मोदी कह रहे हैं कि हम देश को बदल रहे हैं लेकिन इनके इस बदलाव के रास्ते से किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग, छोटे-मोटे व्यापारी कल कारखाने वाले व छात्र नौजवान तबाह हो जाएंगे। मोदी देश को बुलेट व काले कानून के द्वारा चलाना चाहते हैं जबकि देश को चलाने के लिए जनता का विश्वास व जन भागीदारी की जरूरत होती है। इसलिए देश को चलाने के लिए आज नीतियों में बदलाव की जरूरत है। आरएसएस की सोच के कारण ही भारत इतने दिन तक गुलामी में रहा है और यही भाजपा-आरएसएस की सोच जारी रही तो हमारा देश खण्ड-खण्ड में बंट जाएगा। कश्मीर समस्या का हल बुलेट से नहीं वहां की जनता के विश्वास को जीतकर किया जा सकता है। आज वहां लगभग 62 लाख की आबादी पर करीब 7 लाख फौजी उतारकर मोदी जो शांति लाने की कोशिश कर रहे हैं, वह कारगर नहीं होगी।
ये बातें स्वराज अभियान की प्रेजीडियम के सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कही है। वह चंदौली में अपने कार्तकर्ताओं से बात कर रहे थे। मोदी जी को ताकत विपक्ष की भ्रष्ट दिवालिया राजनीति से मिली है। अगर शुरू से ही सेकुलर राजनीति के नाम पर केवल हिंदू-मुस्लिम विभेद पैदा करने की जगह नागरिक समाज बनाने पर जोर रहता तो आज आरएसएस व भाजपा नहीं बढ़ती।
उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई जाति विहीन समाज की, वर्ग विहीन समाज की लड़ाई है। सामाजिक न्याय की लड़ाई जिसके द्वारा जाति विहीन समाज का निर्माण करना था, बहुजन राजनीति ने इसकी जगह जातिवाद को बढ़ावा दिया और आर्थिक सवालों को बुनियादी तौर पर हल करने की जगह केवल सुधार पर जोर दिया। इसी बहुजन राजनीति के नेता मायावती, मुलायम, लालू के कारण भाजपा पल बढ़ रही है और देश में अधिनायकवाद लाने की मोदी जी की कोशिश को बल मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि जातीय चेतना की जगह स्वतंत्र चेतना पैदा करने के बजाये मायावती, मुलायम, लालू मार्का राजनीति ने केवल जातीय स्वाभिमान पैदा कर सत्ता की दलाली की और अपना निजी आर्थिक साम्राज्य खड़ा किया। वहीं इन्होंने जाति विहीन समाज के निर्माण के लिए कुछ भी काम नहीं किया और संसदीय लोकतंत्र को भ्रष्ट करने में भाजपा का साथ दिया ।
उन्होंने कहा कि उधारी की अर्थव्यवस्था से देश नहीं चल सकता है। मोदी सरकार कॉर्पोरेट के आगे लगातार झुकती ही नहीं जा रही हैं बल्कि केवल उन्हीं के लिए काम कर रही है। आज देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए खेती किसानी को ठीक करना होगा, खेती आधारित उद्योग लगाना होगा, देश में सहकारी खेती को बढ़ावा देना होगा और किसानों को ब्याज रहित ऋण देना व फसल खरीद की गारंटी भी करना होगा।