ग्राउंड से चुनाव: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलियों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान, लगाए पोस्टर

बीजापुर। छत्तीसगढ़ में पहले चरण के चुनाव के लिए सभी पार्टियों के प्रत्याशियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है। यहां 7 नवंबर को पहले चरण के लिए वोटिंग होगी। जिसके लिए जोर-शोर से तैयारी चल रही है। इस बीच यह खबर आई कि बीजापुर और सुकमा जिले के कुछ अंदरूनी इलाकों में माओवादियों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान करते हुए पेड़ों पर पर्चे लगाए हैं और जगह-जगह चुनाव बहिष्कार के स्लोगन लिखे हैं।

‘जनचौक’ की टीम इस मामले को देखने के लिए ग्राउंड जीरो पर गई। बीजापुर विधानसभा क्षेत्र के भैरमगढ़ ब्लॉक से हमें खबर मिली कि वहां चुनाव विरोध के पर्चे लगे हुए हैं। बीजापुर से 55 किलोमीटर दूर भैरमगढ़ ब्लॉक के अबूझमाड़ से सटे उसपरि गांव में हमें ये पर्चे देखने को मिले। उसपरि गांव जाते वक्त हमें कच्चे रास्ते पर कुछ पर्चे दिखे जिसमें से कुछ फटे हुए थे।

इन पर्चों पर लिखा था कि “छत्तीसगढ़ फर्जी विधानसभा चुनाव को बहिष्कार करें, छत्तीसगढ़ पेसा कानून 2022 को रद्द करो, उ.पा जैसे काले कानून और एनआईए को रद्द के लिए आंदोलन करेंगे। पर्चों के अंत में दक्षिण सब जोनल कमेटी ब्यूरो, भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी) लिखा था।

‘जनचौक’ की टीम जब कच्चे रास्ते से और आगे बढ़ी तो एक तिराहे के पास सरकारी भवन में भी चुनाव बहिष्कार का नारा लिखा दिखा। सोसाइटी और आंगनबाड़ी भवन की दीवार पर भी चुनाव बहिष्कार का स्लोगन लिखा दिखा।

इस भवन के आसपास हमें कोई दिखाई नहीं दिया। इसके आगे ही साप्ताहिक हाट बाजार लगा था। वहां लोग अपने साप्ताहिक सामान लेने पहुंचे थे और कुछ लोग आदिवासी नेता सूरजू टेकाम की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे थे।

लेकिन चुनाव बहिष्कार पर कोई बात नहीं कर रहा था। इसमें से कुछ लोग ऐसे भी थे जो कह रह थे कि अभी सात तारीख को टाइम को है, जब आएगी तब देखा जाएगा कि क्या करना है।

हालांकि दीवारों पर जो स्लोगन लिखे गए हैं, उनमें पार्टी के लोगों को मार भगाने की बात कही गई है। इस बीच बाजार में लोग आ जा रहे थे। बाहर के व्यापारी भी शाम होने के इंतजार में अपना-अपना सामान पैक कर गाड़ियों से निकल रहे थे।

गंगालूर में चुनाव बहिष्कार का ऐलान

इससे पहले बीजापुर के गंगालूर इलाके में लोगों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया। गांव में एक सभा आयोजित कर लोगों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही विरोध किया। इस दौरान नारे लगाए गए। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। इसमें पुरुषों के मुकाबले महिलाएं बड़ी संख्या में नजर आई थीं।

वहीं पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी ने सीधे तौर पर पर्चा जारी कर मतदान कर्मचारियों से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मतदान ना कराने का फरमान जारी किया है।

चुनाव बहिष्कार के ऐलान से सरकारी अमला सचेत

इस बीच मतदान की तारीख नजदीक आते देख सरकारी अमला भी सचेत हो गया है। चुनाव और सुरक्षा के मद्देनजर बस्तर में 60 हजार सुरक्षा कर्मियों को लगाया गया है। इसके साथ ही ड्रोन की सहायता से निगरानी की जा रही है।

बस्तर के अति संवेदनशील इलाकों में जवान हेलीकॉप्टर से जाएंगे। बीजापुर में 73, कोंटा में 42, दंतेवाड़ा में 9, नारायणपुर में 18 और अंतागढ़ में 6 इलाके संवेदनशील हैं।

