राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल: पिछड़े वर्ग और मुस्लिम महिलाओं को अलग कोटा देने की मांग

नई दिल्ली। महिला आरक्षण विधेयक 2023 बुधवार को लोकसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया। आज यानि गुरुवार को बिल पर राज्यसभा में बहस हो रही है। कांग्रेस, राजद, सपा और अन्य कई विपक्षी दलों ने पिछड़े वर्ग की महिलाओं को आरक्षण में शामिल न करने पर सवाल उठाए। सांसदों ने महिला आरक्षण को तत्काल लागू न करने पर सवाल उठाए। विपक्ष ने सत्तापक्ष पर इस विधेयक को राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगाया।

महिला आरक्षण बिल में बड़ी आबादी को खारिज कर दिया गया है: मनोज झा

महिला आरक्षण बिल पर राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि “इस बिल पर सरकार की मंशा साफ नहीं है…कोई रोडमैप नहीं है और यह बिल पास किया जा रहा है। आपने एक बड़ी आबादी को खारिज कर दिया है और बाहर कर दिया है”। “पीएम मोदी और उनकी टीम को यह समझने की जरूरत है कि चर्चा बिल के पारित होने पर नहीं, बल्कि ओबीसी पर हो रही है, उन्हें शामिल क्यों नहीं किया गया? आपको अपनी स्थिति को एक बार फिर से संशोधित करना चाहिए अन्यथा लोगों के पास आपकी स्थिति और अपनी स्थिति को बदलने के लिए बिल के अलावा अन्य विकल्प हैं।”

उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक के नाम- ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि पता नहीं यह क्या है, क्या यह किसी धार्मिक पुस्तक की कोई लाइन है। नारी की वंदना करने की बात हम वर्षों से सुनते आ रहे हैं। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’ एक तरफ यह श्लोक पढ़ा जाय और दूसरी तरफ महिलाओं को अधिकार देने में दया दिखाई जाए, यह नहीं हो सकता है। अधिकार दया के रूप में नहीं हो सकता।

इस बिल में पिछड़े वर्ग की महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है। हरेक महिला को आगे बढ़ने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पिछड़े वर्ग की महिलाओं को तो और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उनको सहारा देने वाला कोई नहीं होता है। लालू प्रसाद ने गया में पत्थर तोड़ने वाली महिला भगवतिया देवी को संसद भेज दिया। क्या फिर संसद में भगवतिया देवी और फूलन देवी आ पाईं?

महिला आरक्षण बिल को आज लागू कीजिए: मल्लिकार्जुन खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान कहा कि मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल को टाल रही है। जब पंचायत और जिला पंचायत में महिलाओं के लिए आरक्षण होता है, तो संसद और विधानसभा में महिला आरक्षण क्यों नहीं हो रहा? महिला आरक्षण बिल को आज लागू कीजिए।

उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है। 2010 में राज्य सभा में कांग्रेस-यूपीए सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पास करवाया था। राजनीति में जिस प्रकार एससी-एसटी वर्ग (SC-ST) को संवैधानिक अवसर मिला है, उसी प्रकार ओबीसी वर्ग की महिलाओं समेत सभी को इस विधेयक से सामान मौका मिलना चाहिए।

आज जो मोदी सरकार विधेयक लाई है, उसको गौर से देखने की ज़रुरत है। विधेयक के मौजूदा प्रारूप में लिखा है कि ये दशकीय जनगणना (Decadal Census) और परिसीमन (Delimitation) के बाद ही लागू किया जाएगा। इसका मतलब, मोदी सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाज़े बंद कर दिए हैं। भाजपा को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।

आरक्षण में पिछड़ी और मुस्लिम महिलाओं को कोटा दिया जाए: जया बच्चन

समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने महिला आरक्षण विधेयक पर बोलते हुए कहा कि हम लोग कौन होते हैं महिलाओं को आरक्षण देने वाले? मेरे नेता में हिम्मत थी, उन्होंने मुझे यहां भेजा। अगर मुझमें हिम्मत होगी तो मैं यहां आ जाऊंगी। मेरी पार्टी में दम होगा तो वह महिलाओं को यहां ले आएगी। हम बिल का समर्थन करते हैं लेकिन हमारी कुछ शर्त है। आरक्षण में पिछड़े वर्ग की महिलाओं को कोटा दिया जाए। मुस्लिम महिलाओं को भी आरक्षण में शामिल किया जाए। 2019 में लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा तीन तलाक पर बहुत शोर मचा रही थी। मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की बात कर रही थी। अब क्यों महिला आरक्षण से उन्हें बाहर कर रही है?

महिला आरक्षण का अभी श्री गणेश हुआ है: प्रियंका चतुर्वेदी

शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा कि “यह सुखद है कि इसे एआईएमआईएम को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों में सर्वसम्मति से समर्थन मिला है। वे अधिकारों की बात करते हैं लेकिन जब अधिकारों की बात आती है, वे इसके खिलाफ मतदान करते हैं। यह सुखद है कि सभी ने इसके लिए मतदान किया। यह एक ऐतिहासिक क्षण है…मैं इस बात से बहुत खुश नहीं हूं कि इसे 2024 के चुनावों से नहीं, बल्कि किसी भविष्य की तारीख पर लागू किया जाएगा। लेकिन मैं कहूंगी कि ‘श्री गणेश’ हो गया।”

असली सवाल यह है कि महिला आरक्षण लागू कब होगा: फौजिया खान

महिला आरक्षण बिल पर एनसीपी सांसद फौजिया खान ने कहा कि “मैं इस बिल का स्वागत करती हूं। हम पिछले 27 सालों से इसकी उम्मीद कर रहे थे… यह बिल लोकसभा में पारित हो चुका है और मुझे उम्मीद है कि यह राज्यसभा में भी पारित हो जाएगा। लेकिन इसे कब लागू किया जाएगा, यह सवाल है… हम महिलाओं के लिए यह अभी भी एक दूर की कौड़ी है…”

मुस्लिम महिलाओं को भी महिला आरक्षण में शामिल किया जाए: इमरान प्रतापगढ़ी

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि “कांग्रेस सरकार ने 2010 में यह बिल पेश किया था। यह हमारा बिल है…बीजेपी का लक्ष्य बिल को लागू नहीं करना है। बिल का पारित होना एक है बात और कार्यान्वयन दूसरी बात है। यह सिर्फ एक चुनाव अभियान है…मैं प्रधानमंत्री से कह रहा हूं कि आपको न केवल एससी, एसटी और ओबीसी को आरक्षण देना चाहिए, बल्कि अगर आप मुस्लिम महिलाओं के लिए इतने चिंतित हैं तो आपको उन्हें आरक्षण देना चाहिए। इस बिल को तो पारित होना ही था..”

मोदी सरकार का इरादा महिलाओं को आरक्षण देना नहीं: पी. संतोष कुमार

सीपीआई सांसद पी. संतोष कुमार ने कहा कि “इस बिल का कार्यान्वयन राज्यसभा और विधानसभाओं में भी होना चाहिए। वे (केंद्र) कहते हैं 2029 लेकिन जनगणना 2021 में नहीं की गई और उन्होंने बाद में इसके लिए इच्छा भी नहीं दिखाई…दरअसल, उनका महिलाओं को आरक्षण देने का इरादा नहीं है, वे ऐसा कर रहे हैं यह चुनावों के मद्देनजर है।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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