्टूबर को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि सीएम ने समन का पहले ही उल्लंघन किया है। वह किसी भी समन पर उपस्थित नहीं हुए हैं। ऐसे में अब समन को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं हैं इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती है।

सीएम की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि सीएम के खिलाफ किसी तरह का कोई मामला दर्ज नहीं है ऐसे में ईडी का समन उचित नहीं है।

इस पर ईडी ने कहा कि प्रार्थी ने जिस पीएमएलए एक्ट की धारा 50 और 60 को चुनौती दी है उसे सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदन लाल चौधरी के केस में डिसाइड कर चुका है। इसके तहत एजेंसी को समन और बयान लेने का अधिकार है। ऐसे में हाईकोर्ट इस मामले में कोई आदेश नहीं दे सकता है। अदालत ने हेमंत सोरेन की याचिका को खारिज कर दिया।

मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि ईडी उन्‍हें केंद्र सरकार के इशारों पर दूसरे-दूसरे मामलों में तलब कर बस परेशान कर रही है। वह इससे पहले ईडी की जांच में सहयोग कर चुके हैं।

अब जब झारखंड हाईकोर्ट में ईडी के समन के खिलाफ सीएम हेमंत सोरेन की याचिका खारिज हो चुकी है, तो अब ईडी के अगले कदम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। ईडी की ओर से जारी अब तक पांच बार समन में किसी में उपस्थित न होकर सीएम हेमंत सोरेन पहले सुप्रीम कोर्ट और फिर हाईकोर्ट की शरण में गए। ऐसे में जब सीएम की याचिका हाईकोर्ट में खारिज हो चुकी है तो ईडी फिर से सीएम हेमंत सोरेन को समन जारी करेगी या निचली अदालत में सीएम के खिलाफ वारंट की अपील करेगी, इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।

कानून के जानकारों की मानें तो ईडी सीएम को अगर फिर से समन जारी करता है तो वह पिछली पांच बार जारी समन में कुछ संशोधन पर विचार कर सकता है। क्योंकि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात उठी थी कि ईडी ने सीएम को गवाह या आरोपित रूप में समन जारी किया है, यह स्पष्ट नहीं है। ऐसे में इस विवाद से बचने के लिए ईडी अगर दोबारा समन जारी करता है तो इसमें उसे नए समन में कुछ संशोधन करना जरूरी होगा। ताकि अदालत में उनका पक्ष मजबूत रहे और वह त्रुटिपूर्ण समन के आरोपों से बच सके।

लेकिन ईडी के लिए ऐसा करना काफी परेशानी भरा भी हो सकता है, क्योंकि अगर समन में सीएम के खिलाफ आरोप को ईडी दर्शाता है तो सवाल यह उठेगा कि इन आरोपों की जानकारी पूर्व में होने के बावजूद ईडी ने सीएम को जारी पिछले पांचों समन में इसे क्यों नहीं बताया। इसके अलावा ईडी पर सीएम के खिलाफ नए सिरे से आरोप तैयार किए जाने की बात भी उठेगी।

कहा जा सकता है कि हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद ईडी ने सीएम के खिलाफ आरोपों का एक नया प्लॉट तैयार किया है क्योंकि इन आरोपों की चर्चा ईडी ने सीएम को जारी पूर्व के समन में नहीं की थी। दूसरी ओर अगर ईडी सीएम के खिलाफ निचली अदालत में वारंट के लिए आग्रह करता है तो वह भी ईडी के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि ईडी के खिलाफ असहयोगात्मक रवैया अपनाने को लेकर किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती है। बहरहाल, अब देखना दिलचस्प होगा कि ईडी क्या कदम उठाती है।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना हैं कि हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद भी सीएम हेमंत सोरेन का सुप्रीम कोर्ट में फिर से जाने का विकल्प खुला हुआ है। उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी जा सकती है कि हाईकोर्ट ने मेंटेबिलिटी ( सुनवाई योग्य नहीं होने ) पर उनकी याचिका को खारिज किया है। लेकिन इस याचिका में पीएमएलए की कुछ धाराओं को भी सीएम ने चुनौती दी थी, जिसे हाईकोर्ट ने डिसाइड नहीं किया है।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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