ग्राउंड से चुनाव: भिलाई में महिलाएं शराबबंदी और रोजगार के मुद्दे पर करेंगी वोट

भिलाई। चुनावों में आधी आबादी यानि महिलाओं की भागीदारी निर्णायक भूमिका निभाती है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में पुरुषों के मुकाबले महिला वोटर एक लाख ज्यादा थीं। दूसरे चरण के मतदान में भी महिलाओं की अहम भूमिका रहने वाली है।

इसी बात को ध्यान में रखकर राजनीतिक पार्टियों ने अपने घोषणापत्रों में लोकलुभावन वायदे किये हैं। 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर से लेकर महिलाओं को 15 हजार रुपये सालाना देने की घोषणा की गई है।

दूसरे चरण में 70 सीटों पर 17 नवंबर को मत डाले जाएंगे। जिसमें महिलाओं की अहम भूमिका होगी। पार्टियों के लोकलुभावने वायदों के बीच ‘जनचौक’ की टीम ने छत्तीसगढ़ की औद्योगिक नगरी भिलाई की कुछ महिलाओं से बातचीत की है।

छोटी बस्तियों में रहनी वाली महिलाएं चुनाव को लेकर ज्यादा सजग होती हैं। उन्हें हमेशा उम्मीद होती है कि सरकार की नीतियों से उन्हें लाभ मिल पाएगा।

क्या सच होंगे पार्टियों के वादे?

बलविंदर कौर (55) पढ़ी-लिखी नहीं हैं। वह भिलाई के शिवाजीनगर में एस्बेस्टस के दो कमरों वाले घर में अपने बेटे-बहू और पोते-पोती के साथ रहती हैं। एक संकरी गली के घर से निकलकर बलविंदर ने हलवाई बनने तक का सफर तय किया है।

बलविंदर कौर।

बलविंदर के पति भिलाई में ही कोयला डिपो में और बेटा भिलाई स्टील प्लांट में दिहाड़ी पर काम करते हैं। घर को आर्थिक रूप से मजबूती देने के लिए बलविंदर ने हलवाई का काम शुरू किया था।

वह कहती हैं कि “मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं, ऐसे में कोई काम नहीं मिल पा रहा था। खाना बनाने का टैलेंट था। तो पहले छोटी-छोटी पार्टियों का ऑर्डर लेना शुरू किया। इसके बाद धीरे-धीरे काम बढ़ गया तो मैं अपने साथ अन्य महिलाओं को काम पर लेकर जाने लगी”।

वो कहती हैं कि “शादियों के सीजन में काम चलता है उसके बाद मैं चाय-पराठे की रेहड़ी लगा लेती हूं”। फिलहाल चुनाव और चुनावी वायदों पर उनका कहना है कि “सरकार किसी की भी आ जाए गरीबों की कोई नहीं सुनता है”।

उन्होंने कहा कि “पिछली बार सरकार ने महिलाओं को पांच सौ रुपये प्रति महीने देने का वायदा किया था। लेकिन किसी को एक रुपये भी नहीं मिला। इस बार भी ऐसा ही लग रहा है कि चुनाव के समय पार्टियां अपने हिसाब से वायदे तो करती हैं लेकिन मिलेगा की नहीं ये सब राम भरोसे है”।

हलवाई के काम के लिए रखे बर्तन।

‘सिलेंडर खत्म होने पर चूल्हा जलाते हैं’

एलपीजी सिलेंडर की कीमत 500 रुपये किए जाने के वायदे पर बलविंदर कौर हंसती हैं और कहती हैं कि “अभी तक तो 1100 में सिलेंडर ले रहे हैं। वह भी जब खत्म हो जाता है तो लकड़ी पर खाना पकाते हैं। क्योंकि कई बार तो गैस भराने के भी पैसे नहीं होते हैं। ऐसे में इनकी किस बात पर भरोसा किया जाए”।

देश के अलग-अलग हिस्सों में उज्जवला योजना के तहत एलपीजी सिलेंडर दिया गया था। इस साल सितंबर के महीने में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी दी थी कि योजना की शुरुआत से लेकर अभी तक 9.60 करोड़ सिलेंडर का वितरण किया गया है। इतने एलपीजी के वितरण के बाद भी कई महिलाएं एलपीजी की बढ़ती कीमतों के कारण चूल्हा जलाने को मजबूर हैं।

