क्या रंग लाएगी पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू करने की धमकी?

‘जनचौक’ अतीत में कई रपटों में लिखता आया है कि पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच की तनातनी आखिर इस हद तक चली जाएगी कि केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर कार्यरत राज्यपाल मान सरकार को भंग करके राष्ट्रपति शासन लागू करने की चेतावनी देंगे। आखिर वही हुआ।

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सांविधानिक कार्रवाई के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने की चेतावनी दी है। उन्होंने लिखा है कि राज्य सरकार राज भवन की ओर से मांगी गई जानकारी नहीं दे रही। ये सांविधानिक कर्तव्य का अपमान है।

बनवारी लाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री को भेजे अपने पत्र में साफ लिखा है कि-‘इससे पहले कि मैं सांविधानिक तंत्र की विफलता की बाबत अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट भेजने और आईपीसी की धारा-124 के तहत अपराधिक कार्यवाही शुरू करने के बारे में निर्णय लूं, मैं आपसे मेरे पत्रों के तहत अपेक्षित जानकारी मांगता हूं। ऐसा न करने पर संविधान के अनुसार कार्रवाई करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा।’

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद-356 के तहत केंद्र सरकार किसी भी राज्य में नागरिक अशांति तथा कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति से निपटने में असफल रहने के मद्देनजर वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार देती है। कानून के जानकार प्रसिद्ध एडवोकेट भूपेंद्र सिंह कालड़ा कहते हैं कि, “राष्ट्रपति की अनुशंसा पर राज्य सरकार को भंग करके राष्ट्रपति शासन लागू करने का प्रावधान संविधान में है।”

राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने अपने पत्र की शुरुआत में लिखा कि वह 1 अगस्त, 2023 को मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र के संबंध में यह नया पत्र लिखने को बाध्य हैं। क्योंकि उनके पत्र के बावजूद मुख्यमंत्री ने मांगी गई जानकारी नहीं दी। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री जानबूझकर ये जानकारियां नहीं दे रहे हैं। यक्ष प्रश्न है कि वे ‘जानकारियां’ कौन-सी हो सकती हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्यपाल को मांगे जाने के बावजूद नहीं दे रहे। उनमें ऐसी क्या गोपनीयता है? ‘छुपाने’ वाली आखिर क्या बात है? सरकार इस पर खामोश है और राज्यपाल चिढ़े हुए हैं।

अपने पत्र में राज्यपाल ने लिखा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-167 के प्रावधान के मुताबिक, राज्यपाल की ओर से राज्य के प्रशासनिक मामलों के बारे में मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराना अनिवार्य है। साथ ही बनवारी लाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से 28 फरवरी, 2023 को दया याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला भी दिया। जिसने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल, दोनों सांविधानिक पदाधिकारी हैं और दोनों की संविधान के द्वारा तय भूमिकाएं व दायित्व हैं।

अपने पत्र में राज्यपाल ने प्रदेश में बढ़ रहे नशे के कारोबार पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पंजाब में नशा चरम पर है। एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में दवा की दुकानों पर भी नशीले पदार्थ उपलब्ध हैं। एक अखबार को दिए विशेष साक्षात्कार में भी राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित यह सब कह चुके हैं।

राज्यपाल यहां तक कहते हैं कि राज्य सरकार की ओर से नियंत्रित शराब की दुकानों में भी नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं। हाल ही में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीआरबी) और चंडीगढ़ पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में ड्रग्स बेचने वाले 66 शराब टेक को सील किया था। राज्यपाल यह भी कहते हैं कि संसद की स्थायी समिति की हालिया रिपोर्ट बताती है कि पंजाब में प्रत्येक पांच में से एक व्यक्ति नशे का आदी है। यह तथ्य पंजाब में कानून-व्यवस्था के चरमराने की ओर इशारा करते हैं।

राज्यपाल ने अपने लंबे पत्र में लिखा कि राज्य में ग्रामीणों ने भी बड़ी संख्या में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं और खुद को नशों से बचाने के लिए अपनी ग्राम रक्षा समितियां बनाने का फैसला किया है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को द्राक्ष मामले पर राज्य सरकार की ओर से की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तुरंत राज भवन भेजने के निर्देश दिए हैं। साथ यह भी लिखा है कि कार्रवाई रिपोर्ट नहीं भेजे जाने की स्थिति में उनके पास कानून और संविधान के अनुसार कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा अब तक राजभवन से भेजे गए किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिए जाने पर नाराज राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने शुक्रवार को सीधे मुख्यमंत्री को सीधे संबोधित करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर कई सवालिया निशान उठते हैं। राज्यपाल का मानना है कि उनके सवालों के जवाब राजभवन को जानबूझकर नहीं दिए जा रहे।

बनवारी लाल पुरोहित का कहना है कि उनके द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराना तो दूर, मुख्यमंत्री ने अनावश्यक और अनुचित टिप्पणियां करके अशालीनता का प्रदर्शन किया है, जिसे न केवल उनके व्यक्तिगत बल्कि राज्यपाल कार्यालय के प्रति अत्यधिक शत्रुता के रूप में वर्णित किया जा सकता है। यह सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के भी विपरीत हैं। राज्यपाल ने खुद को अपमानित करने वाली टिप्पणियों को चिन्हित किया है, जिन्हें भगवंत मान कहते रहे हैं।

सीएम मान कहते हैं कि गौर फरमाइए:::’पता नहीं महाराष्ट्र से है या नागालैंड से, पता नहीं कहां से आया है।’ ‘राजभवन के जनाब-ए-अली को चुनाव लड़ना चाहिए। वह फाजिल्का और फिरोजपुर जाते हैं, फिर टिकट लेकर वहां से चुनाव लड़ लें।’ ‘मेरा हेलीकॉप्टर इस्तेमाल करते हैं और मुझे ही गरियाते हैं।’ ‘ राज्यपालों के बहुत ज्यादा हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। उनका काम शपथ दिलाना है और उन्होंने शपथ दिला दी है।’

राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने इस बात का भी बहुत बुरा माना है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधानसभा में कागजों का एक सेट लहराते हुए कहा, ‘यह एक बड़ी किताब है। अध्यक्ष महोदय, क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह क्या है? ये माननीय राज्यपाल द्वारा मुझे लिखे गए ‘प्रेम पत्र’ हैं। देखिए, बहुत सारे हैं। खाली बैठकर (वहेला) यही तो करते रहते हैं। जब भी उनका मन करता है, खत लिख देते हैं। फिर पूछते हैं कि मैं जवाब क्यों नहीं देता। हमें सरकार चलाने दिया जाए। हम निर्वाचित हैं।’

उधर, आम आदमी पार्टी ने राज्यपाल के पत्र पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि ‘आप’ सरकार संविधान के अनुसार काम कर रही है।

पार्टी प्रवक्ता मालविंदर सिंह कंग ने कहा कि भाजपा का एजेंडा है कि जिन राज्यों में उसकी सरकार नहीं है, वहां राज्यपाल और उपराज्यपाल के माध्यम से सरकार के कामों में दखलंदाजी की जाए। अवाम ने असली ताकत चुनी सरकार को दी है, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने पहले दिल्ली में नया कानून लाकर लोगों की चुनी हुई आप सरकार को कमजोर कर दिया। अब पंजाब में भारी बहुमत से बनी हुई सरकार को अनुच्छेद-356 के तहत पंजाब सरकार तोड़ने की धमकियां दी जा रही हैं। अगर इस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करना है तो पहले मणिपुर और हरियाणा में किया जाए। वहां मौत का नंगा नाच हुआ है और कानून-व्यवस्था तार-तार हुई है। महिलाओं को बेइज्जत किया गया है। कंग कहते हैं, “राज्यपाल को अपनी मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए।”

शिरोमणि अकाली दल बादल की राय अलहदा है। शिअद के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉक्टर डॉ. दलजीत सिंह चीमा के अनुसार, “आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री भगवंत मान को राज्यपाल के साथ टकरा कर राज्य को अपनी नीति पर चलाते हुए जानबूझकर पंजाब में संवैधानिक संकट पैदा कर रहे हैं ताकि लोकसभा की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति शासन की घोषणा होने की सूरत में पार्टी ‘पीड़ित कार्ड’ खेल सके।”

जो हो, भगवंत मान सरकार के गठन से ही राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की उनसे ठनी हुई है। पंजाब वह राज्य है जहां रातों-रात निर्वाचित सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाता है। आम लोगों की राय में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के रहते कुछ भी संभव है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान को चाहिए कि वह संभल कर चलें, इसके पीछे कोई रणनीति है तो अलग बात है। नहीं तो कई बार राष्ट्रपति शासन का सामना कर चुका पंजाब एक बार फिर राष्ट्रपति शासन के हवाले हो सकता है। बेशक यह इतना आसान नहीं। लेकिन फिर दोहराना पड़ेगा कि मोदी किसी की भी ‘बलि’ ले सकते हैं।

जिक्रेखास यह भी है कि अगर राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो इसका लाभ भाजपा को होगा। आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता का ग्राफ नीचे की ओर जा रहा है। राष्ट्रपति शासन लागू होने की सूरत में वह बढ़ेगा, निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। पंजाब सरकार की ओर से अभी तक राज्यपाल के ताजा पत्र के जवाब में फिलहाल तक पार्टी प्रवक्ता के कथन के अलावा कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

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