इस बीच सवाल यह है कि सरकार लगातार नक्सलवाद के कम होने का दावा करती आई है। लेकिन चुनाव नजदीक आते ही स्थिति कुछ और दिखाई दे रही है। पिछले सप्ताह 25 अक्टूबर को बीजापुर में नक्सलियों द्वारा ब्लास्ट किया गया था। इसके कुछ दिन बाद चुनाव बहिष्कार का ऐलान शुरू हो गया।

चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बाद इन संवेदनशील इलाकों में चुनाव करवाना एक बड़ा चैलेंज है। घने जंगल के बीच जनता को पोलिंग बूथ तक लाना और भी कठिन काम है।

इसके लिए प्रशासन ने कई पोलिंग बूथ को शिफ्ट भी किया है। बीजापुर के निर्वाचन अधिकारी राजेंद्र कटारा ने मीडिया से इस बारे में बात की है।

उनका कहना है कि “नक्सल गतिविधियों और घने जंगल के कारण मतदान कर्मियों को अंदर भेजना संभव नहीं है। घने जंगल के बीच सड़क नहीं है। ऐसे में वहां बूथ कैसे बनाएंगे।”

नक्सलियों के बहिष्कार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि “प्रशासन द्वारा लोगों को मतदान की सूचना दी जा रही है।”

जिन नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार का फरमान जारी किया है, उन्हीं के बीच ग्रामीणों को रहना है। ऐसे में मतदान करने की चाहत रखने वालों के लिए चैलेंज बहुत बड़ा है।

मोदी की रैली का बहिष्कार

बस्तर के अलग-अलग इलाकों में कांग्रेस और बीजेपी के शीर्ष नेता चुनाव प्रचार के लिए आ रहे हैं। पीएम मोदी और राहुल गांधी के अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रैली करने आ रहे हैं।

इस बीच नक्सलियों की जोनल कमेटी ने पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ को आदिवासी विरोधी बताते हुए उनकी रैली का विरोध किया है।

प्रेस रिलीज जारी कर नक्सलियों ने कांग्रेस और बीजेपी को झूठी पार्टी बताते हुए कहा है कि चुनाव जीतने के बाद ये जनता को भूल जाते हैं। नक्सलियों ने कहा कि जनता को बीजेपी और आरएसएस के हिंदू राष्ट्र बनाने के एजेंडे को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

प्रभावित हो सकता है मतदान

नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के बारे में हमने बीजापुर के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति विश्लेषक रंजन दास से बात की। उन्होंने बताया कि “नक्सल संगठन की तरफ से चुनाव बहिष्कार कोई नई बात नहीं है, परन्तु बहिष्कार के ऐलान से दुर्गम इलाकों में मतदान काफ़ी हद तक प्रभावित होता आया है”।

उन्होंने कहा कि “7 नबम्बर को पहले चरण के मतदान से पहले बस्तर के बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर में चुनाव बहिष्कार के साथ नक्सली उत्पात में इजाफा होने के मद्देनजर इससे कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि नक्सली मतदान में खलल डालेंगे।”

बीजापुर, सुकमा में अब भी बड़ा इलाका माओवाद की गिरफ्त में है, जहां उनकी हुकूमत बदस्तूर जारी है। सवाल लाजमी है कि अगर नक्सली चुनाव बहिष्कार कर रहे हैं तो ग्रामीण वोटर्स जो उन इलाकों में बसे हुए हैं, मताधिकार का उपयोग करने के लिए खौफ के बीच घरों से कैसे बाहर निकलेंगे?

अगर स्थिति ऐसी बनी तो ना सिर्फ मत प्रतिशत में गिरावट आएगी, बल्कि सैकड़ों आदिवासियो को अपने संवैधानिक हक से वंचित होना पड़ेगा।

बीजापुर विधानसभा से भाजपा के महेश गागड़ा और कांग्रेस के विक्रम मंडावी चुनावी मैदान में हैं। यहां दोनों के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। लेकिन नक्सलियों ने दोनों ही पार्टियों का विरोध कर यहां से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है।

(पूनम मसीह की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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