‘इंडिया’ ने बदला पंजाब में सभी पार्टियों का समीकरण

पंजाब। केंद्र की नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से बनाए गए गठबंधन ‘इंडिया’ से राज्यों में नए समीकरण बनने शुरू हो गए हैं। पंजाब से सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) और राष्ट्रीय कांग्रेस ‘इंडिया’ में शुमार हैं। जाहिर है कि इस मकसद से कि 2023 के आम लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके गठबंधन को सत्ता से दूर किया जा सके। पंजाब में आप और कांग्रेस दोनों के राज्य स्तरीय नेता पसोपेश में हैं।

तकरीबन एक साल पहले आम आदमी पार्टी ने सूबे में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करके व 92 विधानसभा सीटें हासिल करके राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा रिकॉर्ड कायम किया था। कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और भाजपा को आप से बुरी तरह शिकस्त मिली थी। आप की जीत का सबसे ज्यादा अथवा बड़ा नुकसान कांग्रेस का हुआ था। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता पार्टी के डूबते जहाज से उतर कर भाजपा में शामिल हो गए थे। यह सिलसिला ‘इंडिया’ के गठन तक जारी रहा।

भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में राज्य कांग्रेस के दर्जनों वरिष्ठ नेताओं को विजिलेंस ने पकड़ा और जेल भेजा। पुरानी तमाम फाइलें भगवंत मान सरकार ने खोलीं तो सबसे ज्यादा दागदार कांग्रेस के नेता या सत्ता में रहते हुए उससे अतिरिक्त सहानुभूति रखने वाले और नियमों को ‘ताक’ पर रखने वाले आला चपेट में आए। पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनके सहयोगी रहे मंत्रियों को भी नहीं बख्शा गया। आम आदमी पार्टी और राज्य विजिलेंस ब्यूरो गोया कांग्रेस के लिए हौआ बन गया।

कांग्रेस ने आप सरकार को अब तक की सबसे तानाशाह और नालायक सरकार का खिताब देते हुए सिलसिलेवार धरना-प्रदर्शन किए। कहा तो यह भी जा रहा था कि सरकार के इशारे पर सतर्कता विभाग के हाथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष राजा वडिंग अमरिंदर सिंह तक पहुंचने को हैं। नए हालात में अब क्या परिदृश्य बनता है, फिलहाल मालूम नहीं। कांग्रेस जब ‘इंडिया’ में शामिल हुई-जिसमें आप भी थी, पंजाब कांग्रेस के एक बड़े तबके ने इसका तीखा विरोध किया। राजा वडिंग अमरिंदर सिंह, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और पूर्व मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह ने लगातार बैठकें करके ऐसा माहौल बनाया कि अगर आम आदमी पार्टी की सहूलियत में राजग गठबंधन खिलाफ बने ‘इंडिया’ में कांग्रेस शामिल होती है तो सूबे के कांग्रेसी नेता इसका पुरजोर विरोध करेंगे और असहयोग की नीति पर चलेंगे।

‘इंडिया’ के विधिवत गठन से कुछ पहले ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और उपमुख्यमंत्री ओम प्रकाश सोनी को विजिलेंस ने पकड़कर सलाखों के पीछे किया था। प्रताप सिंह बाजवा का कहना था कि आप नेताओं के साथ बैठना तो दूर, वे उनकी शक्ल तक नहीं देखना चाहते। इस सिलसिले में पंजाब के दिग्गज कांग्रेसी नेता आलाकमान से मिले तो बहुत कुछ बदल गया। तेवर भी। सूत्रों के अनुसार
उन्हें समझाया गया कि नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए गठबंधन में शामिल होना निहायत जरूरी है। पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को मिलकर काम करना होगा।

कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ भगवंत मान सरकार के तेवर कमोबेश ढीले पड़ेंगे। एक सूत्र ने बताया कि पार्टी आलाकमान के एक वरिष्ठ नेता ने यहां तक कहा कि अगर पंजाब में विरोध स्वरूप कोई नेता घर बैठना चाहता है तो बैठ जाए लेकिन उस गठजोड़ में ‘कांग्रेस’ मुख्य पार्टी के रूप में शामिल रहेगी जिसमें आम आदमी पार्टी है। दिल्ली से लौटकर सूबे के कद्दावर कांग्रेसी नेता मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं। जानकारों का मानना है कि अब उन्हें संभल कर मुंह खोलना होगा। राष्ट्रीय स्तर पर हुआ गठबंधन राज्य स्तर पर भी लागू होगा। इसी फार्मूले के आधार पर चलना होगा।

