नई दिल्ली। वाराणसी में सर्व सेवा संघ के परिसर में स्थित गांधी विद्या संस्थान पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के पुलिस-प्रशासन के सहयोग से अवैध कब्जे का विरोध धीरे-धीरे राष्ट्रीय शक्ल अख्तियार कर रहा है। सर्व सेवा संघ ने इसे अदालती आदेश की अनदेखी तथा जेपी, विनोबा और राष्ट्रपिता गांधी की विरासत के साथ अनैतिक छेड़छाड़ बताते हुए विरोध में धरना शुरू कर दिया है। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय से की गई मुलाकातों का भी अभी तक कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला है। लिहाजा, राष्ट्रपति को प्रतिवेदन भेजकर मामले का विवरण बताते हुए उनसे न्यायोचित हस्तक्षेप की अपील की गई है।
इस क्रम में 17 जून को दिल्ली में एक प्रतिरोध सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में आए कई नामचीन शख्सियतों ने न सिर्फ कब्जे की मुखर आलोचना की, बल्कि करीब 50 संगठनों ने जेपी-गांधी की विरासत बचाने के लिए लामबंद होने का संकल्प लिया।
गांधी विद्या संस्थान पर अवैध कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध अभियान के तहत 23 जुलाई, 2023 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में और 9-10 अगस्त 2023 को सर्व सेवा संघ के वाराणसी परिसर में राष्ट्रीय प्रतिरोध सम्मेलन का आयोजन करने का निर्णय किया गया है।
नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा कि “यह सरकार गांधी विचार और गांधीवादी संगठनों से डरती है; क्योंकि ये संगठन निर्भय होकर सरकार की जन विरोधी नीतियों का विरोध करते हैं।”
प्रख्यात समाजशास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार ने चेतावनी दी कि “जब आंच जेपी की विरासत पर आएगी तो हम रुकेंगे नहीं; विरोध को उसके मुकाम तक ले जायेंगे।”
किसान नेता योगेन्द्र यादव ने प्रधानमंत्री द्वारा विदेश में गांधी की प्रतिमा के सामने सिर झुकाने और देश में गांधीवादी संगठनों में अनैतिक हस्तक्षेप के विरोधाभास को देश के समक्ष ले जाना ज़रूरी बताया।
प्रतिरोध के इस क्रम में 19 जून को दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता में रामधीरज ने कहा कि “गांधी विद्या संस्थान वाराणसी में सर्व सेवा संघ की जमीन पर बना है, संस्थान के भवनों का निर्माण उप्र गांधी स्मारक निधि ने कराया था। सर्व सेवा संघ और उप्र गांधी स्मारक निधि के बीच यह लीज डीड हुई थी कि अगर किसी कारण से गांधी विद्या संस्थान बंद हो जाता है या कहीं और स्थानांतरित हो जाता है तो संस्थान की जमीन सर्व सेवा संघ को वापस हो जाएगी तथा संस्थान के भवनों का उपयोग, उप्र गांधी स्मारक निधि की सहमति से, सर्व सेवा संघ कर सकेगा। लिहाजा, गांधी विद्या संस्थान पर प्रशासन के कब्जे का न तो कोई नैतिक आधार है, न ही कोई कानूनी आधार है।”
गांधीवादी विचारक रामचन्द्र राही ने कहा कि “गांधी विद्या संस्थान पर प्रशासन का अवैध कब्जा कोई अलग-थलग या सिर्फ स्थानीय मामला नहीं है, यह सोची-समझी साजिश और ऊपर से आए निर्देश के तहत हो रहा है। साजिश यह है कि गांधी से जुड़ी हुई सभी जगहों पर कब्जा किया जाय, गांधी और आजादी के आंदोलन की स्मृति को मिटा दिया जाय। इसीलिए साबरमती आश्रम का स्वरूप नष्ट करके उसे पर्यटन स्थल में बदला जा रहा है। जलियांवाला बाग के साथ यह खिलवाड़ पहले ही हो चुका है।”
कुमार प्रशांत ने सचेत किया कि इस अवैध कब्जे के पीछे गांधीवादी संस्थाओं को नष्ट और बेदखल करने का संघ परिवार का एजेंडा है जिसे सत्ता के दुरुपयोग से अंजाम दिया जा रहा है।
प्रतिरोध के इस अभियान को आदमी पार्टी के नेता व सांसद संजय सिंह, जय किसान आंदोलन के अध्यक्ष अविक साहा, किसान संघर्ष समिति के डॉ. सुनीलम, युवा समाजशास्त्री डॉ. रणधीर गौतम, समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर, पूर्व सांसद डीपी राय, समाजवादी समागम के रमाशंकर सिंह व अरुण कुमार श्रीवास्तव, खुदाई खिदमतगार के कृपाल सिंह, वाहिनी के दिनेश कुमार, जेपी फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. शशि शेखर प्रसाद सिंह, स्वराज अभियान के प्रो. अजीत झा, राजस्थान समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह, राष्ट्र सेवा दल के शाहिद कमाल, सरदार दयाल सिंह, दीपक ढोलकिया, जय हिन्द मंच के सुरेश शर्मा, दीपक मालवीय, वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त, अरुण कुमार त्रिपाठी व मणिमाला ने समर्थन दिया है।