संस्कृति मंत्री के ‘फेस्टिवल ऑफ लेटर्स’ का उद्घाटन करने पर बढ़ा विवाद, मलयालम लेखक सी. राधाकृष्णन ने साहित्य अकादमी से दिया इस्तीफा

नई दिल्ली। मलयालम लेखक और फिल्म निर्देशक सी. राधाकृष्णन के इस्तीफा देने के बाद साहित्य अकादमी एक बार फिर विवादों में घिर गया है। अतीत में अकादमी के काम-काज और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन अब जिस तरह से संस्था के हर कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल कर रहे हैं, उस पर सवाल उठने लगे हैं। संस्था से जुड़े लेखक, रचनाकार और कवि मंत्री के बजाए किसी लेखक-बुद्धिजीवी से साहित्य अकादमी के कार्यक्रमों का उद्घाटन-समापन चाहते हैं।

मलयालम लेखक और फिल्म निर्देशक सी. राधाकृष्णन ने संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा वार्षिक साहित्य महोत्सव का उद्घाटन करने के विरोध में सोमवार को साहित्य अकादमी के “प्रख्यात लेखक” का पद छोड़ दिया है। अर्जुन राम मेघवाल पहले भी साहित्य अकादमी के कार्यक्रमों का उद्घाटन करते रहे हैं।

राधाकृष्णन पिछले साल से अकादमी की सामान्य परिषद के सदस्य और इसके मलयालम सलाहकार बोर्ड के संयोजक हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि अपने इस्तीफे के परिणामस्वरूप, उन्होंने इन पदों पर भी काम करना बंद कर दिया।

उन्होंने कहा कि पिछले साल के कार्यक्रम का उद्घाटन मंत्री द्वारा किये जाने को लेकर उन्होंने सचिव से शिकायत की थी, तब उन्हें आश्वासन दिया गया था कि इस साल ऐसा नहीं होगा। हालांकि, मेघवाल ने 11 मार्च को इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

उन्होंने कहा कि “मैं अब 85 वर्ष का हूं और अगर अकादमी को इस तरह से चलाया जाता है तो मैं वहां समय बर्बाद नहीं करना चाहता। मैंने विरोध स्वरूप इस्तीफा दे दिया।”

राधाकृष्णन ने अपने इस्तीफे में कहा कि “मैं इस वर्ष के अकादमी महोत्सव का उद्घाटन भारत सरकार के एक कैबिनेट मंत्री द्वारा किए जाने का कड़ा विरोध करता हूं, एक ऐसे व्यक्ति द्वारा जिसका साहित्य में कोई भी ज्ञात योगदान नहीं है…।”

राधाकृष्णन के इस्तीफे के बाद साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है, क्योंकि भारत सरकार के माननीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल खुद एक लेखक हैं…। तथ्य यह है कि कई मंत्रियों ने, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल के हों, पहले भी अकादमी के साहित्यिक कार्यक्रमों में भाग लिया है और जो निश्चित रूप से किसी भी तरह से अकादमी की स्वायत्तता का उल्लंघन नहीं करता है।”

(जनचौक की रिपोर्ट)

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