ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी की सड़कों में सुरंग और होल, खोल रहे योगी सरकार के निर्माण कार्य की पोल

जौनपुर/मिर्ज़ापुर/वाराणसी। जनाब! यदि आप जौनपुर की सड़कों पर चल रहे हैं तो संभलकर चलें, वरना कब, कहां आप सड़क के नीचे गड्ढे में समा जाएं कहा नहीं जा सकता है। जी हां! यह हम नहीं कह रहें हैं बल्कि, जौनपुर कि सड़कें खुद अपनी स्थिति को बयां कर रही हैं। सड़क कब कहां बैठ जाए, सड़क में पोल हो जाए बता पाना और भांप पाना कठिन है। ऐसे में संभलकर चलना उचित तो कहा जा सकता है लेकिन सड़क के नीचे बने पोल कब कहां घातक हो सकते हैं यह कौन बताए?

दरअसल, यूपी में हर घर तक ‘नल जल योजना’ के तहत पानी पहुंचाने की कवायद को अमलीजामा पहनाने के प्रयास में जुटे जल निगम को भले ही अपनी इस कार्य योजना में समय लग रहा है, लेकिन इस योजना के चलते लोगों को जान जोखिम में डालने में जरा भी समय नहीं लग रहा है। यूं कहें कि सड़कें यमराज बनी हुई लोगों की जान लेने पर तुली हुई हैं।

यह स्थिति सिर्फ जौनपुर जनपद तक ही सीमित नहीं है, कमोवेश यही स्थिति अन्य जनपदों मसलन, भदोही, सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर से लेकर पूर्वांचल के जनपदों की है। कहीं पेयजल आपूर्ति के लिए तो कहीं सीवर लाइन के लिए सड़कों को खोद दिया गया है। पहले मनमाने तरीके से सड़क की खुदाई फिर उसे बनाने में भी मनमाने रवैये से एक तरफ बदहाल सड़कों पर चलने वाली जनता की दुर्गति हो रही है तो दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर संसाधनों का सत्यानाश भी हो रहा है।

योजना ने बढ़ा दी लोगों की मुश्किलें

इन दिनों पूरे प्रदेश में अमृत योजना अंतर्गत गहरी सीवर लाइन का कार्य चल रहा है। इसके लिए अलग-अलग तरीके से भूमिगत पाइप लाइन बिछाई जा रही हैं। इसके लिए दिन-रात कार्य किया जा रहा है। आलम यह है कि शायद ही कोई ऐसा कस्बा, बाजार या गांव देहात की सड़क गली बची होगी जिसे न खोदा गया होगा। सड़कों की खुदाई के बाद जैसे तैसे सीवर लाइन बिछा कर सड़क को पाट दिया जा रहा है। अच्छे तरीके से सड़क की कुटाइ न होने से सड़क के नीचे पोल बन जा रहे हैं जिसमें अक्सर कोई न कोई वाहन फंस जा रहे हैं। कहीं कहीं तो वाहन सड़क में बने सुरंग में समा जाने से बाल-बाल बचे हैं।

अभी पिछले दिनों जौनपुर के ओलंदगंज में सड़क के बीच अचानक बड़ी सुरंग हो जाने से नगर पालिका परिषद का कूड़ा उठाने वाला वाहन उसमें समाहित होने से बाल-बाल बचा है। सड़क में अचानक सुरंग बन जाने से देखते ही देखते सड़क का काफी हिस्सा धंस गया जिसमें ट्रक इत्यादि बड़े वाहन बड़े ही आसानी से समा सकते थे। जौनपुर के ओलंदगंज की यह कोई पहली घटना नहीं रही है। इसके पूर्व भी कई ऐसे नजारे देखने को सामने आये हैं जिसे देखकर लोगों की सांसें थम गई थीं।

बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी अभी भी लापरवाह बने हुए हैं। पिछले महीने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जब सड़क बैठ जाने से एक कार सड़क के गड्ढे में समा जाने से बची थी तो इसको लेकर काफी हो हल्ला मचा तो जरूर लेकिन सुधार की कवायद न होने से यह आम बात हो चली। राजधानी लखनऊ के बाद इस तरह के नजारे मिर्ज़ापुर, जौनपुर, भदोही इत्यादि जनपदों में आम बात हो चले हैं। जिसे देख प्रतीत होता है कि जिम्मेदारों को शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार है।