आम आदमी पार्टी के पंजाब के एक वरिष्ठ नेता ने इस संवाददाता से कहा कि ” भाजपा को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के लिए बने गठबंधन ‘इंडिया’ को पंजाब के लोग सकारात्मक ढंग से देखते हैं। अगर आप और कांग्रेस एकजुट होकर मनोयोग से चुनाव लड़ते हैं तो पंजाब की लोकसभा की 13 में से 13 सीटें ‘इंडिया’ को मिलना तय है। राहुल गांधी की पंजाब जोड़ो यात्रा ने भी भाजपा सरकार के विरोध में माहौल बनाने में कम बड़ा योगदान नहीं दिया।”

इसमें कोई शक नहीं कि नए गठबंधन से आप को फायदा है और कांग्रेस अभी इतने उत्साह में नहीं। 2019 में कांग्रेस ने पंजाब में 8 लोकसभा सीटें हासिल की थीं। जबकि विधानसभा में आप के 92 विधायक हैं। अगर विधानसभा क्षेत्रों में जीत अथवा लीड के हिसाब से टिकटों का बंटवारा होता है तो आम आदमी पार्टी का दावा ज्यादा लोकसभा सीटों पर रहेगा। गठबंधन अगर 2027 तक चला तो विधानसभा सीटों का बंटवारा यकीनन इस आधार पर होगा कि 2023 के लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस ने कितनी-कितनी सीटें हासिल कीं तथा कितने विधानसभा क्षेत्रों से लीड हासिल की। सियासत में समीकरण पल-पल बदलते हैं। ‘इंडिया’ के वजूद में आने से पहले सोचा भी नहीं जा सकता था कि भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ तीखे हमलावर आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल उस गठबंधन का हिस्सा बनेंगे जिसमें कांग्रेस की अहम भूमिका होगी।

‘इंडिया’ से आप कार्यकर्ता अति उत्साह में हैं तो कांग्रेस आलाकमान को पंजाब प्रदेश इकाई के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी। खासतौर से उन नेताओं पर, जिनके टिकट कटकर आम आदमी पार्टी के हिस्से में जा सकती है। अलबत्ता इतना जरूर तय है कि अगर 2027 का चुनाव आप और कांग्रेस मिलकर लड़ते हैं तो गठबंधन विधायकों की संख्या 92 से भी पार जा सकती है, जीत का मामला तो अलहदा ही है। ‘इंडिया’ के गठन के बाद पेशानी पर ज्यादा बल राज्य भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के माथे पर हैं। सुनील कुमार जाखड़ ने प्रदेशाध्यक्ष बनते ही एक माहौल बनाया था। कई पुराने कांग्रेसी भाजपा में जाने लगे थे लेकिन एकाएक यह सिलसिला फौरी तौर पर थम गया है।

सुखबीर सिंह बादल की अगुवाई वाले शिरोमणि अकाली दल को वैसे भी फिलहाल हाशिए की पार्टी माना जा रहा है। भाजपा से उनके गठबंधन की संभावनाएं फिलहाल खत्म हो गई हैं। उन्हें राजग की बैठक में बुलाया तक नहीं गया और प्रकाश सिंह बादल के पुराने साथी रहे सुखदेव सिंह ढींडसा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहकर तरजीह दी कि बड़े बादल की राजनीति के सच्चे वारिस हैं। बैठक में ढींडसा को पूरा मान-सम्मान दिया गया। उनका शिरोमणि अकाली दल राजद का हिस्सा है। आने वाले दिनों में ‘इंडिया’ की गतिविधियां जोर पकड़ेंगीं तो पंजाब का राजनीतिक परिदृश्य भी पूरी तरह साफ हो जाएगा। फिलहाल तो एक किस्म का धुंधलका ही है।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

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