गुरबाणी के सीधे प्रसारण के लिए यूट्यूब चैनल शुरू करेगी एसजीपीसी

Estimated read time 1 min read

24 जुलाई को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) गुरबाणी के प्रसारण के लिए अपना यूट्यूब चैनल शुरू करेगी। पंजाब के केबल संजाल पर एकमुश्त कब्जे वाली पीटीसी चैनल के साथ गुरबाणी प्रसारण का अनुबंध रद्द किया जा रहा है। वैसे भी, उसका अनुबंध एक दिन पहले खत्म होने को था। दिलचस्प है कि पीटीसी के मलिकाना अधिकार (यानी स्वामित्व) बादल परिवार के पास हैं और वह तकरीबन 11 सालों से गुरबाणी का लाइव प्रसारण कर रही है। कतिपय पंथक संगठन इसके खिलाफ थे कि बादल परिवार के स्वामित्व वाले पीटीसी को गुरु घर से इस जरिए फायदा दिलाया जा रहा था।

सर्वविदित है कि जिस सर्वोच्च सिख संस्था एसजीपीसी ने यह कड़ा फैसला लिया, वह सुखबीर सिंह बादल की सरपरस्ती वाले शिरोमणि अकाली दल की जेबी संस्था है। अंदर की सच्चाई भले कुछ हो लेकिन बाहरी घटनाक्रम पर पंजाब और सुदूर देशों में रहते पंजाबी इस पर पैनी निगाह रखे हुए हैं। एक अहम बैठक में एसजीपीसी ने फैसला किया कि अब गुरबाणी का लाइव प्रसारण पीटीसी नहीं करेगा और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यूट्यूब के जरिए खुद सीधा प्रसारण दुनिया भर में पहुंचाएगी। यूट्यूब चैनल का नाम पहले ‘सचखंड श्री हरमंदिर साहिब-श्री अमृतसर’ रखने की घोषणा की गई थी, लेकिन एकाएक तब्दीली करते हुए इसका नाम ‘सचखंड- श्री अमृतसर’ कर दिया गया है।

एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने बताया कि सिख संगत से मिले सुझाव के बाद नाम बदलने का फैसला लिया गया है। पीटीसी से एसजीपीसी का अनुबंध 23 जुलाई को खत्म हो रहा है। पीटीसी ने इसे जारी रखने की गुजारिश की लेकिन उसे दरकिनार कर दिया गया और अंतिम फैसला यही हुआ कि 24 जुलाई को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अपना यूट्यूब चैनल शुरू कर देगी। तैयारियां जोरों पर हैं। इसमें अब विवाद भी जुड़ने लगे हैं। तय है कि आने वाले दिनों में विवादों का लंबा-चौड़ा लेखा-जोखा यकीनन खुलेगा।

गौरतलब है कि एसजीपीसी गुरबाणी का प्रसारण करवाने के लिए पीटीसी से पहले 16 लाख रुपए प्रतिमाह लेती थी। विज्ञापनों के जरिए पीटीसी इससे कई ज्यादा गुणा कमाई करती थी। एसजीपीसी को नई कंपनी को हर महीने 14 लाख रुपए का भुगतान अपनी गुल्लक से करना पड़ेगा। गुरबाणी को घर-घर तक पहुंचाने के लिए एसजीपीसी पीटीसी के व्यापक नेटवर्क का इस्तेमाल करती थी।

एसजीपीसी के यूट्यूब चैनल चलाने के लिए दिल्ली की एक कंपनी अनुकृति कम्युनिकेशन के साथ करार किया गया है। गुरबाणी के लाइव प्रसारण के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस कंपनी को 12 लाख रुपए नगद हर महीने और 18 फीसदी जीसीटी देगी। पीटीसी हर साल शिक्षा फंड के लिए एसजीपीसी को दो करोड़ देती रही है लेकिन नई कंपनी से हुए अनुबंध में ऐसी कोई शर्त नहीं है। पीटीसी को गुरबाणी प्रसारण के दौरान विज्ञापनों के अधिकार थे; नई कंपनी के साथ इस बाबत खुलकर क्या अनुबंध किया गया है, फिलहाल इसकी जानकारी किसी को नहीं है।

राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने ट्वीट कर कहा है कि जिस कंपनी के माध्यम से पैसे देकर गुरबाणी का प्रसारण एसजीपीसी करवाने जा रही है, इस कंपनी से जुड़े व्यक्ति हरसिमरत कौर बादल की कंपनी का सीईओ है। पूर्व उपमुख्यमंत्री रंधावा ने लिखा, ‘धामी साहिब, आपने फिर से बादलों की जेबें भरने का रास्ता ढूंढ ही लिया है। पीटीसी से गुरबाणी के प्रसारण का अधिकार, हरसिमरत कौर बादल की संस्था के सीईओ को देना सरबत नानक नाम लेवा संगत के साथ खुला धोखा है। सिख समुदाय के प्रचार-प्रसार के लिए जिम्मेदार होने के बजाय, क्या आप बादलों के साथ निकट के रिश्ते निभा रहे हैं?’

