नूंह हिंसा: कैसे सिखों ने 12 मासूम बच्चों और सोहना की शाही मस्जिद को बचाया

नई दिल्ली। नूंह, गुड़गांव और हरियाणा के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा होने के एक दिन बाद सोहना में एक मस्जिद पर करीब 70-100 लोगों की भीड़ ने हमला बोला। लेकिन मस्जिद के इमाम, उनके परिवार और मदरसे में पढ़ रहे 10-12 बच्चों को सिखों ने सुरक्षित बचा लिया। सिख समुदाय ने हमलावरों को रोका। मस्जिद, इमाम और बच्चों को बचाया।

शाही मस्जिद के नाम से मशहूर इस मस्जिद में कुछ परिवारों के रहने के लिए कमरे और बच्चों के पढ़ने के लिए कक्षाएं भी बनी हुई हैं। मंगलवार को 70-100 लोगों की भीड़ ने मस्जिद पर हमला कर दिया। पुलिस ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज कर लिया गया है। पुलिस का कहना स्थानीय लोगों ने उन्हें घटना की जानकारी दी, उसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरु कर दी।

इमाम ने कहा कि ‘हम सभी डरे हुए थे लेकिन पुलिस ने फ्लैग मार्च किया और जब यह घोषणा किया कि क्षेत्र में कोई ताज़ा हिंसा नहीं हुई है। हमें कुछ देर के लिए राहत मिली और हम अपने काम में लग गये। लेकिन दोपहर करीब 2.45 बजे हमने गोलियों की आवाज सुनी, जब मैं मस्जिद से बाहर आया, तो एक भीड़ हाथ में डंडे, लाठियां, हथियार और बंदूकें लेकर हमारी ओर दौड़े आ रही थी।’

इमाम कलीम, जो अपने चार भाइयों और उनके परिवारों के साथ मस्जिद में रहते हैं, उन्होंने बताया कि मैं और अन्य 30 लोग भीड़ को एकसाथ अपने तरफ आते देख कर डर गये। हम सब भयभीत हो गए। इमाम और अन्य स्थानीय लोगों ने बताया कि भीड़ ने मस्जिद में घुसकर तोड़फोड़ करना शुरु कर दिया।

बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस की टीम जब ग्राउंड पर पहुंची, तो इलाके में चारों ओर टूटे हुए फर्नीचर, क्षतिग्रस्त कारें, फटी किताबें और कांच के टुकड़े पड़े मिले। इस वारदात के होने के बाद अब पुलिसकर्मियों का एक समूह मस्जिद की सुरक्षा कर रहा है। उन्हीं पुलिसकर्मियों में से एक ने नाम न बताने की शर्त कहा कि घटनास्थल पर पुलिस और सिख समुदाय के सदस्य 10 मिनट के भीतर आ गए थे।

पुलिसकर्मियों ने बताया कि इमाम बच्चों सहित 30 अन्य लोगों के साथ परिसर के आवासीय क्वार्टरों में छिपने में कामयाब रहे।

इमाम ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ‘हमने बचने की सारी आशाएं खो दी थी। मैंने अपने भाई से सभी महिलाओं और बच्चों को मस्जिद के पीछे ले जाने के लिए कहा। भीड़ लगभग हमारे कमरे तक पहुंच गई थी। जब स्थानीय लोग ( सिख) आए और बौखलाई भीड़ से बचाने में हमारी मदद की।’

इमाम और अन्य लोगों की मदद करने वाले स्थानीय लोगों में से एक है 25 वर्षीय युवा गुड्डू सिंह जो की एक छात्र हैं। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ‘हमें हमले के बारे में सोहना मस्जिद के आसपास के स्थानीय लोगों से पता चला। वो घबराये हुए थे और ये बात हमे उनसे फोन पर बात करने के बाद पता चला और उन्होंने कहा की मस्जिद में बच्चे और महिलाएं फंसे हुए हैं। इसलिए हमने हस्तक्षेप करने का फैसला किया… वहां केवल 10-12 पुलिसकर्मी थे जबकि मस्जिद के बाहर सैकड़ों की संख्या में भीड़ थी।’

जैसे ही भीड़ ने मस्जिद के अंदर चीज़ें तोड़ना शुरु किया, स्थानीय लोग मस्जिद की इमारत से सटे आवासीय क्वार्टरों की ओर चले गए। उन्होंने सबसे पहले महिलाओं और बच्चों को बचाया।

गुड्डू सिंह ने बताया कि ‘वहां कई बच्चे और किशोर थे। हमारे लोगों ने बच्चों को उठाया और वैन की ओर ले गए।’ गांव के प्रधान गुरचरण सिंह ने भी बचाव कार्य में लोगों कि मदद की।

गुरुचरण सिंह (सिख) ने कहा कि ‘हमें किसी भी मामले में दखल देना और किसी समुदाय या समाज को नुकसान पहुंचाना पसंद नहीं है। लेकिन हमें हस्तक्षेप करना पड़ा क्योंकि यहां कई लोगों की जान जोखिम में थी।’ हमारे लोगों ने समय रहते सभी को बचा लिया। एक छोटे से कमरे में छिपे इमाम और उनके भाइयों को भी बचा लिया गया। कमरा एक पार्किंग स्थल के पास था जहां भीड़ कारों की खिड़कियों के शीशे तोड़ रही थी।’

सोहना के एसीपी नवीन सिंधु ने मंगलवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मस्जिद के अंदर लोग मौजूद थे, लेकिन किसी को चोट नहीं आई। पुलिस को जल्द ही सूचित कर दिया गया था और पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस को आते देख आरोपी वहां से भाग गये।’

(द इंडियन एक्सप्रेस के खबर पर आधारित)

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