अदालतों से आंबेडकर की तस्वीर हटाने का मद्रास हाईकोर्ट का निर्देश 

मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु और पुडुचेरी की सभी अदालतों से डॉ. आंबेडकर की तस्वीर हटाने का निर्दश दिया है। इस निर्देश में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने कहा है कि, “अब तमिलनाडु और पुडुचेरी की अदालतों में सिर्फ महात्मा गांधी और तमिल कवि-संत तिरुवल्लुवर की तस्वीर ही लगाई जा सकती है।” हाईकोर्ट ने कांचीपुरम के प्रधान जिला न्यायाधीश को अलंदुर में बार एसोसिएशन के नवनिर्मित संयुक्त न्यायालय परिसर के प्रवेश कक्ष से बी आर आंबेडकर का चित्र हटाने का निर्देश दिया है। मद्रास हाईकोर्ट का यह सर्कुलर सभी जिला अदालतों को रजिस्ट्रार जनरल की ओर से 7 जुलाई को भेजा गया है।

इस निर्णय के विरोध में आज ( 24 जुलाई) वकीलों के समूह मद्रास उच्च न्यायालय परिसर और राज्य भर के जिला अदालत परिसरों के बाहर प्रदर्शन कर हैं, जिसमें उच्च न्यायालय प्रशासन द्वारा 7 जुलाई को जारी परिपत्र को वापस लेने की मांग की गई है, जिसमें कहा गया है कि तमिलनाडु और पुडुचेरी में अदालत परिसरों के अंदर महात्मा गांधी और कवि-संत तिरुवल्लुवर के अलावा किसी भी अन्य प्रतिमा या चित्र को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

तमिलनाडु और पुडुचेरी की अदालतों में आंबेडकर की तस्वीर लगाने के सवाल पर लंबे समय से अदालत और आंबेडकरवादी वकीलों के बीच विवाद चल रहा है।

इस संदर्भ में मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल (प्रभारी) एम. जोथिरमन द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि यह उच्च न्यायालय रजिस्ट्री के ध्यान में लाया गया था कि समय-समय पर अधिवक्ता संघों से बी.आर. आंबेडकर के चित्र लगाने की अनुमति मांगने के लिए आवेदन प्राप्त हो रहे थे। यह मांग तमिलनाडु बी.आर. आंबेडकर एडवोकेट्स एसोसिएशन और अन्य वरिष्ठ वकील करते रहे हैं। रजिस्ट्रार जनरल ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर हाईकोर्ट ने कई बार विचार किया।

22 अक्टूबर 2008 को तमिलनाडु बी.आर. आंबेडकर एडवोकेट्स एसोसिएशन की मांग को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद दूसरी बार यह मांग 11 मार्च, 2011 को खारिज कर दी गई। इस निर्देश में यह भी कहा गया है कि अब किसी भी अदालत परिसर में किसी की भी मूर्ति नहीं लगाई जाएगी। यह निर्देश चेन्नई उच्च न्यायालय, मदुरै पीठ, उच्च न्यायायलय के अधीनस्थ किसी भी जिला या तालुक अदालत पर लागू होगा।

27 अप्रैल 2013 को मद्रास हाईकोर्ट ने आंबेडकर के अनुयायी वकीलों के संघ को चेन्नई के अलंदूर में नवनिर्मित संयुक्त न्यायालय भवनों के प्रवेश कक्ष से आंबेडकर का पोट्रेट हटाने का निर्देश दिया।

अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट ने निर्णय लिया कि महात्मा गांधी और तिरुवल्लुवर की मूर्तियों और चित्रों को छोड़कर, अदालत परिसर के अंदर कहीं भी कोई अन्य चित्र और चित्र प्रदर्शित नहीं किए जाएंगे। निर्देश पत्र में कहा गया कि, “मद्रास उच्च न्यायालय के उपरोक्त प्रस्तावों के मद्देनजर, सभी प्रधान जिला न्यायाधीशों, जिला न्यायाधीशों, प्रधान न्यायाधीश, जिला न्यायाधीश-सह-मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटों को प्रस्तावों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया जाता है।”

महात्मा गांधी और तिरुवल्लुवर की मूर्तियों और पोट्रेट के अलावा अन्य सभी लोगों के पोट्रेट को हटाने का सख्त आदेश देते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने कहा, “यदि कोई विचलन पाया जाता है, तो संबंधित जिला अदालत के प्रधान जिला न्यायाधीश/जिला न्यायाधीश/प्रधान न्यायाधीश/जिला न्यायाधीश-सह-मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और पुडुचेरी के मुख्य न्यायाधीश को बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु और पुडुचेरी को उचित शिकायत देकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है। उपरोक्त निर्देशों का सभी संबंधितों द्वारा कड़ाई से पालन किया जाएगा। इस परिपत्र की प्राप्ति की सूचना तुरंत दी जानी आवश्यक है।” हालांकि इस आदेश के निशाने पर तत्काल और विशेष तौर पर आंबेडकर का पोट्रेट है।

( द हिंदू की खबर पर आधारित।)

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