आखिर कब होगा शुभकरण का अंतिम संस्कार?                                            

बीते हफ्ते के बुधवार को खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की गोली से मारे गए पंजाब के नौजवान किसान शुभकरण सिंह का आज छठे दिन भी पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार नहीं हो पाया। उसका शव पटियाला के सरकारी राजेंद्रा अस्पताल की मोर्चरी में है। फिलहाल तक मृतक देह मिट्टी से वंचित है। क्यों? इसलिए कि किसान संगठन और शुभकरण सिंह के परिजन इस मांग पर अडिग हैं कि पहले उसकी मौत को लेकर हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की जाए। उसके बाद पोस्टमार्टम होने दिया जाएगा। फिर अंतिम संस्कार होगा।      

किसान संगठनों को संदेह है कि कहीं चुपचाप शुभकरण सिंह का पोस्टमार्टम न कर दिया जाए। ऐसा होने से रोकने के लिए किसानों ने राजेंद्रा अस्पताल के शव गृह के बाहर पक्का मोर्चा लगा दिया है। हासिल जानकारी के मुताबिक तकरीबन दो सौ ट्रालियों के जरिए अस्पताल की घेराबंदी की गई है। राज्य भर से ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर किसानों का आना जारी है। अस्पताल के चारों तरफ भारी पुलिस फोर्स भी तैनात है। शव गृह के बाहर पुलिस का सख्त पहरा है।

रविवार को पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने राजेंद्रा अस्पताल का दौरा किया और कहा कि पंजाब सरकार शुभकरण सिंह के मामले में हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज और दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ धारा 302 के तहत तत्काल कार्रवाई करे। दोषियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए। यथाशीघ्र ऐसा नहीं किया जाता तो विधानसभा का बजट सेशन नहीं चलने दिया जाएगा। बाजवा कहते हैं, “हरियाणा सरकार पंजाब के आंदोलनरत किसानों के खिलाफ घातक जानलेवा हथियार इस्तेमाल पुलिस से करवा रही है। किसान दिल्ली कूच करना चाहते हैं तो उन्हें जाने दिया जाना चाहिए।  सूबे के किसानों को दुश्मन समझ जा रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान दोगली नीति पर चल रहे हैं।”                                                

बाजवा से पहले पंजाब कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और वरिष्ठ नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया भी कह चुके हैं कि शुभकरण प्रकरण में हत्या का मामला दर्ज किया जाए। घटना के अगले दिन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि नजीर कायम करते हुए पंजाब सरकार शुभकरण की मौत के लिए जिम्मेदार हरियाणा पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ बाकायदा मुकदमा दर्ज करेगी और प्रकरण की पूरी जांच करवाई जाएगी।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने शुभकरण के परिजनों को एक करोड़ रुपए की नगद सहायता राशि की घोषणा की थी और यह भी कहा था कि मृतक युवा किसान की बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी। बाद में किसान संगठनों और शुभकरण की बहन ने तब तक सरकारी सहायता से किनारा करने का फैसला किया; जब तक हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज नहीं कर लिया जाता।

शुभकरण की बहन गुरप्रीत कौर कहती हैं, “सरकार एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी क्यों कर रही है? मेरे भाई को इंसाफ तभी मिलेगा। जब तक एफआईआर दर्ज नहीं होती तब तक न पोस्टमार्टम होने देंगे और न ही संस्कार करेंगे। एक करोड़ रुपए मिलने से शुभकरण वापस नहीं आ जाएगा। सरकार हत्या का मामला दर्ज करेगी तो कम से कम संतोष तो होगा कि हमारे भाई को इंसाफ मिल रहा है।”          

गौरतलब है कि खनौरी बॉर्डर पर मारे गए शुभकरण सिंह पर आनन-फानन में जांच और मामला दर्ज करने का बयान देने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री ने अब इस मामले में खामोशी अख्तियार कर ली है। जबकि विपक्ष उन्हें घेर रहा है कि एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की जाती। किसान संगठन भी दबाव बना रहे हैं।    

पहले मुख्यमंत्री के साथ-साथ उनके मंत्रिमंडल सहयोगी मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक भी इस मामले में खासे मुखर थे। लेकिन अब सन्नाटा पसरा है। पंजाब के पुलिस अधिकारी सीमा हदबंदी में उलझे हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं दिए जाने की शर्त पर ‘जनचौक’ को बताया कि शुभकरण को गोली हरियाणा की सीमा के भीतर लगी है। ऐसे में पंजाब में एफआईआर कैसे दर्ज की जा सकती है। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द शुभकरण का पोस्टमार्टम हो जाए। अस्पताल प्रशासन ने इसके लिए टीम गठित की हुई है। लेकिन किसान संगठन अड़े हुए हैं।                           

उधर, किसान संगठनों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मंगलवार तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई तो किसान रेल ट्रैक और सड़क मार्ग जाम करेंगे। फौरी सवाल तो यह है कि आखिर शुभकरण सिंह कब सुपुर्द-ए-आतिश होगा? फिलवक्त इसका जवाब किसी के पास नहीं।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

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