रंधावा के ट्वीट के बाद नई चर्चा शुरू हो गई है। इस मामले को लेकर एसजीपीसी के विरोधियों को एक बार फिर नया मुद्दा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ मिल गया है। पीटीसी के विरोधी सिख संगठन भी एसजीपीसी के मौजूदा नेतृत्व को लेकर कई तरह के सवाल खड़े करने लग गए हैं लेकिन प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ऐसे किसी एक सवाल का कोई उत्तर नहीं दे रहे। इससे जाहिर है कि दाल में कुछ काला जरूर है। है कितना, यह नहीं मालूम! मामला धार्मिक होने के नाते कई वरिष्ठ नेता खामोश है लेकिन नाम नहीं छापने की शर्त पर विरोध में जरूर बोल रहे हैं।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को ‘रसिक गुरुद्वारा एक्ट 1925’ में प्रस्तावित संशोधन को मंजूरी देने का विरोध किया है, जिससे श्री हरिमंदिर साहिब से प्रस्तावित संशोधन को मंजूरी देने का अनुरोध किया गया है। इसलिए भी कि पवित्र गुरबाणी के प्रसारण पर बादल परिवार का एकाधिकार खत्म किया जा सके। राज्यपाल को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुखदायक है कि श्री हरमंदिर साहिब में सर्व सांझी गुरबाणी के प्रसारण पर एक अति प्रभावशाली राजनीतिक परिवार के अधिकार वाले एक विशेष चैनल ने एकाधिकार कायम किया हुआ है और उससे वह जमकर मुनाफा कमा रहा है। यहां मान विज्ञापनों की तरफ इशारा करते हैं।

भगवंत मान ने कहा कि महान गुरु साहिबान की शिक्षाओं के प्रसार और श्री हरिमंदिर साहिब से सर्व सांझी गुरबाणी का प्रसारण सभी के लिए मुफ्त यकीनी बनाने के लिए पंजाब विधानसभा में 25 जून को सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल-2023 लाया गया था। विधानसभा ने भारी बहुमत से इसे पास किया था। बेशक उक्त बिल राज्यपाल के हस्ताक्षरों के लिए 26 जून, 2023 को भेज दिया गया था लेकिन इस पर अभी तक भी दस्तखत नहीं किए गए। यह पंजाब के अवाम के लोकतांत्रिक हकों को दबाना है।

मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को बताया कि उक्त चैनल का शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के साथ समझौता 23 जुलाई 2023 को खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर राज्यपाल इस बिल को तुरंत स्वीकृति नहीं देते तो इसके साथ दुनियाभर में लाखों श्रद्धालु श्री हरमंदिर साहिब से गुरवाणी का सीधा प्रसारण देखने से वंचित हो जाएंगे। इससे विश्व भर में बसते सिखों की धार्मिक भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचेगी। उन्होंने राज्यपाल को इस बिल पर यथाशीघ्र हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरबाणी के लाइव प्रसारण के लिए खास खत तो लिखा लेकिन शायद वह तब तक अनभिज्ञ थे कि बदले हुए फैसले के तहत गुरबाणी का प्रसारण मुफ्त नहीं होगा बल्कि एससीपीसी उसके लिए 14 लाख रुपए प्रतिमाह खर्च करेगी। यह खर्चा श्रद्धालुओं द्वारा गुरुद्वारों की गुल्लक में डाले जाने वाले पैसों से ही खर्च होगा।

उधर, अन्य सर्वोच्च सिख संस्था अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी इस पर संतोष व्यक्त किया है कि पूरी दुनिया में गुरबाणी का प्रसारण अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जरिए होगा और प्रसारण विवादास्पद विज्ञापनों के साथ-साथ कोई भी विज्ञापन नहीं चलाया जाएगा। 24 जुलाई से एसजीपीसी के यूट्यूब चैनल की शुरुआत की बाबत ज्ञानी रघबीर सिंह जानकारी दी गई। कुछ एनआरआई भी आगे आए थे कि वे अपने तौर पर ऐसा चैनल शुरू कर सकते हैं जो दुनिया भर में सिर्फ गुरबाणी का प्रसारण करे लेकिन उनके प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया। बगैर कोई ठोस वजह बताए।

उल्लेखनीय है कि भगवंत मान सरकार ने जब प्रसारण से संबंधित बिल 25 जून को विधानसभा में रखा था; तब एसजीपीसी तथा शिरोमणि अकाली दल ने इसकी मुखालफत की थी लेकिन बदले हालात में उन्होंने उदारता दिखाई है और यह ‘उदारता’ शायद किसी ‘मजबूरी’ के तहत हो-कौन जानता है।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

please wait...

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments