म्यांमार के गृहयुद्ध की आंच से तप रहा मिजोरम

गुवाहाटी। फरवरी 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में गृह युद्ध से भागकर लगभग 40 हजार चिन लोग दो पूर्वोत्तर राज्यों- मिजोरम और मणिपुर में चले गए हैं। उनमें से 35 हजार से अधिक लोग मिजोरम में हैं।

भारत-म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब चिन डिफेंस फोर्स और म्यांमार सेना के गुरिल्लाओं के बीच भीषण लड़ाई के बीच 12 नवंबर की रात से लगभग 2 हजार शरणार्थियों के मिजोरम के चम्फाई में घुसने का अनुमान है। लड़ाई के केंद्र म्यांमार के रिखावदार शहर से केवल कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित भारतीय सीमावर्ती शहर ज़ोखावथर सीमा पार घुसपैठ के केंद्र के रूप में उभरा है। दोनों शहर केवल तियाउ नदी द्वारा अलग किए गए हैं।

मणिपुर के डीजीपी अनिल शुक्ला ने पुष्टि की है कि एक शरणार्थी की मौत हो गई, जबकि लगभग 20 म्यांमार नागरिकों को मिजोरम के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा, “ये वे लोग हैं जो म्यांमार में घायल हो गए हैं और यहां इलाज कराने के लिए सीमा पार कर आए हैं।”

13 नवंबर की शाम तक 20 घायलों को चम्फाई जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और अन्य आठ को आइजोल के अस्पतालों में रेफर किया गया।

स्थानीय शरणार्थी राहत समिति के अध्यक्ष रॉबर्ट ज़ोरेमटलुआगा ने बताया कि इस क्षेत्र में करीब 2 हजार शरणार्थी आए हैं। उन्होंने कहा कि “दो गांवों रिखवदार और ख्वामामी से हर कोई भारतीय सीमा में आया है। इसलिए लोगों की आवाजाही फिलहाल रुक गई है। भारतीय क्षेत्र में जो तीन लोग घायल हुए हैं, वे वो लोग हैं जो पहले ज़ोखावथर पार कर गए थे। इनमें से एक की मौत हो चुकी है। वह पिछले साल से भारतीय सीमा में रह रहे थे।”

मृतक की पहचान ख्वामावी के 51 वर्षीय कंगसियानमाविया के रूप में की गई है।

यंग मिज़ो एसोसिएशन के चम्फाई अध्यक्ष मामुआना फनाई ने कहा, “2021 के बाद से म्यांमार में स्थिति खराब होने पर लोगों का आश्रय के लिए यहां आना आम हो गया है। स्थिति बेहतर होने पर वे आमतौर पर वापस चले जाते हैं। जो लोग सीमा के करीब रहते हैं वे रात यहीं रुकते हैं और दिन के समय वे अपने स्थान पर लौट जाते हैं।”

भारत ने 17 नवंबर को भारत-म्यांमार सीमा के पास म्यांमार की सेना और जुंटा विरोधी समूहों के बीच लड़ाई बंद करने का आह्वान किया, जिसकी वजह से मिजोरम में म्यांमार के शरणार्थियों की आमद बढ़ गई है। पिछले कुछ हफ्तों में भारत के साथ सीमा के पास कई प्रमुख शहरों और क्षेत्रों में म्यांमार के जुंटा विरोधी समूहों और सरकारी बलों के बीच शत्रुता बढ़ रही है, जिससे संभावित प्रभाव के बारे में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान में चिंताएं बढ़ गई हैं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भारत-म्यांमार सीमा के करीब हिंसा की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “लड़ाई के परिणामस्वरूप भारत-म्यांमार सीमा पर मिजोरम में ज़ौखथार के सामने चिन राज्य के रिहखावदार क्षेत्र में म्यांमार के नागरिकों की भारतीय सीमा में आवाजाही हुई है।”

उन्होंने कहा, “हम अपनी सीमा के नजदीक ऐसी घटनाओं से बेहद चिंतित हैं। म्यांमार में मौजूदा स्थिति पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है- हम हिंसा की समाप्ति और रचनात्मक बातचीत के माध्यम से स्थिति का समाधान चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि भारत म्यांमार में शांति और स्थिरता की वापसी के पक्ष में है।

बागची ने कहा, “हम म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की वापसी के लिए अपना आह्वान दोहराते हैं। 2021 में म्यांमार में मौजूदा संघर्ष शुरू होने के बाद से बड़ी संख्या में म्यांमार के नागरिक भारत में शरण ले रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि “संबंधित पड़ोसी राज्यों में स्थानीय अधिकारी मानवीय आधार पर स्थिति को उचित रूप से संभाल रहे हैं। हम उन लोगों की वापसी की भी सुविधा दे रहे हैं जो म्यांमार वापस जाना चाहते हैं।” फरवरी 2021 में सेना द्वारा तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा करने के बाद से म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

राज्य के छह जिले- चम्फाई, सियाहा, लांग्टलाई, सेरछिप, हनाथियाल और सैतुअल- म्यांमार के चिन राज्य के साथ 510 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।

पड़ोसी देश से पहली आमद फरवरी 2021 में हुई जब जुंटा ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। तब से म्यांमार के हजारों लोगों ने पूर्वोत्तर राज्य में शरण ली है।

राज्य के गृह विभाग के अनुसार, वर्तमान में 31,364 म्यांमार नागरिक राज्य के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं। उनमें से अधिकांश राहत शिविरों में रहते हैं, जबकि अन्य को उनके स्थानीय रिश्तेदारों ने ठहराया है और कुछ किराए के मकानों में रहते हैं। मिज़ोरम में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिक चिन समुदाय से हैं, जो मिज़ो के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं।

(दिनकर कुमार ‘द सेंटिनेल’ के संपादक रहे हैं।)

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