ममता बनर्जी ने की मनरेगा श्रमिकों के बकाया भुगतान की घोषणा, मोदी सरकार पर राज्यों के हिस्से का धन रोकने का आरोप

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नई दिल्ली। गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारें लंबे समय से केंद्र सरकार पर राज्यों के हिस्से की राशि का भुगतान न करने का आरोप लगाते रहे हैं। लेकिन अब राज्य सरकारें दल-बल के साथ इस नाइंसाफी के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन करके अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। बुधवार को कर्नाटक सरकार ने जंतर-मंतर पर धरना देकर मोदी सरकार पर विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों पर आर्थिक भेदभाव करने का आरोप लगाया। गुरुवार यानि आज केरल सरकार जंतर-मंतर पर धरना दे रही है, जिसका नेतृत्व राज्य के मुख्यमंत्री पी. विजयन कर रहे हैं। केरल सरकार को तमिलनाडु और तेलंगाना सरकार का भी समर्थन प्राप्त है।

इस कड़ी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राज्य भर में 100 दिनों की नौकरी योजना में कथित अनियमितताओं के संबंध में छापेमारी के एक दिन बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि उनकी सरकार लगभग 21 लाख मनरेगा श्रमिकों के बकाया का भुगतान करने का अपना प्रयास जारी रखेगी।

बुधवार को हावड़ा के संतरागाछी में एक सरकारी लाभ वितरण कार्यक्रम के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि “केंद्र सरकार पिछले दो वर्षों से 100 दिनों की नौकरी योजना के तहत काम करने वाले 21 लाख श्रमिकों का बकाया नहीं चुकाया है… हमने उनका बकाया चुकाने के लिए (उनके खातों में) पैसा भेजना शुरू कर दिया है।”

राज्य सचिवालय नबन्ना के सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार ने श्रमिकों के खातों में पैसा भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि “अभी तक कोई पैसा नहीं भेजा गया है। लेकिन पैसे ट्रांसफर करने से पहले मजदूरों की पहचान और उनके अकाउंट डिटेल्स को वेरिफाई करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस संबंध में एक निर्देश सोमवार को जिलों को भेजा गया था।”

ममता ने किसी भी केंद्रीय एजेंसी का नाम नहीं लिया, लेकिन कल्याणकारी योजनाओं के लिए बंगाल को धन जारी नहीं करने और बंगाल के लोगों को वंचित करने के लिए केंद्र की आलोचना की।

मुख्यमंत्री ने कहा, “हम 100 दिनों की काम योजना के कार्यान्वयन में नंबर 1 थे और इसीलिए केंद्र ने फंड जारी करना बंद कर दिया… (केंद्रीय) ग्रामीण आवास और ग्रामीण सड़कों जैसी परियोजनाओं के लिए भी फंड रोक दिया गया।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि कैसे उनकी पार्टी तृणमूल उन लोगों के लिए लड़ रही है जिन्होंने 100 दिनों की काम योजना के तहत काम किया लेकिन उन्हें मजदूरी नहीं मिली।

उन्होंने कहा कि “अभिषेक (अभिषेक बनर्जी, तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव) के नेतृत्व में सांसद और विधायक दिल्ली गए… ट्रेनें रद्द कर दी गईं, लेकिन वे बस से गए। मैं 48 घंटे तक प्रदर्शन में बैठी। अगर मैं आम लोगों, गरीबों और जरूरतमंदों के लिए कुछ कर पाती हूं तो मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं।”

तृणमूल के सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में ईडी का नाम नहीं लिया क्योंकि वह केंद्रीय एजेंसी द्वारा मंगलवार को की गई छापेमारी को महत्व नहीं देना चाहती थीं।

तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि “उनका ध्यान अब बंगाल को धन जारी करने से रोकने पर भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र को घेरने पर है। उन्होंने ईडी छापों का जिक्र नहीं किया क्योंकि वह छापेमारी को महत्व नहीं देना चाहतीं। अगर वह छापेमारी को महत्व नहीं देती है, तो इससे यह संदेश जाता है कि राज्य सरकार छापेमारी को लेकर बिल्कुल भी चिंतित नहीं है।”

हालांकि, मुख्यमंत्री ने मनरेगा श्रमिकों की दुर्दशा के लिए केंद्र की आलोचना की और नरेंद्र मोदी सरकार पर सवाल उठाना जारी रखने और लोकसभा चुनाव से पहले आम लोगों तक पहुंचने की कसम खाई।

पार्टी के सूत्र ने कहा कि “यह स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव से पहले तृणमूल केंद्र द्वारा धन को रोकने को भाजपा के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए तैयार है। चूंकि 100 दिन की नौकरी योजना, ग्रामीण सड़कें और ग्रामीण आवास जैसी योजनाओं का ग्रामीण जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, इसलिए मुख्यमंत्री केवल इन योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं और वह लोगों को यह याद दिलाने की कोशिश कर रही हैं कि वे केवल भाजपा के कारण राज्य में पीड़ित हैं। राज्य को धन जारी नहीं करने के केंद्र के फैसले का विरोध जारी रहेगा।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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