मणिपुर में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कश्मीर की तर्ज पर हुए पैलेट गन के इस्तेमाल का चौतरफा विरोध

नई दिल्ली। कश्मीर की तर्ज पर मणिपुर में भी प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए पैलेट गन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसी खबरें सामने आने के बाद मणिपुर में चौतरफा उसका विरोध शुरू हो गया है। दो छात्रों की मौत के बाद हुए प्रदर्शनों से निपटने में सुरक्षा बलों के जवानों ने पैलेट गन का इस्तेमाल किया है। जिसका नतीजा यह है कि सैकड़ों घायल प्रदर्शनकारियों को अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा है।

मणिपुर कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एमसीपीसीआर) ने सुरक्षा बलों और पुलिस के लिए ट्रेनिंग मैनुअल तैयार करने की मांग की है इसके साथ ही उनको किशोरों के साथ न्याय, मानवाधिकार और भीड़ को डिसेंट तरीके से नियंत्रित के लिए संवेदनशील बनाए जाने की आवश्यकता बताई है। 

मेतेई सिविल सोसाइटी के संगठनों का एक समूह कोआर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (सीओसीओएमआई) ने कहा है कि केंद्रीय बलों के जवान यूनिफार्म में छात्रों के ऊपर अपनी ताकत की जोर आजमाइश कर रहे हैं यह न केवल कायराना है बल्कि मानवाधिकार का खुला उल्लंघन और शर्मनाक कार्रवाई है।

छात्र समुदाय ने भी सुरक्षा बलों के प्रदर्शनकारियों की आवाजों को बंद करने के इस रवैये की निंदा की है।

बुधवार को पुलिस के एक बयान में कहा गया था कि भीड़ में शामिल उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों के खिलाफ लोहे के टुकड़ों और पत्थरों (संगमरमर) का इस्तेमाल किया। उसके जवाब में सुरक्षा बलों ने समूह को तितर-बितर करने के लिए न्यूनतम बल का इस्तेमाल किया। जिसके तहत कुछ आंसू गैस के गोले छोड़े जिसमें कुछ लोग घायल हो गए।

इस सिलसिले में टेलीग्राफ ने जब पुलिस की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की तो कोई भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ।

इंफाल के लोगों का कहना है कि तकरीबन 100 से ज्यादा लोग जिसमें ज्यादातर छात्र हैं, घायल हुए हैं। एक छात्र नेता ने बताया कि तकरीबन 175 छात्र घायल हुए हैं। और इनमें से ज्यादातर को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है। और ये सभी राज मेडिसिटी, रिम्स, जेनिम्स, एडवांस्ड हॉस्पिटल, एसियन हॉस्पिटल और शिजा हॉस्पिटल में भर्ती हैं।

उन्होंने कहा कि कल सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पैलेट गन, स्मोक बम, आंसू गैस के गोले, रबर बुलेट और बैटन का इस्तेमाल किया गया। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि कुछ छात्रों को पैलेट गन से निकले छर्रों से चोट लगी है।

एमसीपीसीआर द्वारा कल इस मामले में शामिल सभी पक्षों से एक जनरल अपील की गयी है। जिसमें कहा गया है कि लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोलों और रबर बुलेट का बच्चों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

इसने सुझाव दिया है कि सुरक्षा बलों को कम हानिकर रास्ते को अपनाना चाहिए जिसमें उनको लगातार लाउडस्पीकरों से चेतावनियां देना, पानी की बौछारें और पर्याप्त बैरिकेड्स लगाने जैसे तमाम तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि बालिगों के मुकाबले युवा छात्रों को नियंत्रित करने की रणनीति और तरीका बिल्कुल अलग होगा। इसलिए न्यूनतम बल को फिर से परिभाषित किए जाने की जरूरत है।

गुरुवार को पत्रकार तनुश्री पांडेय ने एक्स पर घायल छात्रों की फोटो अपलोड की थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि क्या राज्य और केंद्र की सरकार देख रही हैं? क्या उन्होंने सुरक्षा बलों को छात्रों के साथ इस तरह का व्यवहार करने की इजाजत दी है? निहत्थे छात्रों पर पैलेट गन्स और बैटन….।  

पैलेट गन एक राइफल या पिस्टल है जिससे गन पाउडर विस्फोट की जगह हवा के दबाव का इस्तेमाल करके मेटल की गोलियां दागी जाती हैं। इस हथियार को कश्मीर में प्रदर्शनों को रोकने के लिए किया गया था। ह्यून राइट्स वाच के मुताबिक 2016 से 2019 तक 4592 लोग घायल हुए थे।

एमसीपीसीआर ने कहा कि वह देश जिसने यूएन कन्वेंशन ऑन राइट्स ऑफ द चाइल्ड पर हस्ताक्षर किया हो और जहां जुवेनाइल एक्ट 2005 लागू हो वहां कैसे युवा छात्रों और बच्चों पर इतने ज्यादा बल का इस्तेमाल किया जा सकता है?

एमसीपीसीआर की अपील की एक-एक कॉपी चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी, जिलाधिकारियों, डायरेक्टर ऑफ स्कूल एजुकेशन तथा मीडिया को भेजी गयी है।

घाटी के छह छात्र संगठनों एएमएसयू, एमएसएफ, डीईएसएएम, केएसए, एसयूके, और एआईएमएस ने मिलकर केंद्र राज्य सरकार से राज्य के सैन्यीकरण पर रोक लगाने की मांग की है। इसके साथ ही छात्रों की हत्या में शामिल लोगों की गिरफ्तारी की मांग की है।

पुलिस ने कहा है कि पुलिस हेडक्वार्टर में गुरुवार को केंद्रीय सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में कम से कम ताकत का इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया। और खासकर छात्रों के खिलाफ।

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