जन-संघर्षों के नायक कामरेड राजाराम को अंतिम विदाई

पटना। बिहार के फतुहा से आए आईपीएफ के संस्थापक महासचिव का.राजाराम ने क्रान्तिकारी जनआन्दोलनों में एक लम्बी यात्रा पूरी करने के बाद हम सब से 1 सितम्बर 2023 की रात को विदा ले ली। वे 74 वर्ष के थे और पीएमसीएच में कुछ छोटी बीमारी के लिए भर्ती थे। 6 दशकों में बिहार और देश में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन पिछली पीढ़ी के सभी जननेताओं को कॉ. राजाराम का सरल-सहज व्यव़हार और गरीबों के अधिकारों के प्रति दृढ़ संकल्प हमेशा याद रहेगा।

छात्र जीवन में ही वे वामपंथी राजनीति के प्रभाव में आए और 74 के छात्र आंदोलन के दौरान एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर बनकर उभरे। आईपीएफ का महासचिव रहते हुए उन्होंने तमाम सामाजिक मुद्दों पर हुई लड़ाईयों का नेतृत्व किया। न्याय की लड़ाई लड़ते हुए वे कई बार जेल गए और भयानक दमन झेला लेकिन वे अपने पथ पर लगातार अडिग रहे।

3 सितंबर 23 को आज नम आंखों और अपनी मुठ्ठियों को बांधकर भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता व का. राजाराम को अंतिम विदाई दी गई। छज्जूबाग स्थित माले विधायक महबूब आलम के आवास पर अंतिम यात्रा के पहले, सुबह 10 बजे श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। श्रद्धांजलि सभा में माले के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न वामंपथी पार्टियों, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं सहित उनके परिजनों, और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं और पटना शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही। झारखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली आदि राज्यों से भी पार्टी कार्यकर्ता उन्हें श्रद्धांजलि देने पटना पहुंचे।

श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ नेता का. स्वदेश भट्टाचार्य, झारखंड के राज्य सचिव का. मनोज भक्त, झारखंड के पूर्व राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, बिहार राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, अमर, मीना तिवारी, राजाराम सिंह, शशि यादव, केडी यादव, पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद, पार्टी के पूर्व राज्य सचिव नंदकिशोर प्रसाद, प्रभात कुमार चौधरी आदि नेताओं ने माल्यार्पण किया।

सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, सीपीएम के अरूण मिश्रा, राजद नेता व विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, कांग्रेस के मोहन शर्मा, पत्रकार श्रीकांत, पूर्व विधायक छोटे केडी यादव, पूर्व विधायक एन के नंदा, बलदेव झा, अरविंद सिन्हा, नंदकिशोर सिंह, किशोर दास आदि वाम-जनवादी नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कामरेड राजाराम जी को अपनी श्रद्धांजलि दी।,

माले विधायक दल के उपनेता सत्यदेव राम, महानंद सिंह, मनोज मंजिल, अमरजीत कुशवाहा, गोपाल रविदास, रामबलि सिंह यादव सहित सभी जिला सचिवों, केंद्रीय व राज्य कमिटी के सदस्यों, किसान महासभा के नेता उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल, एआइपीएफ के कमलेश शर्मा और का. राजाराम की पत्नी व भाकपा-माले नेता का. संगीता देवी, उनके पुत्र अभिषेक कुमार व परिवार के अन्य सदस्यों ने दिवंगत का. राजाराम के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया।

माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने सबसे पहले उनके पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि कॉमरेड राजाराम का अचानक चले जाना हम सबके लिए शॉकिंग है। उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी और संघर्ष के हर क्षेत्र में कम्युनिस्टों और अन्य फासीवाद-विरोधी सेनानियों को प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि बेहद निर्णायक राजनीतिक मोड़ पर हमने अपने एक अनुभवी और प्रतिबद्ध सेनानी खो दिया है।

श्रद्धांजलि सभा में उदयनारायण चौधरी, रामनरेश पांडेय, अरूण मिश्रा, केडी यादव और अभिषेक कुमार ने भी अपने वक्तव्य रखे। वक्ताओं ने कहा कि का. राजाराम एक सच्चे कम्युनिस्ट नेता थे और कई पीढ़ियों को प्रभावित करते रहे।

उदय नारायण चौधरी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि का. राजाराम जी को 1982-83 से देखता रहा हूं। वे लगातार लोकयुद्ध व लिबरेशन पत्रिका हमारे पास पहुंचाते रहे। आज के कठिन समय में उनसे सीखने व उनके बताए रास्ते पर आगे बढ़ने का संकल्प लेने का समय है। उनकी पूरी जिंदगी वंचित समुदाय के न्याय की लड़ाई को समर्पित है।

का. केडी यादव ने का. राजाराम से अपने 52 वर्षों के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि संघर्ष की भट्टी में तपे तपाए और सादगी के प्रतीक का. राजाराम भाकपा-माले के एक प्रमुख स्तंभ थे। सामाजिक बदलाव के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ताउम्र बनी रही। उनका निधन न केवल पार्टी बल्कि पूरे देश व समाज के लिए एक गहरी क्षति है।

श्रद्धांजलि सभा के उपरांत छज्जूबाग से उनकी अंतिम यात्रा जुलूस के शक्ल में निकली। उनके सम्मान में पार्टी का झंडा झुका दिया गया था। और राजाराम अमर रहें के नारों के साथ उन्हें अश्रुपूर्ण आंखों से अंतिम विदाई दी गई।

(प्रेस रिलीज पर आधारित।)

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