ग्राउंड रिपोर्ट: फर्रुखाबाद में 100 वर्ष पुरानी रेलवे क्रॉसिंग बंद करने से नाराज ग्रामीण धरने पर बैठे

फर्रुखाबाद। इसे सरकार और रेलवे महकमे का नादिरशाही फरमान नहीं तो और क्या कहा जाएगा कि जिस रेलवे क्रॉसिंग के जरिए इलाके के कई गांवों के ही नहीं बल्कि दूसरे जनपदों के लोग भी एक छोर से दूसरे छोर तक पिछले 100 वर्षों से आते जाते थे, उसे एक झटके में बिना कोई सूचना दिए और बिना कोई वैकल्पिक रास्ता निकाले बंद कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद के नेकपुर रेलवे क्रॉसिंग को बंद किए जाने के विरोध में महिलाओं और पुरुषों ने रेलवे ट्रैक जाम कर धरना शुरू कर दिया। हालांकि पुलिस ने कड़ी मशक्कत और पुलिसिया डंडे के बल पर 2 घंटे बाद जाम खुलवा दिया और जाम का नेतृत्व कर रहे दो लोगों को हिरासत में ले लिया। हांलाकि दूसरे दिन भी ग्रामीण मौके पर डटे हुए हैं, वहीं पुलिस के पहरे में ट्रेनों को गुजारा जा रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि “जिस रेलवे क्रॉसिंग के रास्ते वह 100 साल से आवागमन करते आ रहे हैं, उसे एक झटके में बंद कर दिया गया। इसके लिए ना तो पहले से कोई मुनादी की गई और ना ही ग्रामीणों को सूचना दी गई। इससे भी घोर आश्चर्य की बात यह है कि आवागमन की कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई।”

विरोध में रेलवे पटरी पर बैठ गए थे ग्रामीण

नेकपुर रेलवे क्रॉसिंग को रविवार की सुबह से बंद किए जाने के विरोध में सोमवार को सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और पुरुष मालगाड़ी के आगे रेल पटरी पर बैठकर जाम लगा दिए थे। रेलवे क्रॉसिंग बंद किए जाने की खबर जैसे-जैसे लोगों को होती जा रही थी वैसे-वैसे भीड़ भी मौके पर बढ़ती जा रही थी। जिसे देख रेलवे और प्रशासन के हाथ पांव फूलने लगे थे।

रेलवे ट्रैक पर बैठे ग्रामीणों का कहना था कि “क्या रेलवे क्रॉसिंग को बंद करने से पूर्व किसी ग्रामीण को सूचना या किसी प्रकार का नोटिस दी गई, यदि नहीं तो आखिर क्यों?”

नेकपुर रेलवे क्रॉसिंग कई गांवों की जीवन रेखा है। बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल-कॉलेज जाने के लिए इसी रेलवे क्रॉसिंग का प्रयोग करते थे। मेहनत मजूरी करने वाले लोगों से लेकर व्यापार और अन्य कारोबार से जुटे लोग भी इधर से ही आते-जाते थे। इस रेलवे क्रॉसिंग को बंद कर दिए जाने से अब लोगों को लंबी दूरी तय कर आवागमन करना पड़ेगा।

किसी विषम स्थिति में या किसी के बीमार हो जाने, घटना-दुर्घटना की स्थिति में लोगों की परेशानी अब और बढ़ जाएगी, बावजूद इसके इन सब बातों पर गौर करने के बजाए, रेलवे मनमानी पर उतारू है।

कई ट्रेनें हुईं बाधित, पुलिस के जोर से खुल सका रेलवे ट्रैक

रेलवे क्रॉसिंग बंद किए जाने के विरोध में रेलवे ट्रैक पर आंदोलन कर रहे ग्रामीण रेलवे के अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग कर रहे थे। लेकिन ग्रामीणों की मांगों पर विचार करने के बजाए पुलिस प्रशासन ने जबरन रेलवे ट्रैक को खाली करवाया, तब जाकर मालगाड़ी को रवाना किया गया। इस दौरान पौने दो घंटे तक कानपुर-मथुरा रेलवे ट्रैक बाधित रहा और कई ट्रेनें लेट हुईं।

ग्रामीणों के भारी आक्रोश को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने भारी पुलिस बल और आरपीएफ के साथ अपनी मौजूदगी में फर्रुखाबाद स्टेशन की तरफ से आई कासगंज-कानपुर एक्सप्रेस को आगे की ओर रवाना करवाया। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए गुमटी पर पुलिस लाइन से भारी पुलिस फोर्स बुलाकर तैनात किया गया।

ग्रामीणों का आरोप है कि “पुलिस व रेलवे के अधिकारी दमनकारी नीतियों का सहारा लेकर जनता की आवाज को कुचलना चाह रहे हैं। लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं।”

रश्मि प्रभा कहती हैं कि “यह रेलवे क्रॉसिंग बंद हो जाने से हमें बच्चों को अलग-अलग रास्तों से स्कूल ले जाना होगा। इससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी होगी।”

ग्रामीणों की आवाज को अनसुना करता आया है रेल मंत्रालय

ग्रामीण कहते हैं कि “रेलवे क्रॉसिंग बंद करने से पहले ग्रामीणों को समय देना चाहिए था और उनके लिए बीच का रास्ता निकालना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ ना करते हुए पुलिसिया डंडे के बल पर अब ग्रामीणों को ही डराया धमकाया जा रहा है।”

ग्रामीणों की माने तो इस रेलवे क्रॉसिंग से दूसरे जनपदों के लोग भी यात्रा करते हैं। इस मामले को लेकर स्थानीय लोग रेल मंत्रालय और रेल विभाग को कई प्रार्थना पत्र दे भी चुके हैं, बावजूद इसके इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। स्थानीय लोग अपनी मांग पर अड़े हुए हैं उनका कहना है जब तक क्रॉसिंग नहीं खोली जाएगी वह ट्रैक से नहीं उठेंगे।

मंगलवार को दूसरे दिन भी जहां ग्रामीण मौके पर डटे हैं, वहीं पुलिस के पहरे में ट्रेनों को गुजारा जाता रहा है।

ग्रामीणों ने दो टूक चेतावनी दी है कि बंद रेलवे क्रॉसिंग को खोला जाए, या सुगम रास्ता निकाला जाए अन्यथा वह दुबारा हजारों की संख्या में रेलवे ट्रैक ही नहीं सड़क भी ज़ाम करने के लिए विवश हो जायेंगे।

(संतोष देव गिरी की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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