‘बेरोजगारी पर बात हो’

बेरोजगारी किसी भी राज्य की बड़ी समस्या है। ग्रेजुएट युवा नौकरी तलाश कर रहे हैं। रश्मि बाग इस बात पर खास जोर देते हुए जनचौक से कहती हैं कि “महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आर्थिक रूप से मजबूती देने की जरूरत है”।

रश्मि ग्रेजुएट हैं उसकी एक महीने की एक बेटी है और पति दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने के बारे में वह कहती हैं कि ‘हमें पार्षद द्वारा अपनी पूंजी लगाकर काम शुरू करने को कहा गया था’। 

वो कहती हैं कि “मेरी जैसी अन्य महिलाओं ने फिनाइल, दीप और डिटर्जेन्ट बनाने का काम शुरू किया। इसके बाद पार्षद की तरफ से कोई सहायता मिलती नहीं देख हमने नो प्रॉफिट नो लॉस पर आपस में ही सामान की खरीद बिक्री कर ली”।

रश्मि बाग।

रश्मि कहती हैं कि “सरकार वायदे तो बड़े-बड़े कर रही है लेकिन मैं चाहती हूं कि सरकार महिलाओं के रोजगार पर ध्यान दे। चुनाव में पैसा देने की घोषणा होती है लेकिन इससे बेहतर होगा कि महिलाओं को काम दिया जाए। ताकि जो बाहर जाकर काम नहीं कर सकती हैं वह घर से ही काम कर सकें”।

रश्मि के अनुसार उसकी एक छोटी बेटी है जिसको छोड़कर वह काम करने नहीं जा सकती हैं। इसलिए पार्टियां ऐसे काम की घोषणा करें जिससे मेरी जैसी महिलाओं को काम मिल जाए।

शराबबंदी महिलाओं का मुद्दा

साल 2018 में चुनाव के घोषणापत्र में कांग्रेस ने कहा था कि अगर उनकी सरकार बनेगी तो बिहार की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में शराबबंदी की जाएगी। ऐसा माना जाता है कि इसी घोषणा के कारण महिलाओं ने दिल खोलकर कांग्रेस वोट किया था।

अब पांच साल बाद फिर मतदान होने जा रहा है। इस बार भी मैदानी इलाके में महिलाएं शराबबंदी पर बात कर रही हैं।

भिलाई की ऊषा शराबबंदी के वायदे को पूरा नहीं करने पर सरकार से खफा हैं। वह कहती हैं कि “अगर शराब बंद हो जाए तो कम से कम जिदंगी सुखद हो जाएगी”। ऊषा के तीन बेटे हैं। सभी शराब पीते हैं। शराब पीने के कारण उनकी तबीयत भी खराब हो गई है।

ऊषा का कहना है कि “छोटे-छोटे बच्चों को नशे की लत लग गई है। बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। शिक्षा की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं है। नशा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि 10-12 साल की बच्चे भी नशे की गिरफ्त में आ गए हैं”।

ऊषा के अनुसार, “सरकार को इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए। लेकिन अफसोस इस पर कोई बात ही नहीं करता है। पार्टियां घोषणापत्र में महिलाओं को पैसे देने की बात कर रही हैं। ये जीतने के बाद ही पता चलेगा कि पैसा मिलेगा की नहीं। लेकिन नशे पर कोई बात नहीं करता है। जबकि यह सबसे बड़ा मुद्दा है। जिसमें हमारी आने वाली पीढ़ियां बर्बाद हो रही हैं”।

दूसरे चरण में भी महिला वोटर ज्यादा

छत्तीसगढ़ चुनाव में महिलाओं को ध्यान में रखकर भाजपा ने महंतारी वंदन योजना और कांग्रेस ने गृह लक्ष्मी योजना की घोषणा की है।

दूसरे चरण के चुनाव में 958 प्रत्याशी मैदान में हैं। 70 सीटों पर एक करोड़ 63 लाख 14 हजार 479  मतदाता हैं, जिसमें 81 लाख 72 हजार 171 मतदाता महिला हैं।

(छत्तीसगढ़ से पूनम मसीह की ग्राउंड रिपोर्ट।)

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