क्या नरेंद्र मोदी और सुप्रीम कोर्ट को कुकी महिलाओं के निर्वस्त्र परेड का शर्मनाक वीडियो वायरल होने का इंतजार था?

Estimated read time 1 min read

क्या संयोग है कि दो कुकी महिलाओं के निर्वस्त्र परेड का शर्मनाक वीडियो वायरल होने के बाद आज पीएम मोदी ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी और सुप्रीम कोर्ट ने भी मणिपुर वीडियो पर स्वत: संज्ञान लिया। अभी जुलाई के दूसरे सप्ताह तक सुप्रीम कोर्ट मणिपुर मामले को राज्य की कानून व्यवस्था का मामला बताकर इस पर संज्ञान लेने के लिए तैयार नहीं था। एक ओर मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने की घटना को पीएम मोदी ने शर्मनाक बताया है। साथ ही दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाए जाने की बात कही है। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि ‘बेहद दुख, हिंसा के साधन के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल अस्वीकार्य’।

10 जुलाई, 2023 को चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि इन कार्यवाहियों का इस्तेमाल हिंसा और अन्य समस्याओं को और बढ़ाने के मंच के रूप में किया जाए। हमें सचेत रहना चाहिए कि हम सुरक्षा या कानून व्यवस्था नहीं चला रहे हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मणिपुर की स्थिति पर कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून और व्यवस्था नहीं चला सकता है। ये काम चुनी हुई सरकार का है। दरअसल, कुकी समूहों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्वेस ने राज्य में बढ़ती हिंसा के बारे में चिंता जताई। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप करने की मांग की थी।

सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया था कि सुरक्षा या कानून व्यवस्था के प्रबंधन में न्यायालय की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे को मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि हम नहीं चाहते कि इन कार्यवाहियों का इस्तेमाल हिंसा और अन्य समस्याओं को और बढ़ाने के मंच के रूप में किया जाए। हमें सचेत रहना चाहिए कि हम सुरक्षा या कानून व्यवस्था नहीं चला रहे हैं। यह एक मानवीय मुद्दा है और इसे उसी नजरिए से देखने की जरूरत है।

इसके पहले 20 जून 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच अल्पसंख्यक कुकी आदिवासियों के लिए सेना सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया और मामले की सुनवाई 3 जुलाई के लिए टाल दिया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस भयावह वीडियो पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाने और राज्य में जातीय संघर्ष के बीच यौन हिंसा का शिकार होते दिखाया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। सांप्रदायिक संघर्ष में महिला का इस्तेमाल एक औजार के तौर पर करना स्वीकार्य नहीं है। ये संविधान की शक्तियों का उल्लंघन है। हम इस वीडियो को देखकर बेहद दुखी हैं। अगर सरकार कार्रवाई नहीं करेगी तो हम करेंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह अपराधियों को कानून के दायरे में लाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी कोर्ट को दे।

मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। बुधवार को जब इस हैवानियत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो सरकार लेकर आम लोगों तक सभी के होश उड़ गए। किसी को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। मानवता शर्मसार हो रही थी। हालांकि, ये घटना चार मई को हुई, जबकि इसकी एफआईआर करीब डेढ़ महीने बाद 21 जून को दर्ज हुई। वहीं गुरुवार सुबह मामले में पहला आरोपी गिरफ्तार हुआ है।

एक ओर जहां इसे घटना की देशभर में निंदा की जा रही है, वहीं अब इसको लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। आखिर मणिपुर में चार मई को क्या हुआ था? घटना के आरोपियों पर केस किन धाराओं में दर्ज हुआ? अब तक इस मामले एक्शन क्या हुआ? आइए समझते हैं…

मणिपुर पिछले कुछ समय से जातीय हिंसा की चपेट में है, लेकिन अब एक वीडियो सामने आया है जिसमें महिलाओं को नग्न करके घुमाया जा रहा है। यह घटना राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले के गांव बी. फीनोम में हुई। ग्राम प्रधान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, चार मई को शाम लगभग तीन बजे 900-1000 की संख्या में कई संगठनों से जुड़े लोग बी. फीनोम गांव में जबरदस्ती घुस आए। इनके पास एके राइफल्स, एसएल.आर इंसास और 303 राइफल्स जैसे अत्याधुनिक हथियार थे। हिंसक भीड़ ने सभी घरों में तोड़फोड़ की और फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बर्तन, कपड़े, अनाज सहित नकदी को लूटने के बाद सभी चल संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया। 