मनमाने तरीके से बिछाई जा रही पाइप लाइन

सीवर और पेयजल पाइप लाइन बिछाने के नाम पर मनमाने तरीके से हो रहे काम से पीएम का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी अछूता नहीं है। वाराणसी में सीवर और पेयजल की पाइप लाइनों को डालने के बाद मनमाने तरीके से सड़कें बनाई गई हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अजय उपाध्याय बताते हैं, “यह सब अभियंताओं और ठेकेदारों की लापरवाही का नतीजा है। इसके पीछे भारी खेल भी हो रहा है। इस बात को सिगरा-महमूरगंज मार्ग की खुदाई और सड़क निर्माण के काम से समझा जा सकता है।”

वह कहते हैं, “सीवर और पेयजल पाइप डालने का काम संग कराने के लिए तकरीबन डेढ़ साल तक सड़क की मरम्मत नहीं की गई। अब जल निगम पेयजल पाइप डालने के बाद कोलतार सनी गिट्टी से डेढ़ फुट की पट्टी बना रहा है। पट्टी की गुणवत्ता ऐसी कि बनने के बाद से ही सड़क उखड़ने लगी है। यह उदाहरण भर है, ऐसी मनमानी वाराणसी शहर भर में हो रही है और जिम्मेदार तमाशबीन बने हुए हैं।”

जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने तीन साल पहले सिगरा-महमूरगंज मार्ग पर ड्रेनेज का काम किया। उसके बाद सड़क बनाई गई, जिसका रखरखाव दो साल तक कार्यदायी संस्था को करना था। बनने के कुछ ही दिनों बाद सड़क उखड़ गई तो एक बार पैचवर्क कराया गया। उसके बाद सीवर और पेयजल की पाइप डालने के नाम पर सड़क की मरम्मत रोक दी गई। साल भर सड़क बनी नहीं और दो साल होने पर कार्यदायी संस्था रखरखाव के दायित्व से मुक्त हो गई। सीवर लाइन का काम शुरू होने से पहले ही पेयजल पाइप बिछा दी गई। खोदी गई जगह पर डेढ़ फुट चौड़ी कोलतार, गिट्टी की पट्टी चिपका दी गई है। जिसकी मजबूती को समझा जा सकता है।

हादसे का कारण बन रहीं खोदी गई सड़कें

पहले धूल और डस्ट से मुश्किलें बढ़ीं, अब लोगों को सड़क में समा जाने का डर सताये जा रहा है। सड़क कब और किधर से बैठ जाए, कौन वाहन समा जाए, इसका भय हमेशा बना रहता है। पाइप लाइन बिछाने के बाद जहां-जहां सड़कों को पाट दिया गया है, वहां हल्की बारिश दुर्घटना का कारण बन रही है।

किसान नेता बजरंगी सिंह कहते हैं, “मनमाने तरीके से खुदाई करके जल निगम के अभियंता संसाधनों की बर्बादी कर रहे हैं। जनपद मुख्यालय सहित नगर की सड़कों की हालत तो देखी ही जा रही है। इससे भी बुरी स्थिति ग्रामीण इलाकों में स्थित सड़कों और गलियों की हुई है, जहां पैदल भी चल पाना मुश्किल हो उठा है।”

बताते चलें कि अमृत योजना अंतर्गत गहरी सीवर लाइन बिछाने का जब कार्य शुरू किया गया था तो लोगों को उम्मीद थी कि तेज रफ्तार से काम किया जायेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कच्छप गति से चल रहे कार्य के साथ गुणवत्तापूर्ण सामग्री को भी नज़र अंदाज़ कर जैसे तैसे सीवर लाइन बिछाने के काम को अंजाम दिया जा रहा है। जानकार लोगों की मानें तो सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़क खोदने के बाद अच्छे तरीके से मिट्टी बैठाने के बाद गिट्टी और बालू बिछाकर उसकी कुटाई कराई जाती है किंतु ऐसा न कर केवल खानापूर्ति की जा रही है जिसके परिणामस्वरूप सड़क धंसने और बैठने लगी हैं।

मिर्ज़ापुर नगर में रोडवेज मार्ग से शुक्लहां, तहसील तिराहा, पुलिस लाइन, रमईपट्टी होते हुए सिविल लाइंस, फतहां, दुहीमुहिंया तक सड़क जगह-जगह से बैठने लगी है। जिन पर बड़े भारी वाहनों का चलना किसी जोखिम से कम नहीं है बावजूद इसके जिम्मेदार उदासीन नज़र आ रहे हैं। कमोवेश यही स्थिति नगर के अन्य गली मुहल्लों के सड़क गलियों की बनी हुई है।

पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से चल रहे पेयजल पाइप लाइन व सीवर लाइन बिछाने का काम कब तक पूरा कर लिया जाएगा इस पर साफ जानकारी देने से जिम्मेदार अधिकारी जहां कतरा रहे हैं वहीं अधिकारियों के महज निरीक्षण तक सीमित होने से इस योजना के पूरा होने को लेकर संशय बना हुआ है।

व्यापारी नेता शैलेंद्र अग्रहरी सीवरेज ट्रीटमेंट सहित पेयजल पाइप लाइन बिछाने के कच्छप गति से चल रहे कार्य की गति पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि “आने वाले दिनों में ईमानदार सरकार के लिए यह योजना भ्रष्टाचार की पटकथा छोड़ जायेगी। जिस प्रकार से सीवर लाइन बिछाने के नाम पर सड़कों गलियों को महीनों तक खोद कर छोड़ा गया वह लोगों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं रहा है। सड़क मरम्मत के नाम पर भी खेल खेला जा रहा है, जिसमें किसी बड़े घोटाले से इनकार नहीं किया सकता है।”

कहीं सड़क धंस रही तो कहीं पड़ रही दरारें

सड़क धंसने और सड़क में दरारें पड़ने की तस्वीरें सिर्फ जौनपुर, मिर्ज़ापुर वाराणसी तक ही सीमित नहीं हैं। ऐसी स्थिति अन्य जनपदों की भी बनी हुई है। अमृतकाल के ज़श्न में अमृत योजना अंतर्गत खोदी गई सड़कें लोगों के जीवन के लिए ‘काल’ बनने को तैयार हैं। मिर्ज़ापुर नगर की तकरीबन 25 किमी तक की सड़क, गली-मोहल्लों की सड़क व पटरियां पिछले दो वर्षों से खोद दी गई हैं। कुछ स्थानों पर पाइए लाइन बिछाने के बाद जैसे-तैसे सड़क को पाट दिया गया है तो कुछ स्थानों पर पाटे जाने की कवायद शुरू कर दी गई है।

समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी “जनचौक” को बताते हैं कि “मोदी-योगी सरकार की यह बड़े भ्रष्टाचार वाली योजना है। आने वाले दिनों में गहराई से जांच होने पर इसकी परत दर परत खुलती जायेगी।” वह कहते हैं, “अमृत योजना के नाम पर मनमाने तरीके से काम कराया जा रहा है। जिसका सीधा कनेक्शन गुजरात से जुड़ा हुआ है। इस काम से जुड़े अधिकांश लोगों को गुजरात से लाया गया है।”

हादसों के बाद भी बरती जा रही लापरवाही

खोदी गई सड़कों पर बिखरी पड़ी गिट्टियां और उड़ते हुए धूल के गुबार के बीच जुलाई माह में मिर्ज़ापुर के शुक्लहां में दो बाइक सवार गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिन्हें राहगीरों की मदद से अस्पताल भिजवाया गया था। इसी तरह के अनगिनत हादसे इस योजना के प्रारंभ से लेकर अब तक होते आए हैं, लेकिन इन्हें रोकने की कवायद तो दूर, लोगों को हादसे से बचाने के उपाय भी नहीं किए गए। जिसका परिणाम यह रहा है कि सड़कें खुदती गई हैं और हादसे होते गए।

मजे कि बात यह है कि सड़क खोदने के बाद जो सड़कें बन भी रही हैं वह मानकों की अनदेखी करते हुए बन रही हैं। जिसकी ओर न तो कोई जनप्रतिनिधि झांकना चाहता है और ना ही कोई अधिकारी। यों कहें कि सबकुछ नाक नीचे हो रहा है, लेकिन कोई रोक-टोक करने वाला नहीं है। तारकोल से बनी सड़कों से लेकर सीमेंट से बनी सड़कें गुणवत्ता की पोल खोल दे रही हैं।

(संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट)

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