चुनाव आयुक्त नियुक्ति अधिनियम 2023: याचिका पर 21 मार्च को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

चुनाव आयुक्त नियुक्ति अधिनियम 2023 के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 21 मार्च को सुनवाई करेगा। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के पैनल से मुख्य न्यायाधीश को हटाने के खिलाफ यह याचिका दायर की गई है। याचिका में मांग की गई है कि पैनल में मुख्य न्यायाधीश को फिर से शामिल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नए कानून के तहत दो नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित याचिका भी दायर करने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में आज इस याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन अब याचिका को 21 मार्च को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति संबंधी चयन समिति में मुख्य न्यायाधीशों (सीजेआई) को शामिल नहीं करने के खिलाफ याचिका दायर की थी। यह याचिका गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दायर की है। एडीआर ने याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की धारा सात की वैधता को चुनौती दी है और इसके अमल पर रोक लगाने की मांग की है। इस धारा के तहत मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से बाहर रखा गया है। संविधान पीठ में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।

यह सुनवाई इसलिए महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को बृहस्पतिवार को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति ने चुना। 14 फरवरी को अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद दो रिक्तियां उत्पन्न हुई थीं। नए कानून के तहत चयन समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और विपक्ष के नेता एवं प्रधानमंत्री की ओर से नामित एक केंद्रीय मंत्री इसके सदस्य होते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि अंतरिम आवेदन रिकॉर्ड पर नहीं हैं शुक्रवार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले चयन पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाने वाले नए कानून पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई स्थगित करने का फैसला किया। अब मामले को 21 मार्च के लिए पोस्ट कर दिया है।

याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने अनूप बरनवाल के फैसले की ओर इशारा किया। उन्होंने तर्क दिया, “जब इस न्यायालय द्वारा कोई निर्णय पारित किया गया है, तो इसे पलटा नहीं जा सकता है।” जवाब में, न्यायमूर्ति खन्ना ने चुनाव आयुक्तों के अधिनियम के संचालन को निलंबित करने के लिए अदालत की अनिच्छा दोहराई।

“यह मामला दो बार सामने आया। दोनों बार यह बताया गया कि आम तौर पर हम किसी अंतरिम आदेश पर किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं।” हालांकि, सिंह ने कहा कि ऐसे उदाहरण हैं जब न्यायालय ने कानूनों के संचालन पर रोक लगा दी है और एक मामले का हवाला दिया जहां एक अध्यादेश पर रोक लगा दी गई थी। उन्होंने यह भी बताया कि अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद नए चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए बैठक पहले ही टाल दी गई है। इससे पहले, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने चयन समिति बुलाने के खिलाफ एक और आवेदन दायर किया था।

सिंह ने अदालत को बताया कि रोक लगाने के लिए एक आवेदन दाखिल करने की प्रक्रिया चल रही है। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें केवल मुख्य याचिका की एक प्रति मिली है।

न्यायमूर्ति खन्ना ने गुरुवार, 21 मार्च तक सुनवाई स्थगित करने से पहले आश्वासन दिया, “आप यह आवेदन दायर करें। हम इसकी जांच करेंगे।”

अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अधिवक्ता प्रशांत भूषण और कालीस्वरम राज पेश हुए।

इन याचिकाओं का सार इस तर्क के इर्द-गिर्द घूमता है कि 2023 का अधिनियम अनूप बरनवाल (2023) मामले में संविधान पीठ के फैसले को पलट देता है। इस मामले में, यह देखा गया कि चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति कार्यपालिका के हाथों में छोड़ना लोकतंत्र के स्वास्थ्य और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के संचालन के लिए हानिकारक होगा। तदनुसार, अदालत ने निर्देश दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के पदों पर नियुक्तियां राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता की एक समिति द्वारा दी गई सलाह के आधार पर की जानी चाहिए।

हालांकि, 2023 अधिनियम भारत के मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को नियुक्त करता है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह परिवर्तन चयन प्रक्रिया को कार्यकारी प्रभाव के प्रति संवेदनशील बनाता है।

पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर विचार करने पर सहमति जताते हुए कानून पर तत्काल रोक लगाने से लगातार इनकार किया था।

इस सप्ताह की शुरुआत में चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे के मद्देनजर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया था। तदनुसार, मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया।

(जनचौक की रिपोर्ट)

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