इसके अलावा पांच ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए जंगल की ओर भाग गए। बाद में उन्हें नॉनपाक सेकमाई पुलिस टीम द्वारा बचाया गया और वे नोंगनोक सेकमाई थाने के रास्ते में थे। इस बीच उन्हें रास्ते में एक भीड़ ने रोक दिया और नोंगपोक सेकमाई थाने से लगभग दो किलोमीटर दूर और 33 एआर सोमरेई चौकी से लगभग तीन किलोमीटर दूर भीड़ ने उन्हें पुलिस टीम की सुरक्षा से छीन लिया। इसके अलावा एक 56 साल के व्यक्ति की घटनास्थल पर ही हत्या कर दी गई।

प्रधान ने बताया कि इसी दौरान भीड़ द्वारा तीन महिलाओं को उनके कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया और भीड़ के सामने निर्वस्त्र कर दिया गया। घटना से जुड़े वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुरुष असहाय महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं, जो रो रही हैं और उनसे छोड़ने की गुहार लगा रही हैं। हैवानियत यहीं सीमित नहीं रही, एक 21 साल की लड़की का दिन दहाड़े बेरहमी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। जब 19 वर्षीय छोटे भाई ने अपनी बहन की अस्मिता और जान बचाने की कोशिश की, तो भीड़ में शामिल लोगों ने उसकी मौके पर ही हत्या कर दी। हालांकि, पीड़िता कुछ लोगों की मदद से मौके से भागने में सफल रही।

घटना के एक महीने से अधिक समय बाद 21 जून को एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला आईपीसी की धारा 153ए, 398, 427, 436, 448, 302, 354, 364, 326, 376 और 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1सी) के तहत दर्ज किया गया। पुलिस द्वारा दर्ज इस एफआईआर में भीड़ में शामिल करीब 1,000 लोगों पर कई आरोप लगाए गए हैं। इसमें विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, घातक हथियार के साथ डकैती करना, आग लगाना, घर में जबरन घुसना, हत्या के लिए अपहरण करना, क्षति पहुंचाना, दुष्कर्म, हमला, गंभीर चोट पहुंचाना और आग्नेयास्त्र का उपयोग करके एक इरादे से हत्या करना।

इस घटना को लेकर जीरो एफआईआर कांगपोकपी जिले की सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। बाद में इसे थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन को रेफर कर दिया गया। मामला दर्ज होने के करीब एक महीने बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आज गुरुवार को कहा कि वीडियो सामने आने के तुरंत बाद राज्य सरकार ने वीडियो का स्वत: संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि मणिपुर पुलिस ने कार्रवाई कर आज पहली गिरफ्तारी की है।

दरअसल मणिपुर में हुई घटना पर लोगों का गुस्सा यूं ही नहीं है। जो तथ्य सामने आए हैं वो दहलाने वाले हैं। मणिपुर पुलिस उन दो महिलाओं को मैतेई लोगों की भीड़ के बीच ले गई। इसके बाद जो हुआ, वो सब वायरल वीडियो में आ चुका है। जिसे सरकार ट्विटर से हटाने के लिए कह रही है और कार्रवाई की धमकी दे रही है।

मणिपुर पुलिस के अधिकारियों ने, “कुकी महिलाओं को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के बजाय, उन्हें मैतेई भीड़ की ओर ले गए।” बी फ़ाइनोम गांव के एक निवासी ने आरोप लगाया, उसने तीन कुकी महिलाओं को नग्न घुमाने, उनके साथ छेड़छाड़ करने और उनके साथ यौन संबंध बनाने की भयावह घटना को याद करते हुए यह जानकारी दी। 4 मई को मैतेई भीड़ ने कुकी लोगों पर हमला किया था।

घटना का एक कथित वीडियो, जो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है, में दो महिलाओं को भीड़ द्वारा छूते हुए और धान के खेत की ओर ले जाते हुए दिखाया गया है। वीडियो में तीसरी महिला नजर नहीं आ रही है।

एफआईआर और गवाहों के अनुसार, तीन महिलाओं में से एक के साथ गैंगरेप किया गया था और उसके पिता और भाई की भीड़ ने हत्या कर दी थी।एफआईआर में कहा गया है कि जिन तीन महिलाओं को नग्न किया गया था, वे कुछ परिचित लोगों की मदद से इलाके से भागने में सफल रहीं। जीवित बचे लोगों में से एक ने कहा कि हालांकि मणिपुर पुलिस घटनास्थल पर मौजूद थी, लेकिन उन्होंने उनकी मदद नहीं की। एक अन्य जीवित बचे व्यक्ति, जिसके पिता और भाई मारे गए थे, ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने हिंसा होते हुए देखा। उन्होंने हमारी मदद के लिए कुछ नहीं किया।

(जे.पी.सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
2 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Dinesh Khemani
Dinesh Khemani
Guest
1 year ago

बहुत ही शर्मनाक।

Sudhir
Sudhir
Guest
1 year ago

सर आपकी लेखनी को सलाम। बेहद हि दुखद कि इतना सब कुच्छ होता रहा और सरकार अनजान बनी रही।

You May Also Like

More From Author