गुरपतवंत सिंह पन्नू की मौत की अफवाह: पर्दे के पीछे का सच!

अति वांछित आतंकवादियों की श्रेणी की पहली कतार में शामिल खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की 5 जुलाई को अमेरिका में सड़क दुर्घटना में मौत की खबर आखिरकार अफवाह निकली। लेकिन इस अफवाह के पीछे एक बहुत बड़ी साजिश है। सोशल मीडिया पर जानबूझकर इसे वायरल किया गया। जब दुनिया भर में यह खबर फैल गई कि सड़क दुर्घटना में एक साजिश के तहत उसका खात्मा कर दिया गया है। कुछ ही समय के बाद वह संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय के सामने आया और बाकायदा वीडियो वायरल करके दावा किया कि वह जिंदा है और उसकी मौत की खबर सरासर गलत है। वह प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ का मुखिया है और आईएसआई का एजेंट।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जान से मारने की धमकी वह कई बार दे चुका है। अब वह इनामी अपराधी है। सोशल मीडिया पर बुधवार की शाम पूरे विश्व में खबर चली कि अमेरिका के हाईवे 101 पर पन्नू की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है और इसमें उसकी मौत हो गई है। दुर्घटना में मौत या हत्या की तत्काल पुष्टि करने वाली अमेरिकी पुलिस एजेंसी ने इसकी कोई पुष्टि नहीं की बल्कि संकेत दिया कि मामला संदेहास्पद है।

इस संवाददाता ने व्हाट्सएप के जरिए अमेरिका और कनाडा के कुछ जानकारों से बातचीत में पाया कि सारा प्रपंच खुद गुरपतवंत सिंह पन्नू का रचा हुआ था। वह यह भांपना चाहता था कि उसकी मौत पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी? हालांकि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन आदि में कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी। गुरपतवंत सिंह पन्नू ही था जिसने पहले-पहल कहा कि निज्जर को भारतीय राजनयिकों के इशारे पर मारा गया है।

खालिस्तानी समर्थक और भारत विरोधी मीडिया ने इसे खूब हवा दी। यहां तक कि कनाडा स्थित जिन उच्चाधिकारियों के नाम पन्नू ने निज्जर की हत्या के संबंध में लिए, उनकी पहचान भी जग जाहिर कर दी गई। भारतीय सरकार की सख्ती के बाद तमाम अधिकारियों और भारतीय दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई।

दरअसल गुरपतवंत सिंह पन्नू की मंशा ‘जिंदा शहीद’ होने की थी। अमेरिका के एक पत्रकार बताते हैं कि विदेशों में पन्नू को अब ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता। इस सच से सब वाकिफ हो गए हैं कि वह दरअसल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का मोहरा है और उसे भारतीय पंजाब को मुसीबत में डाले रखने का काम सौंपा गया है। एवज में सुख सुविधाओं के साथ-साथ भारी- भरकम रकम भी दी जाती है।

पिछले दिनों पंजाब पुलिस ने दो नौजवानों को गिरफ्तार किया था जिन्होंने पन्नू की ओर से भिजवाए गए 80 हजार रुपए के बदले सरकारी इमारत की दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे थे। उसके कहने पर कई गुमराह नौजवान भारतीय तिरंगे का अपमान कर चुके हैं। हर गड़बड़ी के लिए वह पैसे देता है। लेकिन उसका यह संक्रमण ज्यादा नहीं फैला; इसलिए कि पंजाब पुलिस पूरी मुस्तैदी के साथ उसकी एक-एक गतिविधि पर निगाह रखे हुए है। ‘वारिस पंजाब दे’ के स्वयंभू मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा भी निरंतर पन्नू के संपर्क में था। पन्नू ने ही उसे सलाह दी थी कि वह वाया नेपाल, अमेरिका या कनाडा आ जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। पुलिस ने अमृतपाल सिंह खालसा को यहीं दबोच लिया।

पंजाब पुलिस के सूत्रों के मुताबिक शुरुआती पूछताछ में अमृतपाल ने पन्नू से अपने संबंधों की बात स्वीकार की थी और उसके घर से बरामद लैपटॉप तथा मोबाइल फोन में से पन्नू के साथ लगातार चैट की विवादास्पद सामग्री मिली थी। पन्नू और अमृतपाल मिलकर राज्य में नेटवर्क खड़ा कर रहे थे जो पुलिस के हाथों नहीं टूटता तो आगे जाकर पंजाब की बर्बादी का बहुत बड़ा सबब बनता।

खैर, गुरपतवंत सिंह पन्नू को एहसास हो गया है कि वह अब अमेरिका, कनाडा, जर्मन, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में लोकप्रियता खोता जा रहा है। इसलिए भी कि उसके तर्क बेसिर-पैर के हैं। पन्नू ने मंदिरों की मर्यादा भंग की तो कट्टर सिखों को भी यह बहुत बुरा लगा।

कैलिफोर्निया से ‘द खालसा टुडे’ अखबार निकालने वाले वामपंथी-उदारवादी सुक्खी चहल ने पन्नू की सड़क दुर्घटना में हुई कथित मौत के तुरंत बाद लिख दिया था कि यह एक ड्रामा है। इसकी स्क्रिप्ट खुद पन्नू ने लिखी है। चहल कहते हैं, ” पन्नू जैसे लोग नफरत के सौदागर और डॉलरों लालची हैं। स्वार्थ पूर्ति के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। पन्नू का तथाकथित विचारधारात्मक खेल ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा। भारतीय पंजाब और सुदूर विदेशों में रोजी-रोटी के लिए आए लोग अमन चाहते हैं ने कि कल्पना का क्लेश खालिस्तान!”

अलगाववादियों के कार्तिक विरोधी के रूप में अलग पहचान रखने वाले निर्भीक पत्रकार सुक्खी चहल दो-टूक कहते हैं कि वह दिन दूर नहीं जब खाली स्थन की बात करने वाले पन्नू जैसे लोगों को नई पीढ़ी के लोग पत्थर मारेंगे और सरेआम बेइज्जत करेंगे। ऐसे लोगों की वजह से विदेशों में सिखों की छवि बिगड़ रही है जो भविष्य के लिए कतई सुखद नहीं है। चहल कहते हैं कि पन्नू और उसके साथियों की वजह से नस्लवाद को भी बल मिलता है जो अंततः नुकसान के सिवा कुछ नहीं देता।

वामपंथी रुझान के एक अन्य पत्रकार अकबर सिंह सेखों के अनुसार, “कितना हास्यास्पद है कि 21वीं सदी में हम यह मानते हैं कि कोई अलग देश खालिस्तान बनेगा! यह चंद मूर्खों का प्रलाप है। अलग देश मिल भी गया तो उसका करोगे क्या? पन्नू कहेगा कि इसका राष्ट्रपति मैं हूं अमृतपाल सिंह जैसा कोई उठेगा कि प्रधानमंत्री मैं। भांग के नशे में चूर कोई निहंग कहेगा कि खजाना मंत्री मुझे बनाओ। गृहमंत्री के पद पर उनका दावा होगा जो कभी आतंकवादियों के साथ मिलकर घातक नशों की तस्करी करते रहे हैं। विदेश मंत्रालय वे संभालना चाहेंगे जो पन्नू और सिमरनजीत सिंह मान जैसे लोगों के इशारों पर ‘कबूतरबाजी’ करते हैं..”

इतना कहकर सेखों साहब हंसते हैं। उनकी राय है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू के लिए भारत सरकार नई संधि के तहत सीधे उसकी गिरफ्तारी मांगे। जो व्यक्ति एक पूरी राज्य व्यवस्था को खुलेआम ललकारता हो और भारत के आला नेताओं के जिस्मानी सफाए की सरेआम धमकी देता हो-उसे धरती के किसी भी हिस्से पर, किसी भी मुल्क में छुट्टा कैसे छोड़ा जा सकता है?

