इलाहाबाद हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, सर्व सेवा संघ पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

वाराणसी। सर्व सेवा संघ मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘सर्व सेवा संघ’ की याचिका पर कोई फैसला न देते हुए निचली अदालत जाने का निर्देश दिया है। सोमवार 3 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘सर्व सेवा संघ’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पहले आप स्थानीय अदालत जाएं।

उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज ने कहा कि “इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रशासन की अर्जी स्वीकार कर हमें लोअर कोर्ट में जाने को कहा है। यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। न्यायपालिका से हमें न्याय की उम्मीद थी। कल हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हमें निराश नहीं करेगा और हमें वहां से त्वरित न्याय मिलेगा।”

गौरतलब है कि उत्तर रेलवे ने दावा किया है कि ‘सर्व सेवा संघ’ रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से भवन बनाकर काबिज है। और बैनामा का जो दस्तावेज दिखा रहा है वह कूटरचित है। ‘सर्व सेवा संघ’ ने 1960, 1961 और 1971 में उत्तर रेलवे से तीन बैनामा के तहत लगभग 12 एकड़ जमीन खरीदी थी। अब उत्तर रेलवे के अधिकारी बैनामा को फर्जी बताते हुए ‘सर्व सेवा संघ’ परिसर को बुलडोजर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का नोटिस भेजा है। ‘सर्व सेवा संघ’ इसके विरोध में अदालत का रूख किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद अब ‘सर्व सेवा संघ’ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगा।

आज 3 जुलाई को ‘सर्व सेवा संघ’ में सुबह कार्यक्रम की शुरुआत प्रार्थना के साथ प्रारंभ हुई। जिसमें पूर्वांचल, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र से आए हुए साथियों ने अपनी बातें रखी उन्होंने बताया कि गांधी विचार के प्रति सरकार का रवैया निराशाजनक रहा है और सरकार गांधीवादी संस्थाओं और व्यक्तियों को परेशान कर रही हैं। आज की सभा में खिड़कियां घाट के विस्थापित परिवारों ने अपनी बातें रखी।

बनारस के कई हिस्सों से विस्थापित परिवार जिनकी मेहनत मजदूरी का सिलसिला और घर बार सरकार ने रातों-रात छीन लिया उन्होंने अपनी बातों को रखा और यह बताया कि पिछले 5 साल में बनारस में हजारों व्यक्तियों का घर-बार तोड़ा गया है और लाखों लोगों को बेघर कर दिया गया है। न उन्हें कोई मुआवजा दिया गया है न ही उनकी आवाज सुनी गई है। शाम को बनारस के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ‘सर्व सेवा संघ’ कैंपस में आए और उन्होंने अपना समर्थन दिया उन्होंने बताया कि ‘सर्व सेवा संघ’ और गांधी विचार देश की जरूरत है और गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने प्रासंगिक आजादी के वक्त थे।

गांधीजनों ने संकल्प लिया है कि-

  1. हम यह जमीन किसी कीमत पर नहीं देगें। यह हमारी पवित्र विरासत है। इसे किसी माल या स्टेशन के लिए नहीं देगें। यह बिकाऊ नहीं है, यह शांति सेना, सर्वोदय साहित्य, कार्यक्रम व युवा प्रशिक्षण का केंद्र है।
  2. हम हाई कोर्ट में न्याय के लिए गए थे हाईकोर्ट ने सुना ही नहीं। अब हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। हमें पूरा भरोसा है कि देश की न्यायपालिका हमें सुन कर न्याय देगी।
  3. परिसर के परिवारों की मानसिक उत्पीड़न की जवाबदेही कौन लेगा। 3 दिन में ध्वस्तीकरण की नोटिस देना सुप्रीमकोर्ट व मानवाधिकार का उल्लंघन है।
  4. गांधी संस्थाओं व खादी केंदों की भूमि हड़पने की नीयत इस सरकार की है। साबरमती हो या वाराणसी राजघाट हर जगह इनकी नीयत दिख रही है।
  5. बनारस, पूर्वांचल और भारतवर्ष के तमाम संगठन, संस्थाएं इस आंदोलन में ‘सर्व सेवा संघ’ के साथ है। जिला प्रशासन ने जिस तरह से किला कोहना, खिड़कियां घाट, राजघाट की बस्ती को उजाड़ा है, हम उन लोगों की आवाज भी यहां से उठा रहे हैं। उनके साथ गलत हुआ है। अफसरों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
  6. हम इस आंदोलन को देश भर में लेकर जाएंगे। सभी प्रदेशों के सर्वोदय मंडल, गांधी निधि के केंद्र, NAPM औए गांधी पीस फाउंडेशन के केंद्र हमारे साथ हैं। मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार, ओडिशा, मप्र, राजस्थान आदि के साथी आ रहे है। संसद के मानसून सत्र के शुरू होते ही हम माननीय राष्ट्रपति और सांसदों से मिलेंगे।
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments