स्वतंत्रता सेनानी पद्मनाथ सिंह के सम्मान में डाक टिकट जारी

मऊ। वीर स्वाधीनता संग्राम सेनानी, पूर्व विधायक, इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे पद्मनाथ सिंह की 110वीं जयंती पर नगर पालिका परिषद मऊ में आयोजित कार्यक्रम में डाक टिकट जारी किया गया। भारतीय डाक विभाग के विशेष डाक आवरण का लोकार्पण केन्द्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आदीश अग्रवाल ने किया।

मऊ नगर पालिका के कम्युनिटी हाल में आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद डॉ संतोष कुमार सिंह, नगर पंचायत अध्यक्ष मनोज राय, नगर पालिका चेयरमैन अरशद जमाल, ब्रिगेडियर पीएन सिंह, आईएमए के अध्यक्ष डॉ एनपी सिंह, डॉ पीएल गुप्ता, फिलेटली सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष महेश सिंह व महासचिव डॉ आदित्य सिंह, बार काउंसिल के उपाध्यक्ष अनुराग पाण्डेय, सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन मऊ के अध्यक्ष शमसुल हसन, बार एसोसिएशन मऊ के महामंत्री हरिद्वार राय शामिल रहे।

कार्यक्रम में आजमगढ़, गाजीपुर, प्रयागराज, वाराणसी से आये अतिथियों के अलावा मऊ के कई गणमान्य लोग की उपस्थिति थे।

इस अवसर बार काउंसिल उत्तर प्रदेश के सदस्य अमरेन्द्र नाथ सिंह द्वारा स्व. पद्मनाथ सिंह की स्मृति में दो दिवसीय निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिसमें मेंदान्ता गुरुग्राम के हृदय, श्वास, नेत्र व न्यूरो के चिकित्सा विशेषज्ञों ने 545 अधिवक्ताओं और नागरिकों की खून की जांच व ईसीजी की गई।

पद्मनाथ सिंह का जन्म 25 अगस्त 1913 को ग्राम परदहां जनपद आजमगढ़ (वर्तमान जनपद मऊ) में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में, तथा कक्षा 8वीं तक जीवन राम इण्टर कालेज मऊ में हुई। आगे की शिक्षा बनारस के क्वींस और उदय प्रताप कॉलेज हुई। इसके बाद उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

पद्मनाथ सिंह आजादी के बाद की प्रथम विधानसभा- जो आजमगढ़ के मुहम्मदाबाद दक्षिणी के नाम से थी, जिसमें मऊ भी सम्मिलित था- के विधायक निर्वाचित हुए।

पद्मनाथ सिंह ने स्वतंत्र भारत के निर्माण प्रक्रिया में अपने क्षेत्र के विकास की एक मजबूत आधार शिला रखी। पांच वर्षों में उन्होंने खुरहट पम्प कैनाल, गोठा पम्प कैनाल, थर्मल पावर हाऊस, वनदेवी वन को आरक्षित वन, 26 सरकारी नलकूप, बुनकर कालोनी, परदहां विकास खण्ड, सठियांव चीनी मिल, हर गांव सभा में प्राथमिक विद्यालय, 1955 की भंयकर बाढ़ के बाद घाघरा के दक्षिणी तट पर बांध, स्वदेशी काटन मिल, परदहां में राजकीय कताई मिल स्थापित कराई।

वीर पद्मनाथ सिंह गांधी और सुभाष के आजादी के आह्वान से प्रेरित होकर स्वाधीनता के आंदोलन में समर्पित हो गए। जब बनारस के क्वींस कॉलेज में कक्षा 10 के विद्यार्थी थे तो कॉलेज की प्राचीर पर तिरंगा फहराने के लिए उन्हें दो माह जेल की सजा अंग्रेजों द्वारा दी गई थी।  

पद्मनाथ सिंह ने 1934 में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त कर आजमगढ़ में वकालत प्रारम्भ की लेकिन अग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों को जारी रखा। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में बनारस से इलाहाबाद में क्रांतिकारियों की एक गुप्त बैठक में जाते समय बनारस कैंट स्टेशन पर गिरफ्तार कर कारावास में डाल दिये गये।

उनके पिता बाबू राम रहस्य सिंह जब बनारस सेंट्रल जेल में उनसे भेंट कर परदहां गांव लौट रहे थे, तो दुर्घटना में हत हो गये और मृत्यु हो गई। पद्मनाथ सिंह अपने मां-बाप की इकलौती संतान थे, लेकिन पिता के अंतिम संस्कार के लिए भी उन्हें नहीं छोड़ा गया क्योंकि उन्होंने अग्रेंजों की क्षमा मांगने की शर्त से इंकार कर दिया। इसके बाद वो इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता के रूप में मान्य हुये और उच्च न्यायालय द्वारा 1992 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया।

जेल में ही पद्मनाथ सिंह ने साम्प्रदायिक समस्या पर “जेल की डायरी “नामक पुस्तक लिखी। देश की समस्याओं पर चिंतन और समाधान पर अनेक लेख व पुस्तकें लिखीं, जिनमें देश के चुनाव प्रक्रिया में बदलाव, भारत के संविधान में सुधार महत्वपूर्ण लेख हैं। पद्मनाथ सिंह जीवनभर जन सेवा और गरीबों के उत्थान के लिए प्रयासरत रहे।

सेनानियों के पुनर्वास हेतु स्वतंत्र भारत की सरकार ने पद्मनाथ जी को 60 बीघे भूमि किच्छा में देने हेतु प्रस्तावित किया, किन्तु पद्मनाथ जी ने उसे स्वीकार नहीं किया। उ.प्र. सरकार द्वारा जमींदारी उन्मूलन हेतु गठित समिति में पद्मनाथ जी ने आम उपेक्षित लोगों के हित में अधिनियम लागू होने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पद्मनाथ सिंह का मानना था कि आजादी की लड़ाई में उनके मां-बाप ने कहीं ज्यादा पीड़ा और अग्रेंजों का उत्पीड़न सहा है। और उनके जेल में रहते पिता की असामयिक मृत्यु हुई, इस कारण उनका स्वाधीनता आंदोलन में ज्यादा योगदान रहा। इसलिए उन्होंने अपने पुश्तैनी घर को विद्यालय हेतु शासन को दान कर दिया, जिसका शिलान्यास 1998 में तत्कालीन उ.प्र. विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी द्वारा किया गया।

समारोह में वक्ताओं ने भारतीय डाक विभाग और फिलैटिक सोसायटी को साधुवाद दिया, जिन्होंने पूर्वांचल के औद्योगिक नगर मऊ के सपूत पद्मनाथ सिंह की जयंती पर विशेष डाक आवरण जारी किया।

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