कनाडा के रेडियो पत्रकार, जो नाम जाहिर नहीं करना चाहते, कहते हैं कि पन्नू जैसे लोग कायर हैं। 5 जुलाई को उसने जान-बूझकर दुर्घटना में अपनी मौत की खबर वायरल करवाई लेकिन बहुत कम लोगों ने अफसोस प्रकट किया जबकि इस खबर को देखने वालों की संख्या लाखों में थी। कथित रूप से श्रद्धांजलि देने वालों की संख्या महज सैकड़ों में थी। कोई बताए कि ऐसा शख्स कैसे लोकप्रिय हो सकता है? वह एक विशुद्ध ड्रामेबाज और भारत विरोधी शक्तियों का पेड मोहरा भर है।

पूरे प्रकरण की छानबीन के सिलसिले में कुछ और लोगों से भी बातचीत की गई जिससे सबसे बड़ा तथ्य यह सामने आया कि पिछले दिनों कुछ खालिस्तानी आतंकवादियों की हत्या के बाद गुरपतवंत सिंह पन्नू खासा खौफजदा है तथा कुछ समय के लिए भूमिगत हो गया था। कल जब उसने पाया कि उसकी लोकप्रियता का ग्राफ बहुत नीचे है तो वह जानबूझकर कुछ मिनटों के लिए वीडियो के जरिए आगे आया और फिर गायब हो गया। जबकि उसने वायरल वीडियो में दावा किया था कि कोई भी उससे किसी भी वक्त संपर्क कर सकता है। कुछ लोगों ने कोशिश की लेकिन उसके तमाम मोबाइल नंबर बंद मिले। वह उस ठिकाने पर भी नहीं है, जहां अक्सर पाया जाता था। इसके मायने क्या हैं?

कुछ दिनों से अलगाववादी खालिस्तानी सरगनाओं को हथियारों के दम पर निशाना बनाकर उन्हें मारा जा रहा है। मरने वाले वे लोग हैं जो घोषित रूप से आतंकवादी रहे और अब भी आतंक की बोली-भाषा में बात करते थे। धमकियां देना गोया उनका शगल था। पाकिस्तान में आईएसआई के सुरक्षित ठिकाने और पहरे में रहने वाले नामी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवड़ को सुबह-सवेरे सरेआम बाजार में गोलियों से भून दिया गया और कातिलों का अभी तक पता नहीं चला। जबकि कहा जाता है कि पाकिस्तान में आईएसआई को चुनौती देना नामुमकिन है। पंजवड़ की हत्या का राज शायद दफन हो गया है!

मिनी खालिस्तान के रूप में बदनाम कनाडा में कुख्यात खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई। पन्नू ने उसकी हत्या के लिए भारतीय दूतावास के अधिकारियों को गुनाहगार बताया है। यूके में अवतार सिंह खांडा को अज्ञात लोगों ने मार डाला। सिलसिलेवार हुई इन हत्याओं ने विदेशों में बसे अलगाववादी खालिस्तानियों में खलबली मचा दी। कनाडा के पत्रकार मनवीर कहते हैं कि खालिस्तानी सरगनाओं ने रातों-रात अपने ठिकाने बदल लिए। कुछ कनाडा से अमेरिका चले गए और कुछ अमेरिका से कनाडा अपने रिश्तेदारों के यहां आ गए। वे गहरे खौफ में हैं कि किसी ‘गुप्त मिशन’ के तहत उनका नक्सेस तोड़ा जा रहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कुछ और हत्याएं भी हुईं हैं लेकिन भारतीय मीडिया उन से अनभिज्ञ है।

गौरतलब है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू भीतर से डर गया था कि उसकी हत्या भी उसी पैटर्न पर हो सकती है। इसलिए वह भूमिगत हो गया। भूमिगत होने से पहले उसने निज्जर की हत्या के लिए भारतीय अधिकारियों को सीधा जिम्मेवार ठहराते हुए विरोध-प्रदर्शन की धमकी दी। यह कल शाम से पहले उसका आखरी वीडियो था। उसके बाद वह यह बताने के लिए वीडियो पर आया कि वह जिंदा और सही-सलामत है। इसके बाद वह लापता हो गया।

देखना होगा कि भारतीय दूतावास के आगे धरना-प्रदर्शन की जो धमकी ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने जारी की है, उसमें भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू शिरकत करता है या नहीं। करता है तो किस रूप में? अमृतपाल सिंह खालसा की मानिंद उसने भी अपने बाद संगठन संभालने के लिए किसी को तैयार नहीं किया। वह ‘वन मैन आर्मी’ है। पकड़ा जाता है तो उसका संगठन खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा। जाहिरन तब आईएसआई भी उसकी ओर पीठ कर लेगी। अलहदा है कि वह किसी ने विपथगा पन्नू की तलाश करके उसे प्रशिक्षित करेगी। बेशक उसका हश्र भी यकीनन एक दिन पन्नू सरीखा ही होगा। जब तक बेरोजगारी है, नशे की दरकार है, भुखमरी की नौबत है तब तक पन्नू आईएसआई और अन्य एजेंसियों को सहजता से मिलते रहेंगे।

पंजाब के जिला अमृतसर के खानकोट गांव का मूल बाशिंदा गुरपतवंत सिंह पन्नू पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून में स्नातक है। यानी अच्छा पढ़ा- लिखा। बाद में वह विदेश चला गया और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सक्रिय सहयोग से भारतीय पंजाब में खालिस्तानी अलगाववादी मुहिम चलाने लगा। उसके पिता महिंदर सिंह, पंजाब राज्य कृषि विपणन बोर्ड में कर्मचारी थे। पन्नू के तीन भाई बहन हैं। वह लंबे अरसे से कनाडा और अमेरिका रह रहा है।

पन्नू खतरनाक अलगाववादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ (एसएफजे) का संस्थापक है। यह संगठन निरोल भारत विरोधी हिंसक गतिविधियों के लिए 2007 को स्थापित किया गया था। भारत सरकार ने तथ्य मिलने पर व अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्त पानी के चलते उसे 2019 में प्रतिबंधित कर दिया था। भारत में सिख फॉर जस्टिस और पन्नू के खिलाफ दर्जनभर से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिनमें पंजाब में देशद्रोह के तीन मामले भी शामिल हैं। पन्नू पर बगावत सैलानी सहित फिरकापरस्त दंगे भड़काने की मंशा से उकसाने, राजद्रोह और पूजा स्थलों पर अपराध करने जैसे संगीन आरोप हैं।

सरकार ने जुलाई 2020 में गुरपतवंत सिंह पन्नू और और उसके हमख्याल हरदीप सिंह निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था। गुरु नानक सिख गुरुद्वारा साहिब के प्रमुख और खालिस्तान टाइगर फोर्स के मुखिया हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून को कनाडा के एक गुरुद्वारे में दो अज्ञात युवकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

स्थानीय मीडिया के एक हिस्से के मुताबिक उन्हीं हमलावरों का निशाना गुरपतवंत सिंह पन्नू भी था जो बच निकला। बाद में उसने 5 जून को दुर्घटना का वृत्तांत रचा। इसके दो मकसद साहब थे। पहला, निज्जर के हत्यारों को संदेश देना कि पन्नू दुर्घटना में मारा गया है। दूसरा, अपनी लोकप्रियता का ग्राफ चेक करना। दोनों में अनु को कामयाबी नहीं मिली। खालिस्तान के मुद्दे पर वह जनमत सर्वेक्षण करवाना चाहता है लेकिन उसके पास मानव-संसाधन नहीं हैं। पंजाब में वह नशेड़ियों के भरोसे है। बहरहाल, कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि गुरपतवंत सिंह पन्नू का हश्र भी अन्य मारे गए आतंकवादियों सरीखा होगा। जहरवाद की उसकी बेल जितनी फैली थी; फैल चुकी!

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

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